Kisan Andolan: बहादुरगढ़ में आंदोलनकारियों का कोरोना टीकाकरण बना चुनौती, अपीलों का नहीं हाे रहा असर
बहादुरगढ़ में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। इधर आंदोलनकारी किसान भी प्रशासन की चिंता बढ़ा रहे हैं। ये कोरोना टेस्टिंग तो दूर वैक्सीनेशन के लिए भी राजी नहीं हैं। प्रशासन की अपीलों के जवाब में इनके पास अपनी ही दलीलें हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को पांच माह पूरे होने को है। पहले तो केंद्र सरकार के समक्ष आंदोलनकारियों की ओर से रखी गई मांगों को लेकर उनकी जिद शुरूआती दिन से ही बरकरार है, तो दूसरी ओर अब कोरोना के महासंकट के बीच टेस्टिंग और वैक्सीन के लिए ये तैयार नहीं हैं।
झज्जर जिला प्रशासन की ओर से दो दिन पहले टीकरी बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारियों के साथ बातचीत और उसमें वैक्सीनेशन की अपील किए जाने का अभी इन पर कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है। इन आंदोलनकारियों को कोरोना से बचाव के नियम अपनाने के लिए राजी करना तो दूर वैक्सीन लगाकर कोरोना संक्रमण से इन्हें सुरक्षित करवाना भी प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती से कम नहीं है। रोजाना बॉर्डर पर दो जगहों पर सभाओं में आंदोलनकारियों का जुटना ही कोरोना संक्रमण फैलने के रिस्क को नहीं बढ़ा रहा है। बल्कि दिक्कत इस बात को लेकर और ज्यादा है कि आंदोलनकारियों की भीड़ में से काफी लोग पंजाब जा रहे हैं और वापस आ रहे हैं।
आंदोलनकारी कह रहे, हमारे बीच नहीं कोरोना
आंदोलनकारियों द्वारा लगातार उनके बीच काेरोना संक्रमण न होने का दावा किया जा रहा है, मगर स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि इसको लेकर तो स्थिति तभी साफ होगी, जब ये आंदोलनकारी अपना टेस्ट करवाएंगे। टेस्ट भी यदि बाद का विषय मान लिया जाए ताे कम से कम एहतियात के तौर पर जो वैक्सीन कोराेना से बचाव में उपयोगी है, उससे भी परहेज किया जाना समझ से परे है। इससे शासन-प्रशासन दोनों की चिंता बढ़ रही है। कई दिनों से स्वास्थ्य विभाग आंदोलन स्थल पर कैंप लगाकर आंदाेलनकारियों को वैक्सीन के लिए मनाने में जुटा है, मगर ये नहीं मान रहे हैं।
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