जाट शिक्षण संस्थान के चुनाव स्थगित होने पर गर्माई सियासत
जागरण संवाददाता हिसार जाट शिक्षण संस्थान के गवर्निंग बॉडी के चुनाव भले ही रद्द कर दिए
जागरण संवाददाता, हिसार :
जाट शिक्षण संस्थान के गवर्निंग बॉडी के चुनाव भले ही रद्द कर दिए गए हों, मगर इसको लेकर पहले दिन से ही विरोध नजर आ रहा है। इस पर अब जमकर राजनीति हो रही है। कॉलेजियमों ने चुनाव स्थगित करवाने को सरकार की साजिश बताया है। बकायदा जाट शिक्षण संस्था बचाओ मंच का गठन किया गया है। एक मंच का मकसद चुनाव को गैर राजनीतिक बनाकर योग्य व्यक्ति को गर्वनिग बॉडी में शामिल हो। इसके लिए कॉलेजियमों के साथ संपर्क बनाना शुरू कर दिया है। वहीं कॉलेजियमों ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को ही बोगस बताया है। कॉलेजियम डा राजेंद्र सूरा और एडवोकेट योगेश सिहाग ने मतदान प्रक्रिया और जिस शिकायत पर चुनाव स्थगित हुए उस पर सवाल उठाए हैं। 25 दिसंबर को कॉलेजियम चुनाव वाले दिन वोटिग के दौरान लोगों ने मतदान केंद्र पर गड़बड़ी को लेकर विरोध जताया था। लोगों की आपत्ति भी पूर्व वित्त मंत्री के परिवार के वोटों में गड़बड़ी की गई थी। वहीं इसकी शिकायत मौके पर चुनाव निर्वाचन अधिकारी को की गई मगर उनके द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया। मामले में कोई लिखित शिकायत भी नहीं दी गई। यही एक कारण था कि शिकायतकर्ता पंचकूला स्थित स्टेट रजिस्ट्रार के पास शिकायत करने चले गए। इन शिकायतकर्ताओं में कॉलेजियम के एक चौथाई से अधिक मतदाताओं व सदस्यों ने जिलास्तर पर शिकायत दर्ज कराई थी। वहीं कैप्टन अभिमन्यु के परिवार की तरफ से भी साफ कहा गया है उन्होंने मतदान वाले दिन वोटिग नहीं की।
--------------
छह जनवरी तक करनी है जांच
इस मामले को लेकर स्टेट रजिस्ट्रार ने निर्वाचन अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। उन्हें छह जनवरी को जांच पूरी कर स्टेट रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपनी है। संस्था के निर्वाचन अधिकारी एडवोकेट प्रदीप बाजिया को दिये गए हैं। इस मामले की आगामी सुनवाई 8 जनवरी को दोबारा की जानी प्रस्तावित है। ऐसे में गवर्निंग बॉडी के चुनाव स्थगित रहेंगे।
--------------
वित्त मंत्री का परिवार शहर से था बाहर
खास बात है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि गत 25 दिसंबर को कॉलेजियम के चुनाव में पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की धर्मपत्नी एकता सिधु सहित परिवार के अन्य सदस्यों शौर्य सिधु, वर्तिका सिधु सहित अन्य कई सदस्यों के वोट फर्जी डाल दिए गए जबकि ये उस दिन हिसार में ही मौजूद नहीं रहे।
---------------
ना चाचा के ना भतीजे के कॉलेजयम मेरे : डा. सूरा
जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन एवं जाट शिक्षण संस्था के कॉलेजियम सदस्य डा. राजेंद्र सूरा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने संभावित हार को देखकर संस्था कार्यकारिणी की नामांकन प्रक्रिया पर स्टे लगवाया है। एक व दो दिन में ही सारी प्रक्रिया पूरी करके स्टे दिलाना सरकार की मंशा पर शक जाहिर करता है। सरकार में बैठे कुछ लोग नहीं चाहते कि संस्था के चुनाव हो और अच्छे लोग चुनकर आगे आएं। इसलिए संस्था को बचाने के लिए जाट शिक्षण संस्था बचाओ मंच का गठन किया गया है, जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संस्था हित में काम करेगा। डा. सूरा शुक्रवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। डा. सूरा ने कहा कि जाट शिक्षण संस्था पर ऐसे लोग काबिज रहे, जिनका न कोई विजन था और न ही विचाराधारा थी। उन्होंने संस्था को आगे बढ़ाने की बजाए संस्था को बैकफुट पर ले जाने का काम किया। हमारा विजन है कि जिस सोच के साथ सेठ छाजुराम ने 1928 में एक स्कूल के साथ इस संस्था की शुरूआत की थी समाज पढ़ाई लिखाई में तरक्की करे, उस विजन को हम आगे बढ़ाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर पहले ही अच्छे लोग संस्था में चुने जाते तो अब तक यह संस्था अब तक विश्वविद्यालय बन चुकी होती।
------------
चुनाव 25 को हुए तो शिकायत 30 को हुई : एडवोकेट योगेश सिहाग
जाट शिक्षण संस्था के कॉलेजियम सदस्य एडवोकेट योगेश सिहाग ने कोर्ट परिसर स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार ने संभावित हार को देखकर संस्था कार्यकारिणी की नामांकन प्रक्रिया पर स्टे लगवाया है। एक व दो दिन में ही सारी प्रक्रिया पूरी करके स्टे दिलाना सरकार की मंशा पर शक जाहिर करता है। उन्होंने कहा कि जेजेपी जाट शिक्षण संस्थान को राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही स्टे को नहीं हटाया गया तो इसको लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जेजेपी व इनेलो पिछले करीब 20 साल से अपनी पार्टी से जुड़े आदमी को संस्थान का प्रधान बनाने के लिए राजनीति करती हुई आ रही है, जिसका खामियाजा जाट शिक्षण संस्थानों को भुगतना पड़ रहा है। संस्थान का विकास पूरी तरह से रूक गया है। एडवोकेट योगेश सिहाग ने बताया कि 25 दिसंबर को चुनाव हुए। यदि इस दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ हुई थी तो उसकी शिकायत तभी होनी चाहिए थी, लेकिन शिकायत हुई 30 दिसंबर को। इसके बाद मात्र 24 घंटे के अंदर ही शिकायत को लेकर नोटिस जारी कर दिए गए और उसके बाद चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया गया।