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बीरेंद्र चौधरी की पत्‍नी ने बीजेपी को घेरा, कहा जाट आरक्षण को हलके में लेकर की बड़ी गलती

पूर्व विधायक प्रेमलता ने बीजेपी सरकार पर कटाक्ष किया जबकि वो खुद बीजेपी नेत्री हैं और उनके पति बीरेंद्र चौधरी बीजेपी पूर्व मंत्री है तो बेटा बृजेंद्र चौधरी बीजेपी सांसद हैं

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 02:17 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 02:17 PM (IST)
बीरेंद्र चौधरी की पत्‍नी ने बीजेपी को घेरा, कहा जाट आरक्षण को हलके में लेकर की बड़ी गलती
बीरेंद्र चौधरी की पत्‍नी ने बीजेपी को घेरा, कहा जाट आरक्षण को हलके में लेकर की बड़ी गलती

रोहतक, जेएनएन। जसिया में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के कार्यक्रम में उचाना की पूर्व विधायक प्रेमलता ने बीजेपी सरकार पर कटाक्ष किया, जबकि वो खुद बीजेपी नेत्री हैं और उनके पति बीरेंद्र चौधरी बीजेपी में पूर्व मंत्री है तो बेटा बृजेंद्र चौधरी बीजेपी की ओर से हिसार के सांसद हैं।

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उन्होंने कहा कि जो युवा जेलों में बंद हैं बाहर आने पर लोग कहेंगे कि किसे मारकर आया है। लोग अपनी बेटियों को देने से भी डरेंगे। ऐसे बच्चों के बारे में सरकार को सोचना होगा। उन्हें रिहा करे और नौकरी भी दे। जाट आरक्षण में हम किसी का हक मारने की बात नहीं कर रहे, बल्कि अपने हक की बात कर रहे हैं, लेकिन आपने देखा होगा कि चार साल पहले 35-1 का नारा चला था। हमें बाहर कर दिया गया।

पूर्व विधायक ने कहा कि हरियाणा तो जाटों का है। यहां 50 फीसद से ज्यादा जाट हैं और हमें कहा जाता है कि यह अकेली बिरादरी है। आपने देखा होगा कि 2019 के चुनाव में सरकार बेशक बन गई हो, लेकिन सरकार ने महसूस किया है कि हमने बड़ी गलती की है, जो जाटों के आरक्षण को हलके में लिया।

जाट समाज मांग कर रहा है कि 27 प्रतिशत तुम ले लो और तीन प्रतिशत हमें दे दो। जाट छह जातियों के लिए आरक्षण मांग कर रहे हैं। जब यादवों को आरक्षण मिल सकता है और दूसरे खेतीबाड़ी करने वालों को आरक्षण मिल सकता है तो जाटों में क्या दिक्कत है। लोग जाटों की बड़ी गाडिय़ों को देखकर कहते हैं कि इन्हें आरक्षण की क्या जरूरत है। अरे मेहनत करता है तो वह गाड़ी नहीं ले सकता क्या।

बता दें कि यशपाल मलिक के साथ मंच साझा कर इस तरह का बयान दिए जाने के बाद प्रेमलता चर्चा में बनी हुई हैं। इसे राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है तो वहीं कांग्रेस की ओर से नलवा सीट पर प्रत्‍याशी रहे रणधीर पनिहार भी मंच पर नजर आए। देखा जाए तो जाट आरक्षण मामले में अभी भी राजनीतिक पार्टियां अपनी रूचि बनाए हुए हैं।


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