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Rohtak IMH: मानसिक रोगों पर बड़ा शोध, सीजोफ्रेनिया के मरीजों के साथ तीमारदार भी हो रहे शिकार

हरियाणा के रो‍हतक पीजीआइ में मानसिक रोगों पर बड़ा शोध हुआ है। इस शोध में कई महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों का खुलासा हुआ है। इसमें पता चला है कि सीजोफ्रेनिया के मरीजाें के संग उनकी देखभाल करने वाले भी गंभीर तनाव के शिकार हो रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:40 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:40 AM (IST)
Rohtak IMH: मानसिक रोगों पर बड़ा शोध, सीजोफ्रेनिया के मरीजों के साथ तीमारदार भी हो रहे शिकार
रोहतक के स्‍वास्थ्‍य विश्‍वविद्यालय के आइएमएच में मानसिक रोगों पर बड़ा शोध हुआ है।

रोहतक, [पुनीत शर्मा]।  यहां स्‍वास्थ्‍य विश्‍वविद्यालय (Health university) में मानसिक रोगों पर बड़ा शोध हुआ है। सीजोफ्रेनिया (खंडित दिमाग) के मरीजों के साथ-साथ उनके तीमारदार भी गंभीर श्रेणी के तनाव का शिकार हो जाते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विवि के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (आइएमएच) संस्थान के डाक्टरों के शोध में यह बात सामने आई है। शोध में एक साल से ज्यादा बीमार लोगों के 128 तीमारदारों को शामिल किया गया। सभी गंभीर श्रेणी के तनाव का शिकार पाए गए।

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इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में डाक्टरों की टीम ने किया शोध

चिकित्सक डाक्टर भूपेंद्र ने ऐसे मरीजों के तीमारदारों पर रिसर्च की। एसआइएमएच निदेशक डा. राजीव गुप्ता, चिकित्सक डा. प्रीति और डा. पुरुषोत्तम के साथ किए गए शोध में विभाग में आए कुल 684 लोगों को शामिल करते हुए रैंडमली प्रत्येक चौथे मरीज और उनके तीमारदारों की सूची तैयार कर 171 तीमारदारों को चिह्नित किया। इनमें से 43 तीमारदारों को शोध में शामिल होने के पात्र नहीं पाया।

मरीज की हरकत, देखभाल और गतिविधि बढ़ा देती है परेशानी

128 लोगों को दो समूहों में बांटते हुए उन पर शोध किया गया। इसमें जो निष्कर्ष निकलकर सामने आया, उससे चिकित्सक भी हैरान रह गए। शोध में डिप्रेशन एंग्जाइटी स्ट्रेस स्केन और बर्डन असेंसमेंट शेड्यूल की थ्योरी को इस्तेमाल किया गया। हालांकि दो वर्गों में मरीजों को बांटने के बाद एक वर्ग के मरीजों में डिप्रेशन व अन्य समस्याएं दूसरे वर्ग की अपेक्षा अधिक पाई गई, क्योंकि एक वर्ग के मरीजों की काउंसिङ्क्षलग की गई थी, जबकि दूसरे वर्ग के मरीजों का काउंसिङ्क्षलग नहीं की गई।

यह है सीजोफ्रेनिया

सीजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज अपने परिवार के सदस्यों पर शक करने के साथ ही उसे बातचीत में परेशानी, आवाजें आना (हैलुसिनेशन), नकारात्मक सोच और खुद की देखभाल करना भूल जाता है। ऐसे मरीजों का उपचार लंबा चलता है।

बीमारी                    शोध में स्कोर         आदर्श सूचकांक (सीवियर)

डिप्रेशन-                    22.23-                    21-27

एंग्जाइटी-                  20.50-                    15-19

स्ट्रेस-                        36.11-                     26-33

पारिवारिक दवाब-        42.08-                     0-10

बीमार मरीज के साथ आते हैं शिक्षित तीमारदार

स्वजनों को भी लगने लगा है कि मरीज के साथ अस्पताल में पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही जाए, क्योंकि वहां पर चिकित्सक मरीज की बीमारी और उपचार से संबंधित विभिन्न परामर्श तीमारदार को ही देते हैं।

शैक्षणिक योग्यता              मरीज                     तीमारदार

पांचवीं पास-                    48 फीसद                25 फीसद

10वीं पास-                     30 फीसद                 32 फीसद

12वीं पास-                     10.15 फीसद-            27 फीसद

ग्रेजुएट-                          03 फीसद-              14.84 फीसद

अशिक्षित-                      09 फीसद                  00 फीसद।

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