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गठबंधन प्रत्याशियों को बरवाला में नहीं आई ‘कमल’ की खुशबू, हांसी में नहीं लग पाई जीत के ताले को ‘चाबी’

हिसार के हांसी और बरवाला में होने वाले निकाय चुनाव में बीजेपी और जेजेपी के स्थानीय नेता अपनी-अपनी पार्टी की टिकट के लिए सक्रिय थे। प्रदेश के भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा अकेले निकाय चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद ही जजपा में नाराजगी हो गई थी।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 07:39 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 07:41 AM (IST)
गठबंधन प्रत्याशियों को बरवाला में नहीं आई ‘कमल’ की खुशबू, हांसी में नहीं लग पाई जीत के ताले को ‘चाबी’
निकाय चुनाव में हार का ठिकरा एक दूसरे पर फोड़ पार्टी।

हांसी (हिसार), संवाद सहयोगी। हिसार में दो जगह हुए हांसी व बरवाला निकाय चुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन प्रत्याशियों को मिली हार का ठिकरा अब एक-दूसरे के सिर फोड़ा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बरवाला नगरपालिका चुनाव में जजपा के निशान पर चुनाव लडऩे वाले गठबंधन प्रत्याशी रामकेश बंसल को जहां ‘कमल के फूल’ से ज्यादा खुशबू नहीं मिली, वहीं हांसी नगरपरिषद से कमल का फूल के निशान पर चुनाव दंगली में उतरी गठबंधन प्रत्याशी मीनू सेठी का ‘चाबी’ ने ज्यादा साथ नहीं दिया।

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परिणाम यह रहा कि दोनों जगहों से गठबंधन प्रत्याशियों को निर्दलीयों के हाथों मात खानी पड़ी। बरवाला में जजपा प्रत्याशी रामकेश बंसल के समर्थक अपने प्रत्याशी की हार का कारण भाजपा के सिंबल के स्थानीय नेताओं द्वारा साथ न देना मान रहे हैं, वहीं हांसी में मीनू सेठी समर्थक अपने प्रत्याशी की हार का कारण कुछ स्थानीय जजपा नेताओं द्वारा खुलकर निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन करना मान रहे हैं।

पहले ही आ गई थी गठबंधन में खटास

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश के भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा अकेले निकाय चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद ही जजपा में नाराजगी हो गई थी। इस घोषणा के बाद हिसार जिले में दो जगह हांसी व बरवाला में होने वाले निकाय चुनाव में दोनों दलों के स्थानीय नेता अपनी-अपनी पार्टी की टिकट के लिए सक्रिय हो गए थे। इस घोषणा के दो दिन बाद फिर से गठबंधन से चुनाव लडऩे का ऐलान तो जरूर हो गया लेकिन तब तक दिल में खटास घर कर चुकी थी।

परिणाम गठबंधन की आशाओं के अनुकूल नहीं रहा

भाजपा के अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद प्रदेश में कई जगहों पर जजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी थी। इनमें हिसार जिले की बरवाला नगरपालिका के लिए में जजपा ने चाबी का निशान देकर अपना प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतार दिया था और हांसी में पार्टी प्रत्याशी की घोषणा बाकी थी कि दोबारा से गठबंधन की घोषणा हो गई। इस घोषणा के बाद भले ही बरवाला से जजपा प्रत्याशी रामकेश बंसल व हांसी से मीनू भाजपा प्रत्याशी मीनू सेठी गठबंधन प्रत्याशी बन गए हो लेकिन दोनों दलों के स्थानीय नेताओं और समर्थकों के बीच आई दरार पाट न सकी और परिणाम गठबंधन की आशाओं के अनुकूल नहीं रहा।

हांसी में जजपा व बरवाला में भाजपा की नजर

राजनीतिक पंडितों के अनुसार हांसी नगरपरिषद चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी प्रवीन ऐलावादी की जीत के बाद से ही जजपा नेता उनसे संपर्क में है। इतना ही नहीं हांसी से जजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने प्रवीन ऐलावादी का खुलकर समर्थन किया था। वहीं बरवाला नगरपालिका में चेयरमैन का चुनाव जीतने वाले रमेश सरदाना बैटरीवाला पर जिले के भाजपा नेताओं ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।

सूत्र बताते हैं कि रमेश सरदाना बैटरीवाला भाजपा की टिकट के दावेदार थे लेकिन गठबंधन में यह सीट जजपा के खाते में चले जाने से उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में ताल ठोकी थी। सूत्र बताते हैं कि रमेश बैटरीवाला ने टिकट के लिए जोर आजमाइश में अधिक समय देने की बजाय जनता से ज्यादा संपर्क बनाने में विश्वास रखा और वे लगभग एक वर्ष से ज्यादा समय से चेयरमैन का चुनाव लडऩे की तैयारी में लगे हुए थे। पार्टी की टिकट न मिलने पर निर्दलीय के तौर चुनाव लडऩे के लिए रमेश बैटरीवाला पहले से ही पूरी तरह मन बनाए हुए थे।

भाजपा के सर्वे में ऐलावादी थे विनर कंडीडेट

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार निकाय चुनाव की घोषणा के बाद भाजपा द्वारा अपने स्तर पर करवाए गए सर्वे में प्रवीन ऐलावादी विनर कंडीडेट थे। सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने प्रवीन ऐलावादी को पार्टी में शामिल कर चुनावी दंगल में उतारने की अंदरखाते कोशिश भी की थी लेकिन उन्होंने आजाद ही चुनावी मैदान में उतरने का मन बनाया हुआ था। सूत्र बताते हैं कि विधायक विनोद भ्याणा व प्रवीन ऐलावादी के ज्यादा मधुर संबंध नहीं है।

तीसरी बार चेयरमैन की कुर्सी पर बैठेंगे ऐलावादी

हांसी नगरपरिषद से नवनिर्वाचित चेयरमैन प्रवीन ऐलावादी तीसरी बार हांसी नगरपरिषद में चेयरमैन की कुर्सी पर विराजमान होंगे। इससे पहले वे दो बार चेयरमैन के रूप में नगरपरिषद का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार सीधा चेयरमैन का चुनाव होने पर उन्हें जनता द्वारा चेयरमैन की कुर्सी देकर नगरपरिषद भेजा गया है। खास बात यह है कि पिछले लगभग 30 वर्षों से प्रवीन ऐलावादी या उनके परिवार का सदस्य पार्षद बनता आ रहा है।


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