टिकरी बार्डर पर किसानों ने सामान समेटना किया शुरू, खत्म होगा आंदोलन, रात को मनाया जश्न
आंदोलनकारियों ने आज सामान समेटना शुरू कर दिया है। ट्रैक्टरों में सामान लाद भी लिया है कल से से रवानगी होने के आसार हैं। हालांकि सभी आंदोलनकारी एक साथ नहीं जा पाएंगे पक्के तंबू और टैंटों को हटाने में अभी करीब एक सप्ताह का वक्त लग सकता है।
जागरण संवाददाता, हिसार। टिकरी बार्डर पर आंदोलनकारियों ने आज सामान समेटना शुरू कर दिया है। ट्रैक्टरों में सामान लाद भी लिया है, कल से से रवानगी होने के आसार हैं। हालांकि सभी आंदोलनकारी एक साथ नहीं जा पाएंगे, पक्के तंबू और टैंटों को हटाने में अभी करीब एक सप्ताह का वक्त लग सकता है। वहीं महिलाओं की संख्या बार्डर पर बेहद कम हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच बनी सहमति के बाद आंदोलनकारियों ने सामान समेटना शुरू किया है।
आंदोलनकारियों में हरियाणा के किसान संगठन अभी भी नहीं चाहते थे कि आंदोलन वापिस हो। लिखित में एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर वो अड़े हुए थे, मगर पंजाब कि किसानों ने तीन कृषि कानूनों की संसद में वापसी होने के बाद से ही वापसी का मन बना लिया था। कल हुई बैठक के बाद अब सभी एकमत नजर आ रहे हैं।
एमएसपी पर कमेटी बनाने और केस वापिस लेने की मांग पर लिखित में आश्वासन मिलने के बाद अब आंदोलन लगभग समाप्त ही होने वाला है। हालांकि संगीन धाराओं में दर्ज मामलों में पेज अभी भी फंसा रह सकता है। इसे लेकर आंदोलनकारियों का क्या रुख रहता है यह देखने वाली बात होगी।
रात को मनाया जश्न
आंदोलनकारियों ने देर रात टिकरी बार्डर पर जश्न मनाया। आंदोलनकारियाें ने किसान एकता और अन्य तरह के नारे लगाए तो डांस भी किया। काफी देर तक किसान नेताओं को फूल मालाएं पहनाकर कंधाें पर उठाए रखा। आंदोलनकारियों ने कहा कि यह उनकी बहुत बड़ी जीत है। यहां कुछ आंदोलनकारी ऐसे भी थी जो करीब एक साल पहले टिकरी बार्डर पर पहुंचे थे।
बार्डर खुलने से मिलेगी राहत
करीब एक साल से बंद दिल्ली बार्डर के खुलने से व्यापारियों और आमजन को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। इससे काम भी पटरी पर लौटेगा और नुकसान की भी हल्की भरपाई होगी। बार्डर बंद होने के कारण सभी को खराब रास्तों से घूमकर जाना पड़ता है। ठंड भी बढ़ चुकी है तो इस बार आंदोलनकारियों को ठिठुरना भी नहीं पड़ेगा।
आंदोलनकारियों को फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया
जानें से पहले हेलीकाप्टर से होगी फूलों की वर्षा
आंदोलनकारियों ने बताया कि जाने से पहले हेलीकाप्टर से आंदोलन स्थल पर फूलों की वर्षा की जाएगी। किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसलिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी साथ जाने के दौरान की जाएगी। आज बार्डर पर आखिरी सभा की जा रही है। कल सभी नहीं होगी। पंजाब के किसान बोहा मंडी में स्टे करेंगे, फिर यहां से अपने अपने जिलों में जाएंगे। संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि वो 11 दिसंबर को रवानगी करेंगे और 13 दिसंबर को जलियांवाले बाग में मत्था टेकेंगे। वहीं आंदोलन के कारण जिन लोगों को दिक्कत हुई उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगी।
राम राम ताऊ, जीत मिल गई , अपने घर जा रही हूं । सिर पे हाथ रखकर आशीर्वाद दे दयो। हे बेटी...सब ऊपर आले की दया से है, अर तन्ने तो पूरा एक साल मोर्चा संभाला से। मेरा आशीर्वाद हर दम तेरे साथ सै।