कराटे में ब्लैकबेल्ट, सरकारी स्कूल में पढ़ बिना कोचिंग नीट में 37वां तो एम्स परीक्षा में देशभर में 17वां रैंक
शहर के सेक्टर 13 में रहने वाली अदिति शर्मा ने देशभर में 17वां रैंक हासिल कर दिखा दिया है कि ²ढ निश्चय किया जाए तो कोई भी मंजिल इंसान की पहुंच से दूर नहीं है।
जेएनएन, हिसार : एम्स में एमबीबीएस में दाखिले के लिए हुई प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है। इस परिणाम में हिसार की बेटी अदिति ने एक बार फिर बाजी मारी है। शहर के सेक्टर 13 में रहने वाली अदिति शर्मा ने देशभर में 17वां रैंक हासिल कर दिखा दिया है कि ²ढ निश्चय किया जाए तो कोई भी मंजिल इंसान की पहुंच से दूर नहीं है। नीट की परीक्षा में देशभर में 37वां रैंक हासिल करने वाली जिस अदिति ने नीट की तैयारी के लिए पढ़ाई के घंटे निर्धारित नहीं किए थे, उसी अदिति ने एम्स की परीक्षा के लिए बिल्कुल अलग तरीका अपनाया। नीट की परीक्षा देते ही इंटरनेट और किताबें लेकर 20 दिन तक एक कमरे में कैद हो गई। दिन-रात एक कर दिया। एम्स में दाखिले का सपना संजोने वाली कराटे में ब्लैकबेल्ट अदिति ने कभी ट्यूशन नहीं लगाया। पिछले एक साल से घर पर किताबें और इंटरनेट से पढ़ाई की। अदिति ने बताया कि एम्स की परीक्षा में न्यूमेरिकल और सामान्य ज्ञान नीट की अपेक्षा काफी अलग होता है। ऐसे में एम्स की परीक्षा के लिए स्पेशल शेड्यूल तैयार किया था। नीट में 37वां और जीपमार में नॉर्थ इंडिया में पहला रैंक -
इससे पहले 4 जून को घोषित हुए नीट के परिणाम में अदिति ने देशभर में 37वां रैंक हासिल किया था। उसे 720 में से 665 अंक मिले थे। वहीं 8 जून को आए जीपमेर के परिणाम में अदिति ने देशभर में 27वां और नॉर्थ इंडिया में पहला रैंक हासिल किया था। जीपमेर यानी जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पांडिचेरी में स्थित भारत सरकार द्वारा संचालिति देश का सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान है। इसलिए नहीं लगाया ट्यूशन -
कराटे में ब्लैक बेल्ट संध्या ने कभी भी को¨चग और ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। एक बार को¨चग सेंटर पर ट्रायल के लिए गई, लेकिन लगा कि 11वीं-12वीं का सिलेबस है। पहले ये बोलेंगे, मैं लिखूंगी, घर जाकर फिर पढ़ाई करनी पड़ेगी। दोगुनी मेहनत से अच्छा है घर जाकर स्वयं ही पढ़ाई कर लूं। अदिति के पिता पवन शर्मा सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में मैनेजर हैं, जबकि मां बबीता शर्मा गृहिणी हैं। डाक्टर बनना लक्ष्य नहीं, इंसानी शरीर को जानना चाहती हूं : अदिति
अदिति के अनुसार डाक्टर बनना उनका लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह उसके लक्ष्य की एक सीढ़ी है। उसका मकसद है इंसानी शरीर के बारे में जानना। शरीर के हर छोटे से छोटे और अंतिम अंग तक उसे जानना है। अदिति के अनुसार इंटरनेट आपको घर बैठे सब कुछ सिखा सकता है। उसका सही इस्तेमाल जरूरी है। उसने इंटरनेट का उपयोग कर कुरियन भाषा सीखी। अब कुरियन पॉप सुनती है। दूनिया के मेडिकल संस्थानों के विद्यार्थी और प्रतिष्ठित लोग हैं अदिति के दोस्त -
अदिति के दोस्तों का सर्कल उसके परिवार और चार-पांच अन्य दोस्तों तक सीमित है या उसके दोस्त वर्ल्ड वाइड है। अदिति के अनुसार दूसरे देशों के विभिन्न मेडिकल संस्थानों के विद्यार्थी, टीचर्स, डाक्टर और प्रतिष्ठित लोग उसके डिजिटल एवं सोशल मीडिया पर दोस्त हैं। वह अन्य देशों के एजुकेशन सिस्टम और वहां के माहौल और वहां क्या नया हो रहा है, इसके बारे में चर्चा करती रहती है। अदिति के अनुसार यूं बढ़ें आगे -
- जो दिल कहे उसे सुनो, परिवार का भरोसा कायम रखो और समाज से मत डरो कि वो क्या कहेगा।
- कक्षा में पढ़ाई के बाद को¨चग जरूरी नहीं। आपमें समझने की शक्ति होनी चाहिए। दिमाग को इस तरीके से ढालो।
- असफलता से मत डरो। गलती होगी तो अच्छा है, उनसे सीखिए। सफलता हासिल करने वालों के लिए गलतियां सबसे बड़ी दोस्त होती हैं।
- लक्ष्य नजदीक हो तो लापरवाही मत बरतो, उसे हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दो।