खाते पीते हरियाणा को ये क्या हुआ, खून की कमी से जूझ रहे 72 फीसद बच्चे
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। देश के सबसे अधिक एनीमिया पीडि़त राज्यों में हरियाणा का नाम है। 63 फीसद महिलाएं और 21 फीसद पुरुषों में भी खून की कमी
रोहतक [पुनीत शर्मा] जो प्रदेश दूध दही का खाना ऐसा म्हारा हरियाणा जैसी कहावत और खेलों से देशभर में अपनी पहचान बनाए हुए है। वही हरियाणा अब बीमार हो रहा है। ऐसा हम नहीं कर रहे बल्कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे चतुर्थ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
देश का भविष्य कहे जाने वाले प्रदेश के 72 फीसद बच्चे खून की कमी के शिकार हैं। इस मामले में हरियाणा बिहार, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के बाद चौथे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की 63 फीसद महिलाएं और 21 फीसद पुरुषों में भी खून की कमी है।
आमतौर पर स्वस्थ बच्चे में 11 ग्राम प्रति डेसी लीटर, पुरुषों में 13-14 ग्राम प्रति डेसी लीटर और महिलाओं में 10-12 ग्राम प्रति डेसी लीटर खून होना चाहिए। तीन फीसद बच्चे, 1.4 फीसद महिलाएं और 0.5 फीसद पुरुष सीवियर एनीमिया (खतरनाक स्टेज) के शिकार है। 41 फीसद बच्चे, 18 फीसद महिलाएं और 9.4 फीसद पुरुष मॉडरेट एनीमिया (द्वितीय स्टेज) और 28 फीसद बच्चे, 43 फीसद महिलाएं, 11 फीसद पुरुष माइल्ड एनीमिया (प्रथम स्टेज) के शिकार हैं।
क्यों होती है खून की कमी?
डाक्टरों के अनुसार आमतौर पर बच्चों को पोषित आहार न मिलना, खून का न बनना, मिट्टी खाना, मां का दूध कम पीना, पेट में कीड़े होना तथा महिलाओं में माहवारी के दौरान अधिक खून बहना, थैलीसीमिया, गर्भावस्था में उचित आहार न मिलना खून की कमी के मुख्य कारण हैं। खानपान में प्रदूषण। स्तनपान में कमी। एस्पिरिन, ब्रूफेन, हिस्टामिन ब्लाकर, नियोमाइसीन एवं स्टेनाजोल जैसी दवाएं भी आयरन की कमी करती हैं।
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जिले का नाम बच्चों का प्रतिशत महिलाओं का प्रतिशत
अंबाला 75.1 68.6
भिवानी 74.8 64.8
फरीदाबाद 75 54.1
फतेहाबाद 70.5 65.4
गुरुग्राम 66.2 73.2
हिसार 66.4 59.5
झच्जर 70.8 61.1
जींद 76.6 62.7
कैथल 68 59.8
करनाल 75.5 67
कुरुक्षेत्र 63.4 54.6
महेंद्रगढ़ 73.7 63.5
मेवात 83.6 70.1
पलवल 75.2 60.2
पंचकूला 66.4 55.4
पानीपत 65.5 66.2
रेवाड़ी 77.8 65.1
रोहतक 76.3 57.8
सिरसा 72.4 59.3
सोनीपत 58.6 66.5
यमुनानगर 58 57.1
कुल 71.7 62.7
महिलाएं जागरूक नहीं
अधिकतर महिलाओं को नहीं पता कि बच्चों के जन्म में कितने समय का अंतर रखना है। 17.8 फीसद शहरी और 34.3 फीसद देहात की महिलाएं नहीं जानती कि किस उम्र में बच्चों को और खुद क्या खाना है। महिलाओं द्वारा ब्रेस्टफीडिंग न कराना भी बच्चों में एनीमिया का मुख्य कारण है।
ये है हीमोग्लोबिन
शरीर में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन के जरिए आयरन पूरे शरीर में आक्सीजन पहुंचाता है। कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में खुराक न मिलने पर ऊर्जा की कमी हो जाती है। लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम होने से बच्चों का विकास रुकता है। फेफड़े एवं हृदय कमजोर होने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी घटती है।
ये हैं लक्षण
नीली और सिकुड़ी हुई आंखें, मल में रक्त, कमजोर नाखून, भूख में कमी, थकान, शरीर में पीलापन, झुंझलाहट, सांस में दिक्कत।
----सर्वे रिपोर्ट के अनुसार स्थिति काफी गंभीर है। इसको लेकर विभाग द्वारा दर्जनों योजनाएं संचालित की जा रही हैं। महिलाओं को भी अपने और बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर ध्यान देना होगा। समय पर चिकित्सकों से संपर्क कर बीमारियों का निदान व पोषित आहार लेना होगा।
-डा. अनिल बिरला, सीएमओ, रोहतक।