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Ram mandir bhumi pujan: छह दिन 120 किमी पैदल चल अयोध्या पहुंचे, विवादित ढांचे को गिरते देखा

राम जन्‍मभूमि आंदोलन में रोहतक से ट्रेन के माध्यम से कार सेवक अयोध्या गए थे। कोई गाजियाबाद कोई कानपुर और गोंडा में पकड़ लिया गया कुछ पहुंच गए थे। उन्‍होंने अपने अनुभव बताए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 03:32 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 03:32 PM (IST)
Ram mandir bhumi pujan: छह दिन 120 किमी पैदल चल अयोध्या पहुंचे, विवादित ढांचे को गिरते देखा
Ram mandir bhumi pujan: छह दिन 120 किमी पैदल चल अयोध्या पहुंचे, विवादित ढांचे को गिरते देखा

रोहतक [ओपी वशिष्ठ] राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की शुभ घड़ी आते ही रामभक्त उत्साहित हैं। अब राम भक्तों को खुशी है कि वर्षों पहले किए संघर्ष और त्याग का प्रतिफल दुनिया के सामने होगा। 1990 और 1992 में कार सेवा में शामिल रहे कार सेवकों ने पुराने दिनों के तमाम किस्से सुनाए। राम मंदिर निर्माण का जुनून ही कहेंगे कि पैदल ही करीब 120 किमी चलकर अयोध्या पहुंचे। जय श्रीराम के नारों से अयोध्या गूंजते हुए मिली। लाठियां खार्ईं। रामभक्तों पर गोलियां बरसते हुए देखीं। विवादित ढांचा भी आंखों के सामने ही ध्वस्त होते हुए देखा।

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राम मंदिर आंदोलन की कहानी, कार सेवकों की जुबानी

1. कच्ची खेतों की पगडंडियों से पैदल ही अयोध्या तक पहुंचे : रमेश गोयल

बनवासी कल्याण आश्रम के हरियाणा कोषाध्यक्ष रमेश गोयल कहते हैं कि मेरी उस वक्त करीब 34 साल उम्र थी। रणनीति के तहत सभी 15 सदस्य अलग-अलग बैठे। कोई आपस में वार्ता नहीं करता। माहौल ऐसा बनाया कि कोई किसी को नहीं पहचानता। कानपुर में इन्हें पकड़ लिया। वहां पहुंचकर पुलिस से बचकर लोगों से रास्ता पूछा। खेतों के कच्चे रास्तों और नहरों के किनारे चलते हुए छह दिन में अयोध्या तक पहुंचे। करीब 120 किमी का रास्ता तय किया। अयोध्या में सरयू के दूसरी पार तक पहुंच गए। वहां सेना का सख्त पहरा था। पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। गोली भी वहां बरसीं। फिर भी जोश ठंडा नहीं हुआ। 1992 की कार सेवा में भी शामिल हुए।

2. गाजियाबाद में पकड़ा तो तेल खरीद के पुराने पर्चे दिखाकर लखनऊ पहुंचे : सुरेश बंसल

राष्ट्रीय स्वयं संघ के रोहतक नगर के संघ चालक 70 वर्षीय सुरेश बंसल रोहतक से ट्रेन के माध्यम से 15 सदस्यीय कार सेवक अयोध्या के लिए रवाना हो गए। कार सेवकों में प्रीतम आहूजा, रमेश गोयल, सुरेश गोयल, सतीश कत्याल, प्रेम खुराना, हरीश चावला, महेंद्र अहलावत, रमेश बल्हारा आदि शामिल थे। इन्होंने बताया है कि रणनीति पहले ही तय हो गई थी कि पकड़े जाएं तो टीम लीडर बचकर कैसे भी अयोध्या तक जाने की कोशिश करें। रणनीति का दूसरा हिस्सा यह भी था कि पुराने खरीद के सामान के बिल भी साथ ले गए। गाजियाबाद पहुंचने पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। कुछ लोग उतार लिए। जब मेरे पास पुलिस आई तो लखनऊ से तेल खरीदने के पुराने पर्चे दिखा और खुद को व्यापारी बताया। बाद में लखनऊ पहुंचे और वहां गिरफ्तार हो गए।

3. सरकार ने गोंडा में ही ट्रेन रुकवाई, लोगों में सेवाभाव था गजब : सुरेश गोयल

अनाज मंडी में आढ़ती सुरेश गोयल ने बताया है कि सरकार ने रणनीति के तहत ट्रेन गोंडा में रुकवा ली। 52 वर्षीय सुरेश ने बताया है कि 1990 में गोंडा में पहुंचे तो कच्चे रास्तों से अयोध्या तक पहुंचे। रास्ते में सेवाभाव लोगों का देखने लायक था। जिस गांव से भी गुजरे लोग भोजन, मीठा और पानी लेकर खड़े मिलते। 1992 में उत्तर प्रदेश में कल्याण ङ्क्षसह की सरकार आई तो अयोध्या तक पहुंचने में कोई अड़चन नहीं आई। करीब पांच-छह लाख लोग वहां पहुंच गए थे। हालांकि भीड़ बढऩे से संक्रमण का खतरा होने से अपील की जा रही थी वापस जाएं। उस दौरान बच्चा-बच्चा राममय था। आंखों के सामने भारी भीड़ के बीच से विवादित ढांचा ढहते हुए देखा।


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