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राखीगढ़ी में विस्थापितों को बसाने से पहले आर्केलॉजिकल असेसमेंट इंपैक्ट रिपोर्ट होगी तैयार

दिल्ली की फर्म इंटक को दिया काम फर्म पता करेगी कि विस्थापितों को बसाने के दौरान साइट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। प्रशासन का कहना साइट से दूर बसाया जा रहा मगर फिर भी रिपोर्ट बनेगी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 04:52 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 04:52 PM (IST)
राखीगढ़ी में विस्थापितों को बसाने से पहले आर्केलॉजिकल असेसमेंट इंपैक्ट रिपोर्ट होगी तैयार
राखीगढ़ी में विस्थापितों को बसाने से पहले आर्केलॉजिकल असेसमेंट इंपैक्ट रिपोर्ट होगी तैयार

हिसार [चेतन सिंह] राखीगढ़ी मानव सभ्यता के विकास को जानने का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। भारत सरकार की ओर से राखीगढ़ी के एतिहासिक स्थल को आइकोनिक साइट के रूप में विकसित किया जाएगा। देशभर के जिन पांच पुरातत्व स्थलों को विकसित करने की घोषणा हुई थी, उसमें हिसार के नारनौंद स्थित राखीगढ़ी भी एक है। इस स्थान को विकसित करने से पहले पुरातत्व विभाग आर्केलॉजिकल असेसमेंट इंपैक्ट रिपोर्ट तैयार करवा रहा है।

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इसके लिए दिल्ली की फर्म इंटक को काम दिया गया है। यह फर्म सर्वे करेगी और पता लगाएगी कि विस्थापितों को बसाने के दौरान साइट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हालांकि प्रशासन की ओर से टीलों को कब्जामुक्त कर ग्रामीणों को गांव से बाहर जमीन देकर बसाया जा रहा है जो इस साइट से काफी दूर है। मगर फिर भी इस रिपोर्ट के बिना राखीगढ़ी को विकसित करने की दिशा में कदम नहीं बढ़ेंगे।

पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार राखी गढ़ी गांव में यह सभ्यता 900 एकड़ भूमि में फैली हुई है। राखीगढ़ी में करीब 6500 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। खुदाई में मिले नर कंकालों के डीएनए की रिपोर्ट से पता चल चुका है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे। वह बाहर से आकर हिंदुस्तान में नहीं बसे थे।

इस शोध ने पूरी दुनियां को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित किया, जिसका परिणाम है कि केंद्र सरकार ने इसे आइकानिक साइट के रूप में विकसित करने जा रही है। 1997 में इस सभ्यता का पहली बार पता चला और इन टीलों पर खुदाई शुरू की तो अनेक चौकानेवाले रहस्य दुनिया के सामने आते गए। अब सरकार इस गांव को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। राखीगढ़ में राज्य सरकार की ओर से म्यूजियम बनाया जा रहा है जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।

----राखीगढ़ी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा। विस्थापितों को गांव में बसाने के बाद साइट पर क्या असर पड़ेगा, इसके लिए आर्केलॉजिकल असेसमेंट इंपैक्ट रिपोर्ट होगी। इस पर काम चल रहा है। दिल्ली की फर्म को इसका काम दिया गया है।

- विकास कुमार, एसडीएम, नारनौंद


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