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हिसार के स्याहड़वा में जयपाल के पूर्वजों ने 60 साल पहले खरीदी थी जमीन, राजनीति से है गहरा नाता

हिसार के स्याहड़वा के मृतक जयपाल की पिता का नाम बलवंत सिंह और दादा पृथ्वी सिंह है। जयपाल के पिता आपस में पांच भाई है और उसके दादा आपस में तीन भाई थे। 60 साल पहले जयपाल के पिता अपने दो भाईयों के साथ पैतृक गांव सांघी से आए थे।

By Naveen DalalEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 06:09 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 06:09 AM (IST)
हिसार के स्याहड़वा में जयपाल के पूर्वजों ने 60 साल पहले खरीदी थी जमीन, राजनीति से है गहरा नाता
जयपाल के पूर्वजों ने रोहतक जिले के सांघी गांव से जमीन बेचकर स्याहड़वा गांव में खरीदी थी।

हिसार, कुलदीप जांगड़ा। साल 1962 में जयपाल के पूर्वज रोहतक जिले के सांघी गांव से हिसार के स्याहड़वा गांव में आकर बसे थे। सांघी ही उनका पैतृक गांव था। यह गांव रोहतक जिले में है और जो कांग्रेसी नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गांव है। जयपाल के पूर्वज खेती ही करते थे। उनकी सांघी गांव में ही जमीन थी। इस वजह से सांघी गांव से जमीन बेचकर स्याहड़वा गांव में खरीदी थी। इसके दो कारण थे कि सांघी में जमीन महंगी थी और स्याहड़वा में जमीन सस्ती थी। दूसरे बाकी पूर्वज पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा से जुड़े थे। इनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए यहां आना पड़ा। उस दौरान पूर्वजों ने 37 एकड़ जमीन खरीदी थी। यहीं आकर खेती-बाड़ी करनी शुरू कर दी।

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अब तीन भाइयों में से बचा एक

जयपाल की पिता का नाम बलवंत सिंह और दादा पृथ्वी सिंह है। जयपाल के पिता आपस में पांच भाई है और उसके दादा आपस में तीन भाई थे। करीब 60 साल पहले जयपाल के पिता अपने भाई करण सिंह व बिरखाराम के साथ पैतृक सांघी गांव से स्याहड़वा में आकर बसे थे। जयपाल तीन भाइयों में से सबसे बड़ा था। उसके छोटे भाई देवेंद्र की छह साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। अब तीनों में से एक भाई बचा है, जो कि नरेंद्र है। उसी पर परिवार की जिम्मेदारी है।

60 साल पहले जयपाल के पूर्वज पैतृक सांघी से स्याहड़वा गांव में आकर बसे थे, यूं समझिए कड़ियां

जयपाल के पिता के दो भाई सतपाल सिंह और महावीर सिंह उस समय सांघी गांव में ही रहे थे। सतपाल सिंह के तीन बेटे हैं, जिनमें दलबीर सिंह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है। आज भी उनकी सांघी में रिहाइश है। महावीर सिंह के एक बेटा और चार बेटी है। इनमें से एक बेटी डा. मंजू हुड्डा सिविल अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ है और बेटा प्रवीण बिजली निगम के बीबीएमबी में जेई है। जो कि दोनों ही हिसार रहते हैं। इसके बाद जयपाल के दो दादा राम सिंह और सूरत सिंह लुदास गांव में बस गए। राम सिंह किसान नेता दिलबाग सिंह हुड्डा के दादा है और पिता विजेंद्र सिंह है।

जयपाल के पूर्वज डा. रामजीलाल हिसार सिविल अस्पताल के रहे पूर्व सीएमओ और लाला लाजपत राय से बीता गहरा नाता

जयपाल के पूर्वजों में डाक्टर रामजीलाल और दाताराम दो सगे भाई थे। उस समय रोहतक के सांघी गांव में ही रहते थे। डा. रामजीलाल ने गांव में चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद दसवीं तक रोहतक में पढ़ें। उस समय रोहतक में लाला लाजपत राय के पिता उनके अध्यापक थे, उसी समय से उनका लाला लाजपत राय के साथ लगाव गहरा हुआ। कई बार लाला लाजपत राय उनके घर सांघी में भी आए थे। उनका बलिदानी भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह से नाता था।

लाला लाजपत राय और बलिदानी भगत सिंह के चाचा का लगाव होने के कारण डा. रामजी लाल का भी लगा हुआ, क्योंकि वह लाहौर से पढ़े थे और बलिदानी भगत सिंह भी लाहौर से ही थे। लाहौर से डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद डा. रामजीलाल की हिसार सिविल अस्पताल में नौकरी लगी और सिविल सर्जन के पद पर रहे। यह बातें सन् 1892 से 1906 की है। कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और प्राइवेट में चिकित्सा सेवाएं शुरू की। ऐसे में उनकी आय बढ़ी और उन दिनों लुदास गांव में 900 एकड़ जमीन खरीदी थी। उनके एक बेटा अजीत था और दो प्रपौत्र राज सिंह व नगेंद्र है। राज सिंह के पुत्र पुष्पेंद्र सिंह विधानसभा में है।

डा. मंजू हुड्डा और दिलबाग सिंह हुड्डा चचेरे भाई-बहन

इसके अलावा जयपाल का सिविल अस्पताल से भी गहरा नाता है। हाल में सिविल अस्पताल में कार्यरत बाल रोग विशेषज्ञ डा. मंजु हुड्डा जयपाल की चचेरी बहन है। वह भी स्थिति का पता लगाने के लिए गांव में आई थी। किसान नेता दिलबाग सिंह हुड्डा भी उनके चचेरे भाई है।

आज भी पूरा परिवार शादी समारोह में होता है शामिल

जयपाल का पूरा परिवार आज भी शादी समारोह में एक साथ शामिल होता है। साल 2021 में 13 दिसंबर को जयपाल की बेटी रश्मि की शादी थी। उस दौरान पूरा परिवार शामिल हुआ था।


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