Article 370 हटाने पर छलका दर्द, विस्थापित कश्मीरी बोले- 29 साल बहाए आंसू, इंसाफ मिला
29 साल पहले का वह मंजर उभर आया। वे क्रूर हालात आंखों में तैर उठे जब मस्जिदों से हिंदू परिवारों को कश्मीर छोडऩे के लिए ऐलान कर दिया गया था। तब कितना भय का माहौल था
बहादुरगढ़, जेएनएन। ये मंजर है 29 साल पहले का। जब कश्मीर घाटी से सैकड़ों परिवार विस्थापित हुए। अपनी मिट्टी से खदेड़े गए। जहां-तहां जाकर बसे। दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में भी 100 परिवार आए। इधर-उधर सिर छिपाने के लिए आसरा ढूंढा। आसूं बहाए, मगर उम्मीद नहीं छोड़ी। जिंदगी को फिर से सवारा। मन में यह आस रखी कि कभी न कभी तो घर वापसी होगी और आखिरकार यह आस अब शायद हकीकत बन जाए। सोमवार को जैसे ही कश्मीर से छारा 370 हटी और इधर कश्मीरी पंडितों का दर्द और खुशी एक साथ आंसू बनकर छलक पड़े।
दरअसल, बहादुरगढ़ में कश्मीरी कालोनी है। कश्मीर से विस्थापित 100 परिवार पहले तो इधर-उधर अपने परिचितों के पास रहे। कुछ समय किराये पर बसे रहे। फिर शहर से सटे खेतों को खरीदा। वहां पर कालोनी बसाई। इसी का नाम कश्मीरी कालोनी पड़ा। अब यहां पर 40 परिवार रह रहे हैं। बाकी कहीं ओर जा बसे। सोमवार को जब कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला हुआ तो इन परिवारों की खुशी का ठिकाना नही रहा।
पल भर में इनके जेहन में 29 साल पहले का वह मंजर उभर आया। वे क्रूर हालात आंखों में तैर उठे जब मस्जिदों से हिंदू परिवारों को कश्मीर छोडऩे के लिए ऐलान कर दिया गया था। तब कितना भय का माहौल था, उसे ये परिवार आज भी शब्दों में बयां नहीं कर पाते। मगर अब अतीत को भुलाकर इन्हें फिर से उसी मिट्टी में बसने की उम्मीद जगी है।
ये बोले कश्मीरी विस्थापित
कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बहादुरगढ़ की कश्मीरी कालोनी का माहौल देखने लायक था। यहां बसे कश्मीरी विस्थापितों के चेहरों पर खुशी थी। नजरें टीवी से चिपकी थी। जुबां पर एक ही बात थी...वाह मोदी। शिक्षक रहे एम एल कौल, सुनील, संजय पंडिता, अनीता, जौली, दुलारी, राजीव समेत इन सभी परिवारों के सदस्य जिस दिन का इंतजार कर रहे थे, वह 5 अगस्त को आया। सभी ने उम्मीद जताई कि अब उन्हें अपनी जनीन और मिट्टी नसीब होगी।
हमारी आंखाें के सामने हुआ था कत्ल
कश्मीरी विस्थापित राजीव कौल ने कहा कि सबसे पहले कश्मीर में 23 साल के युवक की हत्या हुई। हमारी आंखों के सामने उसे मारा गया। वह शिवसेना से जुड़ा था। जनवरी 1990 में किन हालातों में हम निकले, हम भी नहीं जानते। परिवार का कौन सदस्य कब वहां से निकल गया, पता ही नहीं था। अब यह फैसला उस मंजर को भूलने में मदद करेगा।
एक जोड़ी कपड़े में आया था कश्मीर से
कश्मीरी विस्थापित सुनील कौल ने कहा कि जब हम बहादुरगढ़ आए तो मैं 16 साल का था। पढ़ाई कर रहा था। एक जोड़ी कपड़ों में वहां से आए थे। धारा 370 हटने का फैसला नवजीवन जैसा लग रहा है।
संघर्ष की जीत हुई
विस्थापित कश्मीरी विम्मी कौल ने कहा कि जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने से हमारे लंबे संघर्ष की जीत हुई है। अब सरकार को कश्मीर में अपनी जमीन छोड़कर आए कश्मीरी विस्थापितों के वहां पुनर्वास की दिशा में कार्य करना चाहिए।
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