बाबे नानक दी हट्टी.. हर जरूरतमंद की मदद करना ही यहां का धर्म
डबवाली की सिख संगत जरूरतमंद परिवारों को राशन मुहैया करवा रही है। इसके लिए संगत ने गुरुद्वारा बाबा विश्वकर्मा में बाबे नानक दी हट्टी खोली हुई है।
डबवाली [डीडी गोयल]। किसी जमाने में राय बुलार के राशन डिपो पर कार्य करते हुए गुरुनानक देव ने सारा राशन तेरा ही तेरा कहकर जरूरतमंदों में बांट दिया था। उसी तर्ज पर डबवाली की सिख संगत भी ऐसे परिवारों को राशन मुहैया करवा रही है, जिनके घरों में कमाने वाला कोई नहीं है। इसके लिए संगत ने गुरुद्वारा बाबा विश्वकर्मा में बाबे नानक दी हट्टी खोली हुई है।
यहां जरूरतमंद अर्जी दाखिल कर जाते हैं, पात्रता तय होने पर देसी माह की पहली तारीख को एक माह का राशन मिल जाता है। खास बात यह है कि बाबे नानक दी हट्टी में धर्म नहीं, सिर्फ जरुरतमंद देखा जाता है। हरियाणा के अंतिम छोर पर पंजाब से सटे डबवाली इलाके की संगतों की यह सेवा विदेशों में चर्चा का विषय बनी हुई है। तभी तो सिंगापुर, हांगकांग तथा कनाडा में बसे सिख परिवार मदद मुहैया करवा रहे हैं।
हमारा तो यही सहारा है
जरूरतमंद परमेश्वरी देवी के लिए बाबे नानक दी हट्टी किसी सहारे से कम नहीं है। उनका कहना है कि 12 साल पहले बेटे की मौत हो गई थी। 9 माह पहले पति चल बसा। दामाद आठ साल पहले साउथ अफ्रीका गया था और फिर वापस नहीं लौटा। बेटी तथा दो दोहतियां उनके पास ही रहती हैं। घर पर कमाने वाला कोई नहीं। इसलिए बाबे नानक दी हट्टी की चौखट पर आकर राशन ले जाती हैं। उसी से अपना तथा अपने परिवार का पेट पालती हैं। दिव्यांग बाबू राम आपबीती सुनाते-सुनाते रोने लग जाता है। वह बताता है कि भेड़-बकरियां चराता था। करीब पांच दशक पहले करंट लग गया। उस हादसे में दोनों बाजू नहीं रही, इस वजह से वह दिव्यांग हो गया। उसका बेटा मजदूरी करता है।
दो परिवारों की पीड़ा देख शुरू किया कार्य
17 जून 2019 को बाबे नानक दी हट्टी की शुरुआत यूं ही नहीं हुई थी। गुरुद्वारा बाबा विश्वकर्मा के प्रधान सुखविंद्र सिंह बताते हैं कि शुगर रोग के चलते गुरुद्वारा के एक ग्रंथी की टांग काटनी पड़ी थी। परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया। बच्चे भीषण गर्मी में नंगे पांव सड़क पर मिले तो सुध ली। सिख संगत बच्चों का पीछा करते हुए घर पहुंची तो पता चला एक समय की रोटी खाने के लिए राशन नहीं है। वहीं एक हादसे में वृद्ध मां के बेटे की टांग कट गई। वही घर पर कमाने वाला था। दोनों ही मामलों को देखकर दिल पसीज सा गया, कुछ करने की चाह हुई तो बाबे नानक दी हट्टी याद आई।
कौन थे राय बुलार
नानक देव में बचपन के समय से ही इनमें श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गांव के शासक राय बुलार प्रमुख थे। राय बुलार का अपना राशन भंडार था, जिससे जरूरतमंदों को राशन दिया जाता था।
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