11 वर्षों से खेती के नुकसान को घटाने के साथ लोगों का डे-प्लान बना रही ई-मौसम सेवा
जागरण संवाददाता हिसार कहते हैं कि खेती सबसे जोखिम का काम है जरा सा मौसम कम या ज्यादा
जागरण संवाददाता, हिसार : कहते हैं कि खेती सबसे जोखिम का काम है, जरा सा मौसम कम या ज्यादा हुआ तो भारी नुकसान कर देता है। इसी नुकसान को कम करने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 11 वर्ष पहले ई-मौसम की शुरुआत हुई थी। खास बात है कि यह सेवा अब लोगों का डे-प्लान भी सेट कर रही है, उन्हें किचन गार्डन की जानकारी दे रही है, घर को हरित बनाने के टिप्स दे रही है। क्योंकि इस सेवा की सहायता से मौसम और पौधों की जानकारी हासिल कर लोग अपने फैसले लेते हैं। मौसम लोगों के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। ई-मौसम में एसएमएस सेवा व मोबाइल एप दोनों सेवाएं शामिल हैं। ई मौसम हरियाणा की बेवसाइट और मोबाइल एप पर जाकर कोई भी यह जानकारी ले सकता है। प्रदेश के 6600 गांवों के साढ़े तीन लाख लोग जुड़े
कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ बताते हैं कि अब राज्य के 6600 गांवों में साढ़े तीन लाख से अधिक किसानों तक हर रोज मौसम की जानकारी विश्वविद्यालय उपलब्ध करा रहा है। यह जानकारी एसएमएस संदेश के जरिए नेशनल इन्फोर्मेशन सेंटर के जरिए किसानों तक पहुंचाई जाती है। खास बात यह है कि इस जानकारी की बदौलत किसान अपने रोजाना के कृषि कार्य मौसम अनुसार कर उत्पादन बढ़ाकर नुकसान को कम कर रहे हैं। इसी सेवा के लाभ को देखते हुए भारत सरकार भारत मौसम विभाग ने एम-किसान सेवा देश के सभी राज्यों के लिए शुरू की। जिसका देशभर के किसान फायदा उठा रहे हैं।
--------
मौसम ही नहीं खेती भी सिखा रहा ई-मौसम
किसान खेत को तैयार करने से लेकर फसल की बिजाई, सिचाई, स्प्रै, खाद का प्रयोग, गाद, कटाई, कढ़ाई का काम भी इसी सेवा का लाभ लेकर कर रहे हैं। ई-मौसम सेवा का उद्देश्य है कि किसान मौसम आधारित कृषि पद्धति को अपनाएं। इसके लिए ई-मौसम पर सभी फसलों की जानकारी दी जाती है। एसएमएस सेवा ही नहीं बल्कि मोबाइल एप के जरिए भी किसानों को जोड़ा गया है।
---------
हर तीन दिन में अपडेट होती है जानकारी
किसानों को मौसम की समय-समय से जानकारी उपलब्ध कराने को लगातार संपर्क में रहना आवश्यक होता है। ऐसे में तीन से चार दिन बाद लगातार मौसम अपडेट दी जाती है। इसके साथ ही अगर मौसम में कोई बड़ा बदलाव होता है तो किसानों को आगाह करते हुए तीन से चार दिन पहले ही सतर्क कर दिया जाता है। उन्हें यह भी बताया जाता है कि वह इस मौसम में अपनी खेती के रोजाना के कार्यों में क्या बदलाव करें। मोबाइल पर संदेश आते ही किसान उसी आधार पर काम शुरू कर देते हैं। जैसे अगर बारिश आनी तो बिजाई, स्प्रेटाई, कढाई आदि को रोक दिया जाता है।
----------
ई-मोबाइल एप सेवा का यह मिल रहा लाभ
2017 में मोबाइल एप ई-मौसम एचएयू का शुभारंभ किया था। एप पर 60 हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। मोबाइल एप में मौसम पूर्वानुमान के साथ फसलों, सब्जियों व फलों की खेती की पूरी जानकारी भी उपलब्ध है। इसमें साप्ताहिक कृषि मौसम सलाह, विज्ञानियों व कृषि अधिकारियों के मोबाइल नंबर भी उपलब्ध हैं। इसके साथ ही फेसबुक पेज ई-मौसम एचएयू व वाटसएप पर भी सेवाएं दी जा रही हैं।