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ऑटो यूनियन की दबंगई के आगे पस्‍त हुए विधायक और डीसी, 15 रुपये वसूल रहे किराया

प्रशासन ऑटो यूनियन के पूरी तरह से दबाव में काम रहा है। जहां छह दिन पहले डीसी ने खुद ऑटो चालकों से किराया कम करने की बात कही थी, वहीं अब वह यह देखने में जुटे हैं कि क्‍या हो सकता है

By Edited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:59 AM (IST)
ऑटो यूनियन की दबंगई के आगे पस्‍त हुए विधायक और डीसी, 15 रुपये वसूल रहे किराया
ऑटो यूनियन की दबंगई के आगे पस्‍त हुए विधायक और डीसी, 15 रुपये वसूल रहे किराया

जेएनएन, हिसार। प्रशासन ऑटो यूनियन के पूरी तरह से दबाव में काम रहा है। जहां छह दिन पहले डीसी ने खुद ऑटो चालकों से किराया कम करने की बात कही थी, वहीं अब वह यह देखने में जुटे हैं कि वह ऑटो यूनियन के फैसले को बदल सकते हैं या नहीं। इसकी शक्तियां उनके पास हैं भी या नहीं। वे मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक कर इस बारे में मंथन करेंगे। शहर की जनता को डीसी अशोक कुमार मीणा से पूरी उम्मीद थी कि वह ऑटो चालकों पर दबाव बनाकर पहले जितना किराया लागू करवाएंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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अब देखना ये है कि मंगलवार को होने वाली बैठक में जनता को राहत देने का फैसला प्रशासन ले पाता है या नहीं। वहीं दूसरी ओर विधायक कमल गुप्ता ने इस मामले में पूरी तरह से गेंद डीसी के पाले में डाल दी है। उनका कहना है कि उनकी इस विषय में डीसी से बात हो चुकी हैं। डीसी ने कहा था वे डॉक्यूमेंट एग्जामिन कर रहे हैं। अब पता नहीं वे डॉक्यूमेंट अब तक एग्जामिन कर पाए हैं या नहीं।

ये तो वे खुद ही बता सकते हैं। ज्ञात हो कि एक नवंबर को ऑटो यूनियन ने 10 रुपये से किराया बढ़ाकर 15 रुपये कर दिया था। इससे लोगों को काफी परेशानी भी हो रही है। खासकर विद्यार्थी, मजदूर व कम आमदनी वाले लोगों को सीधा इसकी मार पड़ी है। हमेशा से रहा है ऑटो यूनियनों का दबाव यह कोई पहला मामला नहीं है जब प्रशासन ऑटो यूनियनों के दबाव में न रहता है। पुलिस प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन इन ऑटो यूनियनों के दबाव में काम करता रहा है। इसका कारण ये है कि जब भी किसी तरह की सख्ती की जाती है तो ऑटो चालक हड़ताल कर देते हैं।

इस कारण लोगों की दिक्कतों को देखते हुए प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ता है। अब लोगों को डीसी अशोक कुमार मीणा से उम्मीद थी कि वे दबाव से हटकर आम जनता के हित में फैसला लेंगे और उसे लागू भी करवाएंगे मगर मौजूदा प्रशासनिक अमले पर भी ऑटो यूनियन भारी पड़ती दिख रही है।

इन तरह हो रही आदेशों की अवहेलना
- ऑटो में तीन सवारी बैठाने का नियम है पर ऑटो चालक मनमर्जी से सवारियां ठूंस-ठूंसकर बैठाते हैं। इस कारण कई बार ऑटो पलट चुके हैं और लोगों को जान तक गंवानी पड़ी है।
- ऑटो में आगे सवारी बैठाने का नियम नहीं है। मगर शहर में सभी ऑटो चालक आगे सवारी बैठाते हैं। यहां तक की इन्होंने अलग से सीट भी सवारियों के लिए लगवाई हुई है। इस कारण भी हादसे होने का डर रहता है। इन सीटों पर जनता ही नहीं ट्रैफिक पुलिस कर्मी खुद बैठकर सफर करते दिखते हैं।
- शहर में इस समय करीब पांच हजार से अधिक आटों सड़कों पर चलते हैं, मगर आधे ही ऑटो रजिस्ट्रट हैं। इसके अलावा कई ऑटो चालकों बिना मापदंडों को पूरा किए बैगर ऑटो चला रहे हैं।
- शहर में मुख्य जाम का कारण भी ऑटो रहते हैं। यह ऑटो चालक सवारी देखते हुए ऑटो के ब्रेक लगा देते हैं। इसके कारण सड़क पर हादसे हो चुके हैं।
- ट्रैफिक पुलिस की ओर से ऑटो को एक लेन में चलने के आदेश दिए जा चुके हैं मगर ऑटो चालक पूरी सड़क को घेरकर चलते हैं जिसके कारण जाम की स्थिति बनी रहती है।
 

इतना वसूला जा रहा किराया
- प्रति सवारी किराया : 15 रुपये
- रात्रि 10 से सुबह पांच बजे किराया : 20 रुपये
- शहर में स्पेशल ऑटो किराया : 150 रुपये

देख रहा हूं सक्षम हूं या नहीं
उपायुक्‍त अशोक कुमार मीणा ने कहा कि मैं अभी यह देख रहा हूं कि मैं ऑटो यूनियन का फैसला पलटने में सक्षम हूं भी या नहीं। मैं अभी डॉक्यूमेंट एग्जामिन कर रहा हूं। मंगलवार को इस संबंध में मैंने बैठक बुलाई है। बाहर होने के कारण मैं सोमवार को बैठक नहीं ले पाया।

मैं कम नहीं करवा सकता हूं किराया
ट्रैफिक पुलिए एसएचओ कप्‍तान सिंह ने कहा कि मैं ऑटो का किराया कम नहीं करवा सकता। यह काम प्रशासन का है। मेरे पास बड़ी संख्या में लोगों के फोन आ रहे हैं कि ऑटो चालक मनमानी कर रहे हैं और 15 रुपये किराया ले रहे हैं। मगर मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकता है किराया कम करना प्रशासन का काम है।

डीसी ही इस बारे में कुछ कर सकते हैं
विधायक डा. कमल गुप्‍ता ने कहा कि मेरी डीसी से इस बारे में बात हुई थी। वे ही इस बारे में कुछ करेंगे। मैं इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।


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