भाटला मेरे पेटवाड़ गांव से कुछ ही दूरी पर, इसलिए मैं खुद को सुनवाई से अलग कर रहा हूं
सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने अदालत को बताया कि मामला हरियाणा के गांव भाटला में दलित समाज के सामाजिक बहिष्कार से जुड़ा है तो बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता को बीच में ही रोकते हुए कहा कि भाटला उनके गांव पेटवाड से कुछ ही दूरी पर है इसलिए वह इस मामले से खुद को अलग कर रहे हैं जिसके बाद मामले की सुनवाई बेंच द्वारा स्थगित कर दी गई। अब मामले की सुनवाई अगले सप्ताह लिस्ट होने के आसार हैं।
संवाद सहयोगी, हांसी (हिसार) : भाटला गांव के चर्चित सामाजिक बहिष्कार के मामले की सीबीआइ जांच की मांग से संबंधित याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस रमन्ना व जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्वेस व रजत कलसन पेश हुए।
अधिवक्ता रजत कलसन ने बताया कि सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने अदालत को बताया कि मामला हरियाणा के गांव भाटला में दलित समाज के सामाजिक बहिष्कार से जुड़ा है तो बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता को बीच में ही रोकते हुए कहा कि भाटला उनके गांव पेटवाड से कुछ ही दूरी पर है इसलिए वह इस मामले से खुद को अलग कर रहे हैं, जिसके बाद मामले की सुनवाई बेंच द्वारा स्थगित कर दी गई। अब मामले की सुनवाई अगले सप्ताह लिस्ट होने के आसार हैं।
कलसन ने बताया कि भाटला के सामाजिक बहिष्कार प्रकरण के मामले में गांव के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले अजय भाटला, जयभगवान सोडी, सुनील, विकास तथा अमिताभ दहिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सामाजिक बहिष्कार मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी जिस पर अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, सीबीआइ तथा सामाजिक बहिष्कार की आरोपी भाईचारा कमेटी को तलब कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विशेष जांच टीम गठित करने के लिए याचिकाकर्ताओं तथा हरियाणा सरकार से चार-चार पुलिस अधिकारियों के नाम मांगे थे। याचिकाकर्ताओं ने यह नाम पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिए थे, वहीं सरकार की तरफ से यह नाम अभी तक नहीं दाखिल किए गए। अधिवक्ता कलसन ने बताया कि मंगलवार को फैसला आने के आसार थे, परंतु जस्टिस सूर्यकांत के खुद को मामले से अलग करने के चलते सुनवाई स्थगित हो गई।