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सफेद सच: बेबे चालान तो भरणा पड़ेगा..., वह शहीद कौन इस पर नेता मौन, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

चर्चित पर्वतारोही अनीता कुंडू हरियाणा पुलिस में भी सेवा दे रही हैं। वह अनीता ने ट्रैफिक नियमों का पालन न करने पर स्कूटी सवार युवती को रोका तो सलाह देने के साथ-साथ कहा- बेबे... चालान तो भरणा पड़ेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:08 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:38 PM (IST)
सफेद सच: बेबे चालान तो भरणा पड़ेगा..., वह शहीद कौन इस पर नेता मौन, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
स्कूटी सवार युवती को समझाती अनीता कुंडू। फोटो अनीता कुंडू के ट्विटर अकाउंट से

जगदीश त्रिपाठी, हिसार। विश्वभर में चर्चित पर्वतारोही अनीता कुंडू हरियाणा पुलिस में हैं। पर्वतारोहण पर नहीं होती हैं तो शिद्दत से ड्यूटी निभाती हैं। अपने ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने एक फोटो पोस्ट किया, जिसमें वह स्कूटी चला रही युवती का चालान काटते हुए नसीहत दे रही हैं- ना तुं हेलमेट लगाती, ना लाइसेंस बनवा री, ओली बोली स्कूटी चलावै, मरण के काम कर री, बेबे चालान तो भरणा पड़ेगा। हालांकि युवती की सहेली, जो पीछे बैठी थी, उसने खूब मिन्नत की, लेकिन अनीता मानी नहीं। चालान काट ही दिया। अनीता के काम की लोगों ने जमकर तारीफ की, लेकिन यह सवाल भी उठा दिया कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया हुआ है। तब अनीता ने बताया कि यह घटना कोरोना संकमण के पहले की है। यह बच्चियों को संदेश देने के लिए पोस्ट की थी कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें। हादसों से बचें। घर में उनके माता-पिता इंतजार कर रहे हैं।

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वह शहीद कौन, इस पर नेता मौन

एक किसान नेता हैं रुलदू सिंह मानसा। तीनों कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलन के नेताओं की तरह उनका भी अपना संगठन है-पंजाब किसान यूनियन। लोग कहते हैं कि उनका संगठन स्वयं को कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) से जोड़ता है। दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर स्थित कुंडली में, जो आंदोलन का प्रमुख धरनास्थल है, वहां उन्होंने मंच से 21 जुलाई को भाषण दिया। उस कारण चार दिन बाद 25 जुलाई को उन्हेंं संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी ने मोर्चे से निष्कासित कर दिया। आरोप यह है कि मानसा ने भड़काऊ भाषण दिया और सिख शहीदों के बारे में अनुचित टिप्पणी की। लोग मानसा के भाषण की वीडियो क्लिप तलाश कर रहे हैं, वह भी अब तक नहीं मिली है। सो, थक-हार कर मजबूरी में मोर्चे के नेताओं से ही कह रहे हैं कि प्लीज उस शहीद का नाम तो बता दीजिए, पर मोर्चे के नेता मौन हैं।

ये किसान तो कांग्रेसी निकले

हरियाणा में कुछ लोगों की निगाह में किसान वही हैं, जो केंद्र और प्रदेश सरकार के विरोध में हों और तीनों कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के समर्थन हों। लेकिन यहां एक बात और गौर करने वाली है, आंदोलनकारियों में भी कुछ किसान कांग्रेसी हैं तो कुछ इनेलो समर्थक। अब और जगह के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह स्पष्ट हो चुका है कि जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरने पर कांग्रेसी काबिज हैं। वहां पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पहुंचे तो उनको माइक से राम राम तक नहीं करने दिया गया। एक व्यक्ति ने उनसे बदतमीजी की और उलटे छड़ी से मारने का आरोप भी लगा दिया। बुजुर्ग चौटाला तो उन्हेंं किसान समझकर गए थे, लेकिन कांग्रेसी किसानों को उनका आना इसलिए बुरा लग गया कि चौटाला आंदोलनकारियों के हीरो बन गए तो उनके वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीरो हो जाएंगे।

हड़बड़ी में गड़बड़ी

कैथल से पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके रणदीप सुरजेवाला हरियाणा की राजनीति में भले ही कम दिलचस्पी लेते हों, लेकिन वे हरियाणा के उन कांग्रेसी नेताओं में गिने जाते हैं, जो ट्विटर पर सर्वाधिक सक्रिय रहते हैं। जाहिर है कि यह उनके केआरए का हिस्सा है, लेकिन हड़बड़ी में कभी-कभी गड़बड़ी कर जाते हैं। हुआ यह कि उन्होंने ट्विटर पर विश्व कैडेट कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतने वाली प्रिया मलिक बधाई देते हुए बता दिया कि ओलिंपिक में पहला गोल्ड। फिर क्या था, नए नए भाजपाई बने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रमुख मीडिया सलाहकार विनोद मेहता ने उन्हेंं अपडेट रहने की नसीहत दे डाली। हालांकि बाद में सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में सुधार कर लिया, पर तब तक मेहता अपना काम कर चुके थे। आखिर उनको भी तो अपना केआरए समृद्ध करना है। इसलिए सजग रहते हैं कि कांग्रेसी कब गलती करें और कब उनको जवाबी ट्वीट का मौका मिले।


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