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खेती के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी रखें ध्यान

एचएयू वैज्ञानिकों एवं प्रदेश के कृषि अधिकारियों की वर्कशाप

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 09:50 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 09:50 PM (IST)
खेती के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी रखें ध्यान
खेती के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी रखें ध्यान

फोटो : 57 और 58

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- एचएयू वैज्ञानिकों एवं प्रदेश के कृषि अधिकारियों की वर्कशाप, फसलों में नई समग्र सिफारिशों के लिए दो दिन करेंगे मंथन

जागरण संवाददाता, हिसार : कृषि संबंधी किसी भी रिसर्च का फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। उत्पादन बढ़ाने के चक्कर में प्रतिदिन रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग व जल दोहन से प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो रहे हैं। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी घट रही है। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का विशेष ध्यान रखना होगा। यह आह्वान चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार एवं गुजविप्रौवि, हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने किया। वे विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि वैज्ञानिकों एवं हरियाणा सरकार के कृषि अधिकारियों की वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ.

सुमिता मिश्रा, आईएएस एवं कृषि महानिदेशक डॉ. हरदीप सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि आनलाइन माध्यम से वर्कशॉप में जुड़े। प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि वैज्ञानिकों का दायित्व बनता है कि वे किसानों को भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और मिट्टी में सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए जागरूक करें। उन्होंने किसानों से फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने की अपील की ताकि उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। परम्परागत खेती से लागत अधिक व आमदनी कम होती है। इसलिए किसान फसल चक्र को अपनाएं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के समय की तुलना में आज फसलों का उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया है, यह सब वैज्ञानिकों की अथक मेहनत से विकसित नई-नई फसलों की किस्मों व उनके द्वारा की गई सिफारिशों का ही नतीजा है।

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विश्वविद्यालय की सिफारिशें बहुत ही कारगर, किसान अपनाएं : डा. सुमिता मिश्रा

हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा, आईएएस ने वर्कशाप के दौरान कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। ऐसे में वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों का भी फर्ज बनता है कि वे किसानों को परम्परागत खेती की बजाय फसल विविधिकरण के साथ-साथ आधुनिक खेती के तौर तरीकों, मृदा जांच व नवीनतम तकनीकों की जानकारी देते हुए उन्हें जागरूक करें। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने वर्कशॉप की विस्तृत जानकारी देते हुए निदेशालय द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों जबकि अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने विश्वविद्यालय में चल रही अनुसंधान परियोजनाओं के बारे में बताया। विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक(किसान परामर्श केंद्र)डॉ. सुनील ढांडा ने मंच का संचालन किया। कार्यक्रम में कृषि विभाग के अतिरिक्त आयुक्त(गन्ना)डॉ. जगदीप बराड़ व डॉ. रोहताश, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के. महता, ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष और सभी जिलों के कृषि उपनिदेशक, कृषि अधिकारी, फील्ड अधिकारी व विद्यार्थी शामिल हुए।


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