Move to Jagran APP

मस्कुलर बैलों की जोड़ियों का कमाल, 20 सेकेंड में फतेह किया चार एकड़ का मैदान

जींद के गतौली में आयोजित दौड़ में भी पहला और दूसरा पुरस्कार इन बैलों की जोड़ी ने पाया था। इन बैलों के लिए दूध और घी की कमी न रहे इसके लिए दो देसी नस्ल की गायों को विशेष तौर पर पाला गया है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 08:08 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 08:08 PM (IST)
मस्कुलर बैलों की जोड़ियों का कमाल, 20 सेकेंड में फतेह किया चार एकड़ का मैदान
घी-दूध खाने वाले दो बैलों की जोड़ी ने चार एकड़ की दौड़ हरियाणा में जीता खिताब।

हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार के गांव पाबड़ा में प्रदेश स्तरीय बैलों की दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हुई। जिसमें रोहतक के निदाना गांव के दो बैलों की जोड़ियों ने महज 20 सेकेंड में चार एकड़ को पार कर पहला स्थान प्राप्त कर हरियाणा हिताब हासिल किया है। 15 माह का धर्मेन्द्र और सवा दो साल का पवन दोनों ही राजस्थान में पाई जाने वाली नागौर नस्ल के बैल हैं। इन्होंने इस दौड़ में प्रतिभाग कराने को घी, दूध, काजू, बादाम और गुड़ विशेष रूप से खिलाया जाता है। सिर्फ यह नहीं बल्कि सुबह-सुबह एक एथलीट की तरफ बैलों को दौड़ने की प्रैक्टिस भी कराई जाती है। यही कारण है कि इन फुर्तीले बैलों की जोड़ी ने अभी तक विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपने चुस्ती फुर्ती का लोहा मनवाया है। प्रतियोगिता में जीतने पर दोनों बैलों को आयोजकों की तरफ से नकद पुरस्कार भी दिया गया।इस दौड़ में प्रदेशभर से 35 बैलों की जाेड़ियाें ने भाग लिया था।

loksabha election banner

बैलों के लिए पाल रही रखी हैं गाय

इन दोनों बैलों में धर्मेन्द्र सबसे छोटा है। मगर सबसे फुर्तीला बैल है। बैलों के मालिक सोनू बताते हैं कि उनका परिवार 12 वर्षों से बैलाें की दौड़ में हिस्सा लेता रहा है। धर्मेन्द्र उनका पसंदीदा बैल है क्योंकि अभी तक उसने एक भी दौड़ नहीं हारी। इससे पहले जींद के गतौली में आयोजित दौड़ में भी पहला और दूसरा पुरस्कार इन बैलों की जोड़ी ने पाया था। इन बैलों के लिए दूध और घी की कमी न रहे इसके लिए दो देसी नस्ल की गायों को विशेष तौर पर पाला गया है। सोनू धर्मेन्द्र को राजस्थान से 26 हजार रुपये में लेकर आए थे फिर मेहनत कर तैयार किया। अब जींद दौड़ में जीतने के बाद लोग चार लाख रुपये तक देने को तैयार हो गए। उन्होंने बताया कि दौड़ में शामिल होने वाले बैलों को पंजाब में अधिक खरीदा जाता है। अभी तक वह 17 बैलों को बेचकर 17 लाख रुपये कमा चुके हैं।

इसलिए चुनी नागौर नस्ल

सोनू ने बताया कि नागौर नस्ल की गाय काफी चुस्त और फुर्तीली होती है। इसी कारण से इनके गुण गाय से बैल में भी आते हैं। इसी कारण नागौर नस्ल के बैल चुने गए।

बैलों की यह है डाइट

सोनू बताते हैं कि सुबह सायं व बैलों को 300 ग्राम घी और गुड़ खिलाते हैं। इसके साथ ही सुबह 200 ग्राम काजू बादाम व पांच लीटर दूध एक बैल को खिलाया जाता है। उनके पास कुल नौ बैल हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.