विश्व की सबसे पुरानी साइट राखीगढ़ी पर फिर से शोध करेंगे पुरातत्वविद, पूरी दुनिया की रहेगी नजर
राखीगढ़ी को विश्व मानचित्र पर कैसे उभारा जाए म्यूजियम में क्या-क्या सामग्री हो इसका डिस्प्ले किस प्रकार का हो ताकि पर्यटक यहां ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सके इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार राखी गढ़ी गांव में सभ्यता 550 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई है
हिसार [चेतन सिंह] विश्व की सबसे बड़ी हड़प्पाकालीन साइटों में शुमार राखीगढ़ी में फिर से खोदाई का काम शुरू होगा। पुरातत्वविदों का दल मार्च में यहां आएगा और पूरी प्लानिंग के साथ शोध कार्य करेगा। इसके अलावा राखीगढ़ी को विश्व मानचित्र पर कैसे उभारा जाए, म्यूजियम में क्या-क्या सामग्री हो इसका डिस्प्ले किस प्रकार का हो ताकि पर्यटक यहां ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सके इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार राखी गढ़ी गांव में यह सभ्यता 550 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई है अभी तक महज एक फीसद जमीन की ही खोदाई हो पाई है।
एक फीसद हिस्से के ही खोदाई में आश्चर्यजनक वस्तुएं मिली थीं जिससे पूरी दूनिया हैरान हो गई। पूरी दुनिया का ध्यान भारत की प्राचीन सभ्यता की ओर आकर्षित हुआ है। महज एक फीसद खोदाई के दौरान यह पता चला कि हमारे पूवर्जों का खान-पान कैसा था, हमारे पूर्वज कैसे रहते थे उनकी वेशभूषा क्या थी। दुनिया को हमने ही नमस्कार कहना सिखाया इन सब खोज को देखते हुए दुनिया की फिर से नजर राखीगढ़ी में शुरू होने वाली खोदाई पर टिकी हुई है।
मार्च में डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे अपनी टीम के साथ नारनौंद के राखीगढ़ी गांव आएंगे और साइट का एक बार फिर अवलोकन करेंगे। साइट में किस टीले से फिर खोदाई शुरू की जाए उसके बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसके बाद अपनी टीम को बुलाकर फिर यहां खुदाई का काम शुरू करवाएंगे। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार राखी गढ़ी गांव में यह सभ्यता 550 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई है। राखीगढ़ी में खोदाई के दौरान हजारों साल पहले के नर कंकाल मिल चुके हैं। इन कंकालों के डीएनए की रिपोर्ट से पता चल चुका है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे। वह बाहर से आकर हिंदुस्तान में नहीं बसे थे।
अभी तक महज एक फीसद जमीन पर हुई है खोदाई
राखीगढ़ी में महज एक फीसद जमीन पर ही खोदाई हुई है। यह सभ्यता 550 हेक्टेयर में फैली है। 1997 में इस सभ्यता का पहली बार पता चला और इन टीलों पर खुदाई शुरू की तो चौकाने वाले रहस्य दुनिया के सामने आते गए। अब सरकार राखीगढ़ी को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। राखीगढ़ी में राज्य सरकार की ओर से म्यूजियम बनाया जा रहा है जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। हड़प्पाकालीन सभ्यता की इस साइट सबसे बड़ी साइट मानी जाती है और ये करीब साढ़े पांच सौ हैक्टेयर में फैली हुई है। इस पर 9 टीलें हैं, जिनमें से टीला नंबर एक, दो, चार, छह और सात पर खोदाई हो चुकी है।
इस प्रकार पर्यटकों को लुभाने की हो रही तैयारी
1. राखीगढ़ी में खोदाई से निकली चीजों का होगा टीलों पर होगा फोटो डिस्पले
पिछले दिनों आर्केलोजी सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर अजय यादव व डिप्टी डायरेक्टर संजय मंजूल ने राखीगढ़ी का दौरा किया था। उन्होंने टीलों पर पहुंचकर सभी उन चीजों का निरीक्षण किया जोकि आने जाने वाले पर्यटकों को लुभाएं। सभी टीलों पर ऐसी फोटो डिस्प्ले की जाएगी जो की खोदाई के दौरान इन टीलों से निकली थी। इसके लिए टीलों पर शेड लगाए जाएंगे। साथ ही सभी टीलों पर बैठने के लिए कुर्सियां भी लगाई जाएंगी और सभी टीलों की सफाई करके इनको और भी आकर्षक बनाया जाएगा।
2. फोटो किए जा रहे डिजाइन
टीलों पर खोदाई के दौरान निकले गए अवशेषों की फोटो डिस्प्ले करने के लिए पुरातत्व विभाग तैयारी करने में जुटा हुआ है। उनके फोटो डिजाइन किए जा रहे हैं कि कौन सी साइट पर किस तरह के फोटो डिस्प्ले की जाए। इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है। साथ ही टीले नंबर एक पर हड़प्पा संस्कृति से मिलती जुलती बैठने के लिए ऐसी जगह तैयार की जाएगी कि मानो आप हड़प्पन संस्कृति आ गए हों। कुछ टीलों पर लाइटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी रात के समय में भी पर्यटक इनको देख सके।
3. म्यूजियम में कंकालों के अवशेष और बर्तन रखे जाएंगे
इस वर्ष के मध्य में तैयार होने वाले राखीगढ़ के म्यूजियम में खोदाई के दौरान मिले अवशेषों को रखा जाएगा। इन अवशेषों के डीएनए ने ही सिद्ध किया था कि आर्य भारत के मूल निवासी थे वह बाहर से नहीं आए थे। जैसे ही म्यूजियम की बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएगी उसके तुरंत बाद अन्य कार्यों पर भी काम जल्द से जल्द शुरू होगा। म्यूजियम को इस प्रकार तैयार किया जाएगा कि इसमें प्रवेश करते ही हड़प्पाकालीन सभ्यता के दर्शन होंगे और एेसा अनुभव होगा कि हम प्राचीन सभ्यता में प्रवेश कर चुके हैं।