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इस शख्‍स को रावण के पुतले को देख मिलती है खुशी, जलता देख होता है दुखी, जानें क्‍यों

रावण,मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन हर साल दशहरे के दिन किया जाता है और इन्‍हें जलता देख हर किसी के मन को सुकून मिलता है मगर इन शख्‍स के साथ ऐसा नहीं है।

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 02:27 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 02:40 PM (IST)
इस शख्‍स को रावण के पुतले को देख मिलती है खुशी, जलता देख होता है दुखी, जानें क्‍यों
इस शख्‍स को रावण के पुतले को देख मिलती है खुशी, जलता देख होता है दुखी, जानें क्‍यों

हिसार [अश्वनी कुमार]। रावण,मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन हर साल दशहरे के दिन किया जाता है, इन्‍हें जलता देख हर किसी के मन को सुकून मिलता है। दशहरा बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक का त्‍योहार भी माना जाता है। मगर एक शख्‍स है जो दशहरा दिवाली मनाते भी हैं मगर वो दशहरे पर पुतले जलाने के मामले में अलग राय रखते हैं । इनका कहना है कि मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले खड़े देखता हूं तो बहुत खुशी होती है। 20 मिनट में ही सभी के पुतले स्वाहा हो जाते हैं। बड़ा दुख होता है, जब इन पुतलों को जलाने के लिए आग की चिंगारी दिखाई देती है, पर कुछ कर नहीं सकता। यहां रावण का 45 फुट ऊंचा पुतला बनाया जा रहा है। इन पुतलों को काफी मेहनत और परिश्रम से बनाया जाता है, लेकिन वो मेहनत कुछ समय तक ही दिख पाती है। वहीं पुतले बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। पुतलों के मुखौटा तैयार हो चुके है। उन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह कहना है मुलतानी चौक पार्क में दशहरा पर्व के लिए तैयार कर रहे विशाल पुतलों के कारीगर कवरभान उर्फ पप्पू का। वह गोहाना के रहने वाले हैं। दरअसल, कवरभान पिछले 8 साल से दशहरा पर्व पर मुलतानी चौक पार्क के लिए रावण के विशाल पुतले तैयार कर रहे है। उनके साथ बेटा टींकू, सुनील और सागर पुतले बनाने में मदद करते है। वहीं कवरभान के पास मुलतानी चौक के अलावा पटेल नगर, मोठ लोहारी के लिए भी पुतले बनाने का ऑर्डर आया हुआ है।

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मुलतानी चौक पार्क में पुतलों की यह रहेगी ऊंचाई

- रावण : 45 फुट

- कुंभकर्ण : 38 फुट

- मेघनाद : 35 फुट

पिता के निधन के बाद बेटे ने संभाल लिया काम

गोहाना निवासी कवरभान उर्फ पप्पू ने बातचीत में बताया कि पहले पुतले बनाने का काम पिता स्वर्गीय हुक्कमचंद करते थे। उन्होंने करीब 50 साल तक काम किया था। पिता के साथ वह भी काफी मदद कराते थे, लेकिन वर्ष 2010 में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। उसके बाद से वही पुतले तैयार कर रहे है।

90 हजार में तैयार होंगे तीनों पुतले, 40 हजार रुपये के जलेंगे पटाखे

मुलतानी चौक पार्क में जलाए जाने वाले तीनों पुतलों पर 90 हजार रुपये की लागत आएगी। वहीं इनमें 40 हजार रुपये के पटाखे लगाए जाएंगे। खास बात रहेगी कि इस बार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की मूंछे भी तैयार की गई है। जबकि हर बाद मुखट पर पेंट किया जाता है। वहीं पुतलों में लगाई गई आतिशबाजी भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी।

पुतले बनाने में ये चीजें होती हैं प्रयोग

वहीं इन पुतलों को बनाने के लिए अखबार, कागज, बांस, सुतली, रंगीन कागज का प्रयोग किया जाता है। उधर, दूसरी ओर श्रीरामलीला कमेटी कटला की ओर से पुराना गवर्नमेंट कालेज मैदान में मनाए जाने वाले दशहरा पर्व को लेकर भी पुतले बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इन पुतलों को कारीगर प्रमोद शर्मा द्वारा बेहतरीन रूप दिया जा रहा है। वहीं इस बार भी गवर्नमेंट कालेज मैदान में दशहरा पर्व पर आतिशबाजी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी।

श्रीनृसिंह प्रह्लाद रामलीला दशहरा सभा मुलतानी चौक के महासचिव ओमप्रकाश असीजा ने कहा कि दशहरा पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर चली रही है। इस बार भी मुलतानी चौक पार्क में जलाए जाने वाले विशाल पुतले दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगे।


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