भाजपा केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह बोले- ट्रैक्टर आने के बाद लोगों ने कम कर दी गऊ माता की कद्र
केंद्रीय मंत्री ने कहा बीमार व घायल गाय अपना दर्द हमें बता नहीं सकती लेकिन हमें मानवता के नाते ऐसे जानवरों की देखभाल करनी चाहिए। सेवा करने वालों पर परमात्मा की विशेष कृपा होती है
हिसार/नारनौंद, जेएनएन। यूपी की तरह अब हरियाणा में भी नेता गऊओं को तरजीह देने में लग गए हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, सांसद दुष्यंत चौटाला के बाद अब भाजपा केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने गऊओं के महत्व को बतलाया है। उन्होंने कहा कि गाय की सेवा के लिए गौशालाओं को नई सोच के साथ विकसित करने की जरूरत है ताकि ये आत्मनिर्भर हों और इनके सुचारू संचालन के लिए किसी का मुंह न ताकना पड़े। केंद्रीय इस्पात मंत्री सोमवार देर सायं गांव गुराना की आर्याव्रत गौ संस्थान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गोशाला को 21 लाख रुपये देने की घोषणा की।
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया में केवल भारत में ऐसी संस्कृति और सभ्यता है जहां गऊओं को देवताओं व भगवान के रूप में श्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। हिंदुस्तान में हर व्यक्ति के मन में गऊओं की सेवा करने की जन्मजात भावना होती है। यह हमारे संस्कार ही हैं जिनके कारण हम सदियों से गोसेवा कर अपना जीवन धन्य करते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 50-60 साल में आर्थिक विषमता के चलते हमारे सामाजिक सरोकार बिगड़े हैं। इसी का प्रभाव है कि समाज में गऊओं का महत्व भी कम हुआ है। पहले खेती करने के लिए बैलों की जरूरत होती थी जो गऊमाता से ही पैदा हो सकते हैं लेकिन ट्रैक्टर आने के बाद लोगों ने गऊओं की कद्र कम कर दी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पशु वैज्ञानिकों ने मुझे 3 गाय दिखाई जो 23 से 30 किलो तक दूध देती थीं। मैंने वैज्ञानिकों से कहा कि यदि आप अपने अनुसंधान से इनकी संख्या को 3 से तीस हजार कर सको तो भारत दुनिया में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बन सकता है। इसके साथ ही समाज में गाय की कद्र भी अपने आप बढ़ जाएगी। दरअसल, गऊ हमारी ऐसी सामाजिक संपदा है जो आर्थिक रूप से भी हमारे लिए लाभप्रद साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि जबसे भाजपा सरकार बनी है तब से प्रदेश में नई गौशालाएं भी बहुत खुली हैं। गौसेवा आयोग के माध्यम से सरकार द्वारा गौशालाओं की आर्थिक मदद भी की जा रही है। लेकिन आर्थिक मदद पाते रहने की बजाय यदि हम गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाएं और इनकी आमदनी का स्थाई साधन तैयार कर सकें तो गौशालाओं को किसी से मदद मांगने की जरूरत ही नहीं रहेगी। इसके साथ ही यदि अच्छी नस्ल की गाय विकसित की जाएं जो 12, 15 और 20 किलो दूध दें तो देश में दूध की कमी ही न रहे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भगवान ने केवल इंसान को बोलने की शक्ति दी, अन्य प्राणी व पशु बोलकर नहीं बता सकते हैं। बीमार व घायल गाय अपना दर्द हमें बता नहीं सकती हैं लेकिन हमें मानवता के नाते ऐसे जानवरों की भी देखभाल करनी चाहिए। बीमार व असहाय गाय की सेवा करने वालों पर परमात्मा की विशेष कृपा होती है।