स्क्रू ड्राइवर से एक फुट की खोदी मिट्टी, तब हाथों में आया नदीम
हिसार जेएनएन। हम नदीम से एक से डेढ़ फीट की दूरी पर थे। फिर हमने 180 डिग्री पर कैमरा सेट कर बोरवेल में डाला।
हिसार, जेएनएन। हम नदीम से एक से डेढ़ फीट की दूरी पर थे। फिर हमने 180 डिग्री पर कैमरा सेट कर बोरवेल में डाला। जिससे हमें नदीम की मौजूदा स्थिति का पता चले। हमने देखा नदीम सांस ले रहा था। हमारा जोश बढ़ गया। मगर, भारी मशीनें हम खोदाई में प्रयोग नहीं कर सकते थे। इसलिए आखिरी एक से डेढ़ फीट की खोदाई हमें स्क्रू ड्राइवर से करनी पड़ी। धीरे-धीरे मिट्टी हो हटाया। तब जाकर हमारे हाथों में रोता हुआ नदीम आया। खोदाई के दौरान सुरंग में मौजूद मेजर सुमित तिवारी ने नदीम को गोद में लेने और उस अनुभव को दैनिक जागरण के साथ सांझा किया।
आसान नहीं था रेस्क्यू अभियान
वहीं टीम इंचार्ज सेना अधिकारी सुमित चंदा ने बताया कि रेस्क्यू अभियान आसान नहीं था। पहले दिन केवल मैनुअल खोदाई पर फोकस था। मैनुअल खोदाई से कुछ खास कामयाबी हाथ नहीं लग रही थी। ऐसे में आज सुबह अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई। इन्हीं मशीनों ने हमें सही लोकेशन और नदीम तक पहुंचने में मदद की। इसलिए हम 100 फीसद सही तरह से बच्चे तक पहुंच पाए। उन्होंने बताया कि गांव की मिट्टी बेहतर अलग किस्म की है। खोदाई के दौरान कहीं यह सख्त हो जाती है तो कहीं नमी देखने को मिलती है। इस कारण डर बना हुआ था कि कहीं नदीम पर मिट्टी न गिर जाए। हम सभी चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी अभियान में कामयाब रहे।
पटना से लेकर गांधीनगर तक में कर चुके है रेस्क्यू अभियान
एनडीआरएफ की टीम के लिए नदीम रेस्क्यू अभियान कोई नया अभियान नहीं था। इससे पूर्व पटना से लेकर गांधीनगर में इस प्रकार के रेस्क्यू अभियान वह कर चुके हैं। नदीम रेस्क्यू अभियान को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि 55 फीट की गहराई तक हमने खोदाई कर ली थी। मगर, जब 3 बाइ 3 का हॉल बनाकर बोरवेल तक पहुंचने लगे तब थोड़ी सी डारेक्शन बदल गई। 25 फीट की खोदाई के बाद अत्यानुधिक उपकरणों की मदद हमने ली। जिससे हमारी राह आसान हो गई।
स्वास्थ्य सेवा
- एंबुलेंस : तीन
- चिकित्सक : चार
- ईएमटी : तीन
- ऑक्सीजन सिलेंडर लगे - 15
-- नदीम को बोरवेल में ऑक्सीजन पर खर्च हुए - 6 सिलेंडर
- खोदाई करने वाले जवानों की टीम ने प्रयोग किए - 9 सिलेंडर
जेसीबी - 7
फायर ब्रिगेड - 1
सेना की गाडिय़ां - 8
. बोरवेल पहुंचने के लिए करनी पड़ी खोदाई - 37 फीट
. बोरवेल तक पहुंचने के लिए हॉल बनाया - 3 बाइ 3
. सेना की टीम - 47 टीम
. एनडीआरएफ - 40 जवान
. पुलिस - 100 जवान
. ग्रामीण - 200 लोग ।