बरसाती पानी से बधावड़ के खेत बने तालाब
जींद रोड पर खंड बरवाला के गांव बधावड़ के खेतों में भरा है बरसाती पानी।
फोटो न0- 19 एचआईएस 49
संवाद सहयोगी, बरवाला : जींद रोड पर खंड बरवाला के गांव बधावड़ के खेतों में लंबे समय से बरसाती पानी जमा है। आलम यह है कि खेतों में दो से 3 फीट तक पानी जमा है। इस कारण खेतों ने तालाब का रूप धारण कर लिया है। नरमा, कपास, धान, बाजरा, हरा चारा तथा अन्य फसलें पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है। इतना ही नहीं यह फसलें तो खराब हो ही चुकी है आगे की फसलों की बिजाई के लिए भी अभी कोई आसार नजर नहीं आते। वही खेतों में जलभराव के कारण नष्ट हुई फसलें खुद अपनी गवाही दे रही है। वैसे तो बधावड़ खंड बरवाला का गांव है। परन्तु यह गांव उकलाना विधानसभा में पड़ता है। विधायक के रूप में यहा का प्रतिनिधित्व राज्य मंत्री अनूप धानक करते है। किसानों के अनुसार मंत्री महोदय ने भी उनकी कोई सुध नही ली। सरकार और प्रशासन की इस बेरुखी के कारण किसानों में बेहद रोष है। बधावड़ के किसान खुद ही जद्दोजहद करके अपने खेतों से बरसाती पानी की निकासी कर रहे हैं और उस पानी को बरवाला ब्रांच नहर में डाल रहे हैं। किसानों ने बताया कि प्रशासन द्वारा तीन.चार दिन पहले ही एक प्लास्टिक की पाइप लगाई गई है जो कुछ घंटे चलने के बाद ही बंद कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अधिकारी आते हैं और देख कर चले जाते हैं। परंतु कोई भी मदद करने को नहीं आता और ना ही पानी निकासी का कोई इंतजाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से बधावड़ के खेतों में बरसाती पानी भरा है। खेतों में बनी ढाणियों में रहने वाले लोगों को अपने पशुओं समेत अन्य स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। उनकी तमाम फसलें चौपट होने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि धान तथा नरमा कपास की फसल किसानों ने काफी पैसा लगाकर तैयार की थी। यह फसलें बिल्कुल पकने को थी कि ऐन मौके पर भारी बरसात आ गई। कई दिन बरसात आने के कारण उनके खेतों में पानी भर गया। लगातार पानी भरे रहने के चलते उनकी फसलें बिल्कुल नष्ट हो गई है। गांव के बाहरी इलाके में बसाई गई नई बस्ती के इलाके में भी पानी भरा हुआ है। इस बस्ती के रिहायशी इलाके को कुछ लोगों ने तो खाली भी कर दिया है। क्योंकि उनके आने जाने का रास्ता नहीं है। ऐसे में उनके मकान गिरने का भी अंदेशा है। बधावड़ के किसानों तथा ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव के किसानों के आधे से ज्यादा खेतों में फसलें नष्ट हो चुकी हैं। इसलिए सरकार को यहां का विशेष सर्वे करवाकर शत प्रतिशत मुआवजा देना चाहिए तथा पानी निकासी का बंदोबस्त करना चाहिए ताकि आगे की फसलों की भी बिजाई हो सके।