Move to Jagran APP

अतीत के अभिनंदन: राकेट लांचर से जवान ने एक साथ आठ आतंकियों को सुलाया था मौत की नींद

90 के दशक में कश्मीर घाटी में आंतकियों को लोहे के चने चबवा चुके हैं कर्नल रेड्डू। पूंछ गुलमर्ग उड़ी अवंतीपुर तराल और राजौरी जैसे इलाकों में ऑपरेशन टीम का रह चुके हैं हिस्सा

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 01:40 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 01:40 PM (IST)
अतीत के अभिनंदन: राकेट लांचर से जवान ने एक साथ आठ आतंकियों को सुलाया था मौत की नींद
अतीत के अभिनंदन: राकेट लांचर से जवान ने एक साथ आठ आतंकियों को सुलाया था मौत की नींद

हिसार [चेतन सिंह] पाकिस्‍तानियों के छक्‍के छुड़ा देने वाले अभिनंदन को कौन नहीं जानता, मगर इतिहास में पलटकर देखें तो ऐसे ही अनेकों अभिनंदन हैं जिन्‍होंने दुश्‍मनों को लोहे के चने चबवाएं हैं। इन्‍हीं में से एक भारतीय सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हिसार के सेक्टर 5 में रहने वाले चंद्र रेड्डू हैं। उन्‍होंने बताया कि अक्टूबर 1993 में हमारी रेजिमेंट को इनपुट मिला था कि कुछ आतंकवादी हथियारों से लैस भारतीय सीमा में घुसपैठ की है। उस समय मैं महार रजिमेंट में हवलदार था।

loksabha election banner

हमने मोरा-डोरी नाम से ऑपरेशन चलाया। हमारी रजिमेंट में दुश्मनों को घेर लिया। आतंकवादी एक पेड़ के नीचे बने बंकर में छिप गए। दोनों तरफ से गोलाबारी शुरू हो गई। आतंकियों के बार रजिमेंट के बराबर और उनसे एडवांस हथियार थे। कई देर तक मुठभेड़ जारी रही। मगर पेड़ के कारण गोलियां बंकर तक नहीं पहुंच पा रही थी।
मेरे अधिकारी ने आदेश दिया कि तुम दूसरी ओर जाकर राकेट लांचर से जाकर हमला करो। मैं और मेरा एक साथी गोलियों के बीच भागकर दूसरी ओर जाकर छिप गए।

गोलीबारी जारी रही। मेरे पास खुद की सुरक्षा के लिए एक हैंड ग्रेनेड था और मुंह से उसकी पिन मैंने निकाली हुई थी। आंतकवादी मेरे बिल्कुल करीब था। सोच लिया था आंतकवादी मेरे पास आए तो सारों को साथ लेकर मरूंगा। मगर गोलीबारी के कारण वे बंकर में रहे। मैं जल्दी से ऊपर उठा और रॉकेट लांचर से बैंकर में हमला कर दिया। जोर से धमाके की आवाज आई और गोलीबारी शांत हो गई। अपनी शोर्य गाथा बताते-बताते वह सपनों में ऐसे डूब गए मानों वे सच में आतंकवादियों से जंग लड़ रहे हों। उन्होंने बताया कि जब हमने बंकर उड़ा दिया तब भी विश्वास नहीं था कि आतंकवादी मर गए होंगे। मेरे अधिकारी ने इशारा किया कि बंकर की ओर जाओ। मैंने अंदर जाकर देखा तो पांच आतंकवादी मर चुके थे। दो अभी जिंदा थे। मैंने बारी-बारी से दोनों की गर्दन पर पैर रखा और उनको गोली मार दी।

मेरे अधिकारियों ने कहा गुड, तुम डरे तो नहीं
कर्नल रेड्डू ने बताया कि मैंने जब बंकर में उनके हथियार देखे तो होश उड़ गए। उनके पास इतने हथियार थे कि वे कई घंटों तक हमसे लड़ सकते थे। आंतकवादियों से उस समय 2 यूएमजी, 8 एके-47, 8 पिस्टल, खाने-पीने का सामान और सेटेलाइट फोन बरामद हुआ। मेरे अधिकारी ने ऑपरेशन के बाद कहा गुड... तुम डरे तो नहीं। मैं हंसकर कहा, नहीं। इसके बाद मुझे सेना अध्यक्ष विपिन चंद्र ने प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। कर्नल रेड्डू ने बताया कि 2004 में एक बार फिर उनका सामना आंतकवादियों से हुआ। मैंने उस मुठभेड़ में दो आंतकियों को मार गिराया था।


फिरोजपुर में बटालियन की चैंपियनशिप लेते हुए कर्नल चंद्र सिंह रेडू।

आजाद हिंद फौज से प्रभावित होकर सेना में गए
बरवाला के बालक गांव में किसान उजाला राम के घर जन्मे चंद्र रेड्डू सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। ने 1978 में सेना में भर्ती हुए। उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में और दसवीं की पढ़ाई गांव पाबड़ा के सरकारी स्कूल से की। इसके बाद सीधा सेना में भर्ती हो गए। इनको सेना में जाने की इच्छा आजाद ङ्क्षहद फौज के तीन नायक बनवारी लाल, उजाला राम और श्योनंद से मिली। ये तीनों भी बालक गांव के थे और अपनी लड़ाई के किस्से गांव में सुनाया करते थे। सेना में रहकर वे सिपाही से लेकर कर्नल के पद तक गए। 31 अगस्त 2015 को वे सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए।

पाकिस्तान के पास एक सुनहरा अवसर
कर्नल चंद्र रेड्डू ने बताया कि अगर पाकिस्तान सच में सुधरना चाहता और आगे बढऩा चाहता है तो उनके पास इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता। भारत की ओर से एयर स्ट्राइक से आतंकियों की कमर टूट चुकी है। पाकिस्तान को आतंकियों पर कार्रवाई करनी चाहिए और भारत के साथ मिलकर आगे चलना चाहिए। इसमें उसकी भलाई है। वहीं हमारी सेना को फिर से पूरे कश्मीर में ऑपरेशन करके यहां बचे आतंकियों को मार गिराना चाहिए।
 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.