पंचायत चुनाव में राज्य मंत्री की चाची और पूर्व राज्यसभा सदस्य रामजीलाल के बेटे को मिली शिकस्त
हिसार में पंचायत चुनाव में दो राजनीतिक घरानों के परिवारों को करारी शिकस्त मिली हैं। राज्य मंत्री अनूप धानक की चाची कविता ने गांव राजली से सरपंच का चुनाव लड़ा तो पूर्व राज्यसभा सदस्य पंडित रामजीलाल के बेटे सुभाष आर्यनगर से सरपंच का चुनाव लड़ा।
हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार में पंचायत चुनाव में दो राजनीतिक घरानों के परिवारों को करारी शिकस्त मिली हैं। इनमें एक राज्य मंत्री अनूप धानक की चाची है और दूसरा पूर्व राज्यसभा सदस्य पंडित रामजीलाल का बेटा है। राज्य मंत्री अनूप धानक की चाची कविता ने गांव राजली से सरपंच का चुनाव लड़ा तो राज्यसभा सदस्य पंडित रामजीलाल के बेटे सुभाष आर्यनगर से सरपंच का चुनाव लड़ा। दोनों को ही भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में हारने के कई कारण रहे।
पंडित रामजीलाल के बेटे सुभाष ने आर्यनगर से लड़ा चुनाव
ग्रामीण इन राजनीतिक घरानों के कामकाज से खुश नहीं थे। जिन प्रतिनिधियों ने इनके खिलाफ चुनाव जीता है। वह कोई मजदूरी करता है तो कोई प्राइवेट काम। पैसों के मामले में इनका कोई मुकाबला नहीं। मगर ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिला, क्योंकि ग्रामीण इन प्रतिनिधियों के कामकाज या कार्यशैली से प्रभावित नहीं हुए। शुक्रवार शाम करीब 5.30 बजे आर्यनगर में समर्थक हूटर बाजी करने लगे और झगड़े की आशंका हुई। यह सूचना पाकर भारी पुलिसबल भी मौके पर पहुंचा और समर्थकों को स्कूल के मेन गेट से दूर किया। मामले को शांत करवाया। इससे झगड़ा नहीं बढ़ा।
यह जानिये
- राजली से सरंपच का चुनाव सुनीता देवी ने जीता। सुनीता के पति मजदूरी करते हैं। जबकि कविता गृहिणी है और पति प्रोपर्टी डीलर का काम करते है। राजली गांव में धानक समाज के करीब 350 वोट है। इसके अलावा जाट समाज व अनुसूचित जाति सहित अन्य जाति का वोटबैंक बाहुल्य है। ग्रामीणों का सुनीता की ओर एक तरफा माहौल रहा। गांव में कुल 6300 वोट है और 4900 पोलिंग हुए। कविता को सिर्फ 241 वोट मिले और सुनीता देवी ने कविता को 2280 वोटों से शिकस्त दी।
- आर्यनगर का सरपंच का चुनाव रतन सिंह ने करीब 950 वोटों से जीता। रतन सिंह कचहरी में काम करता है और ग्रामीणों के हर काम काज करवाता था। गांव में कुल 6200 वोट है, जिनमें 5800 पोलिंग हुए। गांव में जांगड़ा समाज के करीब 1500 वोट, कुम्हार समाज के करीब 2400 वोट, बाकी अन्य समाज के है। कुम्हार समाज से पहली बार गांव का सरपंच चुना गया है। पिछली दूसरी योजना में जांगड़ा समाज से सरपंच था। गांव वालों ने सहमति से रतन सिंह को सरपंच प्रतिनिधि चुना था। उधर सुभाष जांगड़ा ने भी आवेदन कर दिया। मगर मुकाबला एक तरफा रहा।
यह रहे दोनों के हार के कारण
- राजली के ग्रामीण बोले कि बीतें सालों में गांव में कोई खास काम नहीं हुए। गांव में गलियां तक नहीं बनी। आज भी कच्ची गलियां पड़ी है। यहां तक गलियों में बरसाती पानी खड़ा हुआ है। इसका कोई समाधान नहीं हो रहा।
- आर्यनगर के ग्रामीण बोले कि सुभाष जांगड़ा कभी गांव में रहते ही नहीं। हिसार में रहते है। चुनाव में एक माह पहले ही गांव आए थे। उन्होंने खुद भी कहा था कि उनको गांव के माहौल पता ही नहीं। अगर सरपंच बनने पर कोई साइन या काम होता तो उनके मिलने हिसार या उनकी फैक्ट्री में जाना पड़ा। इससे गांव में काम नहीं होते।