प्रमोशन लिस्ट में भेदभाव का लगाया आरोप, सीडीएलयू के वीसी के खिलाफ धरने पर बैठे कर्मचारी
पदोन्नति की वरिष्ठता सूची में भेदभाव बरते जाने के खिलाफ धरना दिया गया। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कुलाधिपति चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी सुरजीत कौर ने ज्ञापन के माध्यम से अपनी समस्या बताई।
जागरण संवाददाता, सिरसा : चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय में पदोन्नति की वरिष्ठता सूची में भेदभाव बरते जाने के खिलाफ धरना दिया गया। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कुलाधिपति चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी सुरजीत कौर ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि उसके पति जसकरण सिंह ने जूनियर साइंस स्टेनोग्राफर के पद पर कार्य ग्रहण किया। नियमानुसार जो सलेक्शन पैनेल में तैयार किया गया उसमें जसकरण सिंह तीसरे तथा धर्मवीर चौथे क्रमांक पर थे।
क्रमांकनुसार उनकी पदोन्नति एसइ साइंस स्टेनोग्राफर से पर्सनल एसिस्टेंट के पद पर की गई। वर्तमान में उसका पति जसकरण सिंह पर्सनल एसिस्टेंट के पद पर कार्यरत है। उसने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई बार प्रार्थीया के पति की सिन्योरिटी लिस्ट जारी की इस लिस्ट में जसकरण सिंह धर्मवीर से सीनियर दिखाया गया। विश्वविद्यालय ने जो आखरी रिव्यू फाइनल लिस्ट जारी की गई उसमें जसकरण सिंह क्रमांक एक पर है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने भेदभाव व तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसके पति से जुनियर धर्मवीर को नियमों को ताक पर रखते हुए पर्सनल सेक्रेटी के पद पर पदोन्नति 27 अप्रैल 2022 को प्रदान की।
उसने आरोप लाया कि वाइस चांसलर अजमेर सिंह ने विश्वविद्यालय में नियमों में फेर बदल करके व वरिष्ठता सूची से हटकर अपने चेहतों को तरक्की दे दी। इसके विरोध में जब उसका पति जसकरण सिंह उपकुलपति से मिला तो उसने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया और सिक्योरिटी गार्ड बुलाकर उसे बेइज्जत किया। बाद में उसके पति जसकरण पर मानसिक दबाव बनाया गया और उसका तबादला कर दिया। उसने आरोप लगाया कि दो साल तक सुपरविजन कर चुके जसकरण सिंह को क्लर्क, दफ्तरी, पियन का काम देकर प्रताड़ित किया जा रहा है। उसने कहा कि उसके पति की मानसिक परेशानी के चलते पूरा परिवार परेशान है।
वहीं गांव मंगाला निासी राजेश कुमार असिस्टेंट भी धरने पर बैठा है। उसने कुलाधिपति के नाम दिये ज्ञापन में बताया कि वह 7 अक्टूबर 2005 को लिपिक पद पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले वह एक्सग्रेसिया नियम के तहत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में था। उसने आरोप लगाया कि लिपिक की वरिष्ठता सूची में पहले स्थान की बजाए उसे छठे स्थान पर कर दिया तथा उससे जुनियर्स उससे पहले प्रमोट कर दिये। जब उसने ऐतराज जमा करवाया तो विश्वविद्यालय ने 11 साल बाद फाइनल वरिष्ठता सूची जारी कर उसे पहले स्थान पर कर दिया।
बाद में विश्वविद्यालय के कुलपति ने लिस्ट में फेरबदल कर उसका नाम हटा दिया। जब उसने ऐतराज जताया तो उसे कहा कि एक महीने में सिनियोरिटी लिस्ट में जो खामियां है उसे दूर कर दिया जाएगा व प्रमोशन कर दी जाएगी। इस मामले में गठित कमेटी ने उसके आब्जेक्शन को सही पाया। अब डिप्टी सुपरिटेंडेंट के पद की पांच पोस्ट खाली पड़ी है। इसके बाद भी कुलपति ने उन्हें प्रताड़ित किया और अपने चेहतों को रख लिया।