स्मॉग से बन रहा वीक एसिड, 18 KG ऑक्सीजन के साथ हरेक के शरीर में जा रही जहरीली गैसें
कार्बनडाइऑक्साइड नाइट्रोजनक्साइड सल्फर डाऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें इस स्मॉग में मौजूद है। ये सभी मिलकर एक वीक एसिड बनाती है। जिसके कारण हमें सांस लेने में तकलीफ होती है
हिसार [सुभाष चंद्र] शहर में दिवाली के बाद धुंध, पटाखों व आग के धुएं से बने स्मॉग के कारण आम आदमी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक व्यक्ति प्रतिदिन 18 किलो ऑक्सीजन लेता है। लेकिन इस ऑक्सीजन में पटाखों व आग के धुएं के कारण जहरीली गैसें मिक्स हो गई हैं, जो सांस के साथ लोगों के शरीर में जा रही हैं। वहीं इन गैसों में कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रोआक्साइड, सल्फर डाऑक्साइड, जैसी जहरीली गैसें इस स्मॉग में मौजूद हैं। ये सभी गैसें मिलकर एक वीक एसिड अथवा कमजोर तेजाब बनाती हैं।
जिसके कारण हमें सांस लेने में तो तकलीफ होती ही है। साथ ही वीक तेजाब के कारण आंखों में जलन और शरीर में एलर्जी जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। वातावरण में घुली इन जहरीली गैसों के कारण अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। शहर के सिविल अस्पताल में सांस व दमा के सामान्य दिनों में जहां 10 से 12 मरीज ही सिविल अस्पताल आते थे। वहीं अब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 50 तक पहुंच गई है।
रात 2 बजे तक जले थे पटाखे
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व हाइकोर्ट के आदेशों के बाद भी दिवाली पर रात 11 बजे के बाद भी पटाखे जलना बंद नहीं हुए। शहर में रात 2 बजे तक भी पटाखे जलाए गए। जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व हाइकोर्ट के आदेशों के अनुसार रात 11 बजे तक ही पटाखे जलाए जाने थे। लेकिन पूरी रात पटाखे जलने व कूड़े में लगी आग के कारण शहर में धुंध व पटाखों के धुएं का गुब्बार आसमान पर छाया हुआ है।
स्मॉग के कारण आ रही यह समस्या
- आंखों में जलन
- एलर्जी
- सांस लेने में तकलीफ
- वायरल बुखार के इंफेक्शन
यह सावधानी बरतें -
- किसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- धुएं से दूर रहे।
- बाहर निकले तो मास्क पहनकर निकले।
- फ्रिज की ठंडी चीजें ना खाए।
- बाजार में बाहरी व तली चीजों को खाने से बचें।
----शहर में स्मॉग के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हम जहरीली गैसों के चैंबर में कैद हो गए है। कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रोजनक्साइड, सल्फर डाऑक्साइड, जैसी जहरीली गैसें इस स्मॉग में मौजूद है। ये सभी मिलकर एक वीक एसिड बनाती है। जिसके कारण हमें सांस लेने में तकलीफ होती है और आंखों में जलन और शरीर में एलर्जी जैसे लक्षण सामने आ रहे है। इनसे हमारी बॉडी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इनसे सांस की नली पर प्रभाव पड़ रहा है, वहीं यह गैसें सीधे फेफड़ों में जा रही है। जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारियां भी हो सकती है। जिससे दमा के मरीजों को भी परेशानी होगी।
प्रो. नरसी राम बिश्नोई, हरियाणा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सदस्य व डीन ऑफ रिसर्च, जीजेयू।
----यह स्मॉग सांस लेने के लिए बहुत ही हानिकारक है। इससे स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां बढ़ जाती है। सांस लेने में दिक्कत होती है, आंखों में जलन होती है। वायरल इंफेक्शन होने के चांस अधिक बढ़ गए हैं। इससे छाती के रोग बढ़ रहे है। शुद्ध हवा जहां हमारे शरीर में उर्जा का संचार करती है। वहीं स्मॉग के कारण सांस के मरीज लगातार बढ़ रहे है।
डा. ज्ञानेंद्र, फिजिशियन, सिविल अस्पताल, हिसार।