कृषि वैज्ञानिक सफेद मक्खी से निपटने उपाय ढूंढने में जुटे
नरमा कपास की फसल पर सफेद मक्खी के हमले के बाद कृषि वैज्ञानिक इस रोग से निपटने के उपाय ढ़ूंढ़ने में जुट गए हैं। इसके लिए तीन राज्यों हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के कृषि साेमवार को नई दिल्ली मेें बैठक करेंगे।
जागरण संवाददाता, हिसार। नरमा कपास की फसल पर सफेद मक्खी के हमले से हरियाणा और पंजाब के किसानों को पिछले वर्ष भारी नुकसान हुआ। किसान सड़कों पर उतर आए। पंजाब में तो रेल सेवा भी कई दिनों तक ठप रही। कृषि वैज्ञानिक इस समस्या के हल और सफेद मक्खी से निपटने के उपाय ढूंढ़ने में जुटे हैं। इसी कड़ी में हरियाणा, पंजाब अौर राजस्थान के कृषि वैज्ञानिक नई दिल्ली में बैठक कर इन उपायों पर मंथन करेंगे।
पिछले साल हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सफेद मक्खियाें ने 90 प्रतिशत कपास की फसल को खत्म कर दिया था। भारी नुकसान के कारण कई किसानों ने खुदकुशी तक कर ली थी। इस नुकसान को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेते हुए पिछले दिनों रिव्यू कमेटी का गठन किया था। इसी कमेटी ने विभिन्न राज्यों में घूमकर समीक्षा की।
कमेटी की सिफारिशों के बाद अब 18 जनवरी को दिल्ली में वैज्ञानिकों की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से वैज्ञानिक भाग लेंगे और इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के उपाय तलाशेंगे और कई अहम फैसले भविष्य के लिए लेंगे।
इसके बाद 8 फरवरी को सिरसा में कृषि वैज्ञानिकों की बैठक होगी। इसमेें राज्य कृषि विकास विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, राजस्थान, पंजाब के विश्वविद्यालयों के आलाधिकारियों के अलावा नागपुर की कॉटन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भाग लेंगे। इसमें विशेष रूप से आइसीआर के आलाधिकारी मौजूद रहेंगे। सभी मिलकर सफेद मक्खी को लेकर व्यापक कार्ययोजना बनाएंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक डा. जेएस संधू ने बताया कि नया कृषि बिल इस समय संसद में जा चुका है। इसी बिल में कई बदलाव कृषि को लेकर देखने को मिलेंगे। इसके अलाव केंद्र सरकार बीज बनाने वाली एजेंसियों पर भी नियंत्रण के लिए कदम उठाने जा रही है। कई एजेंसियों की पहचान की जा चुकी है। शायद, कई एजेंसियों को बंद कर दिया जाए।
यह है कॉटन में सफेद मक्खी का मुख्य कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार, कॉटन में सफेद मक्खी के इतने व्यापक असर का मुख्य कारण कपास की बिजाई का देरी से होना रहा है। बारिश व ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल काफी हद तक खराब हो गई थी। ऐसे में समय पर बिजाई नहीं हो पाई थी। यहां तक की समय पर नहरी पानी नहीं मिलना भी एक बड़ा कारण रहा है।
हाइब्रिड बीजों की क्वालिटी सफेद मक्खी के कारण संदेह के घेरे में आ गई है। बाजार में मौजूद 50 प्रतिशत हाइब्रिड बीजों की क्वालिटी अच्छी नहीं है। इन रोक लगाने को लेकर केंद्र सरकार को सिफारिश की जा चुकी है। उम्मीद है कि इस तरह की बीज कंपनियों पर जल्द ही सरकार बैन लगा देगी।
केंद्र सरकार इस दिशा में बड़ी तेजी से काम कर रही है। इस के साथ राज्य सरकार को अपने लेवल पर भी कई कदम उठाने होंगे। राज्य सरकार कदम नहीं उठाएगी ,तब तक पेस्टीसाइट व हाइब्रिड बनाने वाली कंपनियों को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।