Ayodhya Ram mandir News: राम भक्तों पर 35 राउंड चली थीं गोलियां, 8 सहयोगियों की मौत मगर नहीं डगमगाया था हौसला
हिसार के गांव काजला के घनश्याम ने अयोध्या जाकर कारसेवा की थी। उन्होंने बताया कि रामभक्तों पर 35 राउंड गोलियां चली थीं। आठ सहयोगियों की मौत हुई थी लेकिन हौसला नहीं टूटा।
हिसार, [सुनील सेन]। राम मंदिर निर्माण में कई कार सेवकों का लहू बहा है। ऐसी ही एक कहानी हिसार के गांव काजला निवासी घनश्याम की है। वह बताते हैं कि मंदिर निर्माण के कार सेवा का जोश उबाल मार रहा था। बात अक्टूबर 1990 की है उस समय उम्र करीब 22 साल रही होगी। मैंने बीए पास की थी। सन 1986 समय बरजंग दल जिला हिसार का प्रभारी था। प्रदेश मंत्री विजय शर्मा व बजरंग दल प्रभारी प्रद्यूमन शर्मा विश्व हिंदू कैलाश सिंघल केन्द्रीय नेताओं के आह्वान पर हिसार से एक जत्था कार सेवा के लिए तैयार हो गया। मैंने जैसे तैसे अपने परिजनों को कार सेवा में जाने के लिए मनाया और परिजनों के राजी होने पर मेरी फिक्र मत करना जिंदा लौटूं या शव राम सेवा में जा रहा हूं इतना कहकर अपने गांव से निकल पड़े और हिसार में अपने बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ चने और गुड थैले में लेकर दिल्ली के लिए बस में बैठ श्रीराम के जयकारे लगाते हुए अयोध्या के लिए रवाना हो गए।
दिल्ली से फैजाबाद के लिए पकड़ी थी ट्रेन
20 अक्टूबर को दिल्ली से फैजाबाद के लिए ट्रेन पकड़ ली रास्ते में उन पर किसी को कोई शक ना हो इसलिए आपस में उन्होंने कोई बातचीत नहीं की। यूपी सरकार व प्रशासन के कार सेवकों को अयोध्या आने रोकने के लिए सख्त आदेश थे। वे अपने साथियों के साथ सारी रात ट्रेन में चलने के बाद अलसुबह ट्रेन लखनऊ में पहुंचते ही उन्हे ट्रेन से नीचे उतार लिया गया और बसों में बैठाकर उन्नाव जेल में रोक दिया गया। घनश्याम शर्मा ने बताया कि उन्नाव वही जेल थी जिस जेल में आजादी की लड़ाई लडऩे वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को कैद किया गया था, और वो उस जेल को तोड़ कर वहां से फरार हो गए थे उस जेल में रहना भी उनके लिए अलग अनुभव रहा।
रामभजन सहन नहीं करते थे अफसर
अपने साथियों के साथ 23 अक्टूबर से 7 नवम्बर तक करीब 15 दिन उन्नाव जेल में बिताए। उसी जेल में हरियाणा के घंरोडा के साथी भी कैद थे वो साथ में मिलकर दिनभर जेल में राम भजन कीर्तन किया करते। घनश्याम शर्मा ने बताया कि उस जेल के सभी अधिकारी एक समुदाय विशेष के थे और वो रामभजन सहन नहीं कर सकते थे। उनकी रामसेवा से परेशान होकर तत्कालीन जेलर ने वहां की एक महिला डीएम को जेल में बुलाया जिसने उनको धमकाते हुए भजन कीर्तन आदि बंद करने के लिए लेकिन वो नहीं माने और उसी दिन घरोंडा के साथियों पर जेल प्रशासन व अन्य समुदाय विशेष के लोगों ने मिलकर हमला कर दिया जब शोर सुनकर वो अपने साथियों के साथ रामसेवकों को बचाने गए तो जेल प्रशासन ने उन पर 35 राउंड गोलियों की बौछार की जिसमें कई साथी घायल हो गए। जब देर सायं मामला शांत हुआ तो उन्होंने अपने साथियों की गिनती कि तो पता लगा कि घरौंडा के उनके 8 सहयोगी गायब उनके बिस्तर और थैले मिले लेकिन वो नहीं मिले। दो दिनों बाद उन्हे पता लगा कि उनके 8 सहयोगियों को जेल के पास बहते एक गंदे नाले के पास दफनाया हुआ था। दुखद सूचना से उनको गहरा झटका लगा लेकिन उनका हौंसला नहीं टूटा और रामधुन में लगे रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के आदेशानुसार उन्हे जेल से रिहा किया गया।
लहूू से लाल हो चुकी थी अयोध्या की सड़कें
जेल से रिहा होने के बाद वे सीधे अयोध्या गए तो वहां का मंजर देखा तो दिल दहल गया सड़को पर जैसे लाल रंग की होली खेली गई हो ऐसे राम सेवकों के खून से सड़के लाल हुई पडी थी। दिगंंबर आखाड़ा के मंहत रामचंद्र परमहंस के पास कुछ देर ठहरे उन्होंने दो दिन हुई कार सेवा और राम सेवकों पर सरकारी अत्याचार का पूरा वंर्तान्त उन्हे सुनाया। नम आंखों से वे सबसे पहले सरयू नदी में स्नान कर फिर हनुमानगढ़ी गए वहां से रामलला के दर्शन व पूजा आदि कर अपने अपने घरों को लौटे। घनश्याम शर्मा ने बताया कि 5 अगस्त को करोड़ो राम सेवकों का सपना पूरा होने जा रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन होने पर उनका देखा सपना पूरा हुआ। हजारों कार सेवकों की मौत का कर्ज पूरा हो गया। काजला निवासी घनश्याम शर्मा इन दिनों भाजपा में हिसार जिला सचिव व हल्का आदमपुर में एमिनैन्ट सिटीजन (सी एम विंडो) सहित केंद्रिय सरकार द्वारा मनोनित अश्व अनुसंधान व रिसर्च सेंटर कमेटी में बतौर सदस्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं।