Move to Jagran APP

बीजेपी नेता संपत सिंह बोले- राजनीतिक चश्मा उतारकर किसान आंदोलन की गंभीरता समझे सरकार

प्रो. संपत सिंह ने कहा सरकार किसान से सीधी टक्कर लेने की अपनी जिद व हठधर्मी छोड़कर किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लें। सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर सरकार द्वारा खरीद की गांरटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 06:37 PM (IST)
बीजेपी नेता संपत सिंह बोले- राजनीतिक चश्मा उतारकर किसान आंदोलन की गंभीरता समझे सरकार
पूर्व मंत्री संप‍त सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीेजेपी ज्‍वाइन की थी, अब वो किसानों के समर्थन में हैं

हिसार, जेएनएन। पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह ने केंद्रीय सरकार से अपील की है कि सरकार किसान से सीधी टक्कर लेने की अपनी जिद व हठधर्मी छोड़कर किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लें। सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर सरकार द्वारा खरीद की गांरटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए। जब सरकार बार बार कह रही हैं कि समर्थन मूल्य को जारी रखा जाएगा तो इसे कानूनी रूप देने में क्या अड़चन है।

loksabha election banner

कानूनी रूप दिए जाने के बाद देश के हर किसान को एक अधिकार मिल जायेगा और एक-एक दाना समर्थन मूल्य पर बिकेगा। सरकार को राजनीतिक चश्मा उतारकर किसान आंदोलन की गंभीरता को समझें। किसान आंदोलन को विपक्षी पार्टियों के साथ जोड़कर देखना किसानों का सबसे बड़ा अपमान है। सरकार को याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के लोगों को आह्वान करते हुए 'जय-जवान, जय -किसान' का नारा दिया था। किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए और जवानों ने देश की सुरक्षा सुनिश्चित की।

ये किसान ही हैं जो अपने भविष्य को बचाने के लिए ठिठुरती सर्दी की परवाह न करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से चार महीनों से पहले रेलवे और अब दिल्ली को चारों तरफ से घेर रखा है और सभी टोल प्लॉजा को फ्री कर रखा है। किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता में इतना दम नहीं है कि एक रात भी इस ठंड में सड़क पर गुजार सके। कोविड के समय सारा देश अपने घरों में बंद हो गया था तो किसानों ने खेतों में दिनरात काम करके देश की अर्थव्यवस्था को संकट से उभारने का काम किया।

काम बंद होने से प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी बंद हो गई तो इस आंदोलन से जुड़े लोगों ने ही गुरुद्वारों के लंगर को 24 घंटे चलाया और अन्य किसानों ने बेरोजगार श्रमिकों को अपने-अपने तरीके से सहारा दिया। अब भी इस आंदोलन में सैकड़ों लोग अपना बलिदान दे चुके हैं। इस आंदोलन से अकेला किसान ही नहीं देश का हर वर्ग प्रभावित हो रहा है और उनके काम ठप हो रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.