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गजब का जज्‍बा, 60 की उम्र में रमेश श्योराण ने 21 हजार फीट ऊंची ब्लैक पीक पर फहराया तिरंगा

रमेश श्योराण ने उतराखंड सरस्वती रेंज पर्वत श्रंखला की 21 हजार फीट की सबसे ऊंची चोटी ब्लैक पीक पर तिरंगा फहराया है। यह कीर्तिमान उन्होंने 10 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर फहराया। इससे पहले भी वह एडवेंचर गेम में अपनी पहचान बना चुके हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:40 PM (IST)
गजब का जज्‍बा, 60 की उम्र में रमेश श्योराण ने 21 हजार फीट ऊंची ब्लैक पीक पर फहराया तिरंगा
ब्लैक पीक को फतह करने के बाद हाथों में तिरंगा लिए हुए खुशी जताते रमेश श्योराण और उनके साथी।

भिवानी, जेएनएन। तापमान माइनस 20 डिग्री। जहां पानी के लिए भी बर्फ को पिघलाया जाता हो। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में लक्ष्य ब्लैक पीक को फतह करना। वह भी तब जब उम्र 60 से पार हो। उम्र के इस पड़ाव पर कठिन परिश्रम नहीं हो पाता। जोश और जज्बा हो तो किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। एडवेंचर गेम के शौकीन गांव डालावास निवासी सेवानिवृत्त रमेश श्योराण ने 60 वर्ष की उम्र में नया कीर्तिमान बनाया है।

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उन्होंने उतराखंड सरस्वती रेंज पर्वत श्रंखला की 21 हजार फुट की सबसे ऊंची चोटी ब्लैक पीक पर तिरंगा फहराया है। यह कीर्तिमान उन्होंने 10 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर फहराया। इससे पहले भी वह एडवेंचर गेम में अपनी पहचान बना चुके हैं। अब उनका अगला लक्ष्य अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किली मंजारो को फतह करना है।

जमा देने वाली ठंड थी पर निशाना चोटी पर तिरंगा फहराना था

रमेश बताते हैं कि आइएमएफ इंडियन माउंटेनिरिंग फाउंडेशन टीम ने एक बार तो स्वास्थ्य जांच से पहले शक जाहिर किया कि 60 उम्र में पहाड़ी पर नहीं चढ़ पाएंगे। लेकिन जब उन्होंने हौंसला और जांच की तो सबकुछ फिट देख कर वे खुद हैरान थे। उन्होंने चोटी पर चढऩे की अनुमति दी तो 28 सितंबर को चढ़ाई के लिए अभियान शु़रू किया। 10 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर तिरंगा फहरा दिया। इस दौरान के अपने अनुभव सांझा करते हुए रमेश श्योराण ने बताया कि हम सात सदस्य इस अभियान में शामिल थे। जिनमें से पांच ही मुकाम तक पहुंच पाए। इनमें तीन उत्तरप्रदेश, एक कर्नाटक, एक तामिलनाडू और एक झारखंड के सदस्य शामिल रहे। उन्होंने बताया कि पहाड़ी के कठिन दुर्गम रास्तों से होकर गुजरते हुए मुकाम हासिल किया। पथरीले और बर्फीले रास्तों से होकर गुजरते समय हलकी चोट भी आई लेकिन हौसला कम नहीं हुआ। यही वजह रही कि 21 हजार फुट ऊंची चोटी को फतह करने में कामयाब रहा।

इससे पहले इन चोटियों को फतह कर चुके रमेश श्योराण

वर्ष 2012 में लद्दाख की करीब 20 हजार फुट ऊंची स्टोक कांगड़ी चोटी को फतह किया।

वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश की फ्रेंडशिप पीक को फतह कर चुके हैं।

इस साल फरवरी में पंचकुला में हुई नेशनल मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप के ट्रिपल जंप में गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं।

लक्ष्य अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किली मंजारो पर तिरंगा फहराना

सेवानिवृत्त प्राध्यापक रमेश श्योराण का कहना है कि मेरा अगला लक्ष्य अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किली मंजारों को जीतना है। इसके लिए वह लगतार खुद को फिट रखते हैं। अभ्यास करते हैं। तोशाम की पहाड़ी और माधवगढ की पहाड़ी अभ्यास करते रहते हैं। उनको भरोसा है अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी भी एक दिन उनके कदमों में होगी।


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