सफेद सच: खिलाड़ियों के खिलाड़ी को घेरने चले अनाड़ी, पढ़़े़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
रामबिलास शर्मा पार्टी कार्यक्रमों में भागीदारी करना हो या चंडीगढ़ जाना हो तो भले घर पर न मिलें लेकिन सामान्य दिनों में अपने आवास पर ही अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत करते हैं। सफेद सच कॉलम में पढ़ें हरियाणा की रोचक खबरें...
हिसार [जगदीश त्रिपाठी]। हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री रह चुके पंडित रामबिलास शर्मा बीता चुनाव हारने के बाद महेंद्रगढ़ स्थित अपने आवास पर ही रहते हैं। पार्टी कार्यक्रमों में भागीदारी करना हो या चंडीगढ़ जाना हो तो भले घर पर न मिलें, लेकिन सामान्य दिनों में अपने आवास पर ही अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत करते हैं। वैसे तो उनकी वरिष्ठता का लिहाज सभी करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के कुछ लोग उनकी संभावनाओं पर कुल्हाड़ी चलाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोग चाहते थे पंडित जी को बरोदा उपचुनाव में उतार दिया जाए और फिर प्रयास कर परिणाम विपरीत लाकर उनकी संभावनाएं खत्म कर दी जाएं। लेकिन पंडित जी ठहरे खिलाडिय़ों के खिलाड़ी, वह ऐसे लोगों की मंशा समझते थे। पंडित जी खुद भी चाहते थे कि योगेश्वर दत्त का टिकट न कटे, इसलिए उन्होंने ऐसा जुगाड़ बैठाया कि जो अनाड़ी खिलाड़ी उनका नाम उछाल रहे थे, उन्हेंं फटकार लग गई।
कुंडू में बल बहुत है, पर राज भाजपा का है
रोहतक जिला परिषद के पिछले चुनाव में कुंडू के बल पर भाजपा का राज हो गया था। सत्ता भी थी और कुंडू का खुद का बल भी। समीकरण बन गए और बलराज कुंडू चेयरमैन बन गए। उसके बाद कुंडू मानकर चल रहे थे कि भाजपा उन्हेंं महम से विधानसभा चुनाव लड़ाएगी, लेकिन टिकट नहीं मिला। वह निर्दलीय लड़ गए। जीते। मंत्री बनने के लिए निर्दलीयों के साथ लाबिंग भी की पर भाजपा ने उपेक्षा की। अब बरोदा उपचुनाव आया तो कांग्रेस के टिकट से हाथ धो बैठे कपूर नरवाल को पंचायती उम्मीदवार बता समर्थन देने की घोषणा कर दी। फिर जब लगा कि नरवाल नामांकन वापस ले लेंगे तो समर्थन वापस ले लिया। बोले, अब अपना बल भाजपा को हराने में लगाएंगे। पर दिक्कत यह है कि वह सफल हो गए तो भी राज तो भाजपा का ही रहेगा और जिसके पास राज होता है, उसी के पास बल होता है।
जो लड़ेगा, उसके खिलाफ कानून अपना काम करेगा
महम के विधायक बलराज कुंडू भले ही भाजपा को पानी पी पीकर कोसते हों, लेकिन वह दो वर्ष पहले तक भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते थे । जब कैलाश विजयवर्गीय हरियाणा भाजपा के प्रभारी थे तो कुंडू पर उनका वरदहस्त था। कुछ लोग कहते हैं कि विजयवर्गीय का आशीष अब भी उनके साथ है । यह तर्क दिया जाता है कि कुंडू का अधिकांश कारोबार मध्यप्रदेश में ही है। यह सच भी है, लेकिन उसमें विजयवर्गीय का कोई योगदान है या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं। वैसे तो कुंडू ने मंत्री न बनाए जाने के बाद से ही भाजपा से पंगा लेना शुरू कर दिया था, लेकिन इधर ज्यादा आक्रामक होने लगे तो अचानक उनके और उनकी कंपनी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ गुरुग्राम में एफआइआर दर्ज हो गई। अब कुंडू कह रहे हैं कि यह राजनीतिक साजिश है। उधर भाजपाई वेदवाक्य बन चुका वाक्य दोहरा रहे हैं-कानून अपना काम करेगा।
इनेलो को दोहरा लाभ
रादौर के पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा ने इनेलो का चश्मा लगा लिया है। कई दलों का अनुभव रखने वाले राणा 2014 का चुनाव भाजपा के टिकट से जीते थे। उस समय प्रदेश में अभय चौटाला और प्रदेश के पूर्व आइपीएस अधिकारी पीवी राठी के दो ओलंपिक संघ चल रहे थे। दोनों में विवाद को देखते हुए राणा ने एक और ओलंपिक संघ बना लिया। सोचा था कि सरकार अपनी है, अपना संघ ही प्रभावी हो जाएगा। बाकी दोनों किनारे लग जाएंगे, लेकिन सरकार ने इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं ली। फिर टिकट भी काट दिया। यह आरोप अलग से लगा कि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के विरोध में काम किया। सो, राणा जी ने पार्टी को अलविदा कह दिया। अब उनके इनेलो में शामिल होने से इनेलो को दो फायदे होंगे, पहला पार्टी को एक राजपूत चेहरा मिल जाएगा, दूसरा उनका ओलंपिक संघ अभय चौटाला वाले संघ में घुलमिल जाएगा।