रोजाना नहलाने से पालतू जानवरों को हो सकता है फंगल इन्फेक्शन, महीने में एक बार नहलाएं
रोजाना नहलाने से पालतू जानवरों के शरीर अच्छे से सूख नहीं पाता और ह्यूमिडिटी रह जाती है। यह ह्यूमिडिटी संक्रमण का कारण बनती है।
हिसार, जेएनएन। घरों में हम अक्सर अपने पालतू डॉग या बिल्ली को रोजाना नहलाते हैं, ताकि वह साफ रहें, जिससे दूसरे घर के सदस्यों को किसी प्रकार की बीमारी न हो। क्योंकि अक्सर हमारे पालतू जानवर घर के लोगों के सीधे संपर्क में या कहें कि करीब रहते हैं। मगर यह रोजाना नहलाने की प्रैक्टिस आपके जानवर के लिए बीमारी का कारण बन सकती है।
इंडियन सोसाइटी फॉर वेटरनरी सर्जरी के निवर्तमान अध्यक्ष व वरिष्ठ वेटरनरी सर्जन डा. गजराज ङ्क्षसह बताते हैं कि पालतू पशुओं को रोजाना नहलाने से उन्हें फंगल इन्फेक्शन की शिकायत हो जाती है, क्योंकि नहलाने से पालतू जानवरों के शरीर अच्छे से सूख नहीं पाता और ह्यूमिडिटी रह जाती है। यह ह्यूमिडिटी संक्रमण का कारण बनती है। दरअसल लाला लाजपत राह पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में सर्जरी विषय पर तीन दिन की कांफ्रेंस आयोजित हुई, जिसमें देशभर से आए पशु विज्ञानियों ने पालतू पशुओं के व्यवहार, उनकी बीमारियों और बदलते ट्रेंडस पर शोध पत्र प्रस्तुत किए।
छोटे जानवरों को नहीं आता पसीना
डा. गजराज ङ्क्षसह बताते हैं कि अक्सर लोग मानते हैं कि इंसानों की तरह जानवरों को भी पसीना आता है और वह बदबूदार हो जाते हैं। मगर डॉग हो या बिल्ली किसी को भी पसीना नहीं आता है। इसलिए इन्हें रोज नहलाने की आवश्यकता नहीं है। एक माह में एक बार नहलाया जा सकता है, कोशिश करें कि आप पानी के स्थान पर टेलकम पाउडर का प्रयोग करें। मगर रोजाना टहलाने के बाद इनके पंजे साफ करना बहुत जरूरी है क्योंकि पंजों के साथ कई अनचाहे वैक्टीरिया आपके घर में भी चले आते हैं, जो आपको भी बीमार कर सकते हैं।
बड़े शहरों में लोग डॉग की अपेक्षा बिल्लियों को कर रहे पसंद
पहले अक्सर लोग डॉग को पालने में अधिक विश्वास रखते थे क्योंकि वह वफादार और मालिक के प्रति प्रेम को भी जाहिर करता। मगर वेटरनरी चिकित्सक बताते हैं कि पिछले पांच वर्षों में यह ट्रेंड बदल गया है। अब डॉग की तुलना में बिल्लियों का परिवार बढ़ रहा है। क्योंकि यह छोटी जगह में आ जाती है, आसानी से सिखाया जा सकता है, अधिक शोर नहीं मचाती और रोजाना घुमाने की बंदिश भी नहीं है। ऐसे में लोग बिल्लियों को अधिक पसंद कर रहे हैं। वह बताते हैं कि गुरुग्राम में कुल 60 फीसद घरों में पालतू जानवर हैं, जिसमें से 20 प्रतिशत बिल्लियां हैं। इसके साथ ही देश के दूसरे शहरों में भी यह चलन बढ़ रहा है।