देश विभाजन के दौरान परिवार खाली हाथ आया था रोहतक, अब होटल कारोबारी भामरी का बड़ा नाम
आठ माह की उम्र में कारोबारी भामरी के सिर से पिता का साया उठ गया था। परिवार ने मजदूरी भी की तो कई कारोबार भी फेल हुए। 65 वर्षीय भामरी ने मेहनत के दम पर 1984 में पहला होटल खोला था। आज उनके नाम से हर कोई वाकिफ है।
रोहतक, जेएनएन। मेहनत के दम पर हर मुकाम पाया जा सकता है। बेशक तमाम बाधाएं राह में खड़ी हों। 65 वर्षीय विकास नगर निवासी अशोक कुमार भामरी ने अपने दम पर होटल कारोबार खड़ा किया। महज आठ माह के थे तब पिता का साया उठ गया। होश संभाला तो आर्थिक तंगी सामने खड़ी थी। 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद तमाम रोजगार के संसाधन खड़े करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। बाद में अपने हाथ से ङ्क्षप्रट करके साड़ी बेचने लगे। 1984 में होटल कारोबार में हाथ अजमाए और पीछे मुड़कर नहीं देखा।
संघर्ष की कहानी, अशोक की जुबानी
अपने संघर्ष के दिनों की कहानी सुनाते हुए अशोक कुमार भावुक हो गए। अपने दम पर किस तरह कारोबार खड़ा किया, यह कहानी भी सुनाई। अशोक कहते हैं 1947 में देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान के झंग जिले से रोहतक आए। इनका रोहतक में ही जन्म हुआ। महज आठ माह के थे तभी इनके पिता राम शरण दास भामरी का निधन हो गया। इनकी मां स्वर्गीय विद्यावंती ने इकलौते बेटे अशोक को बचपन से यही सिखाया कि मेहनत के साथ ईमानदारी बेहद जरूरी है। संस्कारों को भी तवज्जो दी। अशोक कहते हैं कि साड़ी ङ्क्षप्रङ्क्षटग करके बेचने से जो भी बचा, उससे 1977 में फर्नीचर का कारोबार शुरू किया।
फर्नीचर के कारोबार से इन्हें फायदा हुआ तो 1988 में पालिका बाजार में शोरूम खोला। 1984 में भिवानी स्टैंड पर 16 कमरों की इमारत किराये पर उठाने के लिए बनवाई। इमारत किराये पर उठी नहीं तो इन्होंने होटल का संचालन शुरू कर दिया। 1992 में भाजपा युवा मोर्चा की जिम्मेदारी मिली। 1994 में इनके होटल में तत्कालीन हरियाणा प्रभारी रहे नरेंद्र मोदी, संगठन मंत्री मनोहर लाल, प्रदेश महामंत्री ओपी धनखड़ भी ठहरने आया करते।
2002 से कारोबार बढ़ाया
अशोक कहते हैं कि होटल कारोबार की समझ बढ़ी। इसलिए 2002 में दिल्ली रोड स्थित कङ्क्षलगा होटल को लीज पर लेकर छह साल तक यानी 2008 तक संचालन किया। इसके बाद साल 2009 में रिवोली नाम से नया होटल निर्मित करके संचालन शुरू किया।
हरियाणा होटल, रेस्टोरेंट, बैक्वेंट हॉल एवं ढाबा एसोसिएशन के प्रधान अशोक कहते हैं कि कारोबार में ईमानदारी बेहद जरूरी है। अशोक कहते हैं मैंने और मेरे बेटे गौतम भामरी ने दिन-रात एक कर कारोबार को आगे बढ़ाया।