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मरने वाले लावारिस कुत्‍ते की चकमी किस्‍मत, दिल्‍ली से पहुंचा अमेरिका, फिल्‍मी सी है ये कहानी

भारत पहुंची जीव प्रेमी अमेरिका की वीनस कौर मुल्‍तानी को कुत्‍ते पर रहम आया और कुत्‍ते का इलाज करवाया। फिर उनके दोस्‍तों ने कुत्‍ते को गोद ले लिया प्‍लेन से कुत्‍ता अमेरिका पहुंचा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 10:56 AM (IST)
मरने वाले लावारिस कुत्‍ते की चकमी किस्‍मत, दिल्‍ली से पहुंचा अमेरिका, फिल्‍मी सी है ये कहानी
मरने वाले लावारिस कुत्‍ते की चकमी किस्‍मत, दिल्‍ली से पहुंचा अमेरिका, फिल्‍मी सी है ये कहानी

बहादुरगढ़, जेएनएन। बीमारी से जूझते हुए एक बेजुबान (डॉग) की बुरी हालत थी। वो मरने वाला था मगर इससे पहले ही उसकी किस्‍मत पलट गई। जब उस पर  एक विदेशी युवती की नजर पड़ी। भारत पहुंची जीव प्रेमी अमेरिका की वीनस कौर मुल्‍तानी को कुत्‍ते पर रहम आया और उसने कुत्‍ते का इलाज करवाने की ठानी। जब वह कुत्‍ते को अस्‍पताल लेकर गई तो डॉक्‍टर्स ने कहा कि कुत्‍ता ठीक नहीं हो सकता इसलिए यह मरने ही वाला है। मगर वीनस कौर मुल्‍तानी ने हार नहीं मानी और कुत्‍ते के इलाज करवाने संबंधी एक पोस्‍ट फेसबुक पर अपलोड की। इसके बाद बहादुरगढ़ में ही पशु पक्षियों के उपचार का काम करने वाली एक संस्‍था ने इस पोस्‍ट को देखा तो कुत्‍ते का इलाज करने की पेशकश की।

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संस्‍था के लोग कुत्‍ते तक पहुंचे और इलाज करवाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि कुत्‍ता न केवल ठीक हुआ बल्कि विदेश पहुंच गया। हुआ यूं कि जब कुत्‍ते की बीमारी का इलाज हुआ तो वीनस कौर मुल्‍तानी ने कुत्‍ते की फोटो अमेरिका के सन फ्रेंसिस्‍को में रह रहे अपने दोस्‍तों की भेजी। इसके बाद दोस्‍तों ने कहा कि कुत्‍ता बेहद प्‍यारा है और वो इसे गोद लेना चाहते हैं। बस फिर क्‍या था जीव सेवा क्रांति से अभियान चला रही संस्‍था ने कुत्‍ते काे अमेरिका पहुंचाने का इंतजाम कर लिया। कुत्‍ते को प्‍लेन से अमेरिका भेजा गया और इस पर करीब 60 हजार रुपये का खर्च आया। खर्च की भरपाई भरी वीनस कौर मुल्‍तानी के दोस्‍त एवं कुत्‍ते को गोद लेने वाले ग्रेग और क्रिस्टा ने की। वेलेंनटाइन डे यानि 14 फरवरी को यह कुत्‍ता अमेरिका पहुंच गया।

संस्था सदस्यों के मुताबिक कुछ समय पहले एक जीव प्रेमी वीनस कौर मुल्तानी अमेरिका से दिल्ली आई थी। उन्हें एक डॉग मिला जो बीमारी से ग्रस्त था। उन्होंने डॉग को उठाया और पास के जीव उपचार केंद्र ले गईं। वहां डॉक्टरों ने उसके इलाज में असमर्थता जताई। संस्‍था ने इलाज करवाने की पहल की तो डॉक्टरों की मेहनत से वह 10 दिनों में ठीक हो गया। संस्था की कोशिश से सन फ्रेंसिस्को में रहने वाले ग्रेग और क्रिस्टा ने इस डॉग को अपनाकर इसे घर का हिस्सा बनाया। ग्रेग ने संस्‍था के लोगों से कहा कि कुत्‍ते में उन्‍हें बहुत कुछ खास लगा एक ही नजर में उसने अपनी ओर खींच लिया। इसके लिए अब यह हमारे घर की सदस्‍य की तरह ही रहेगा। उसे एक आलीशान जिंदगी मिलेगी और वह पूरी तरह से देखभाल में रहेगा।


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