इंतजार में निकल गया दशक, सपनों की रेलगाड़ी अब भी दूर
वर्ष 2021 में भी नहीं पूरा हो पाया हांसी-रोहतक रेलवे लाइन का प्रोजेक्ट पूरा
-वर्ष 2021 में भी नहीं पूरा हो पाया हांसी-रोहतक रेलवे लाइन का प्रोजेक्ट पूरा
फोटो कैप्शन :5:
प्रदीप दूहन, हांसी
साल दर साल बीत जाने के बाद भी हांसी-रोहतक वाया महम रेललाइन प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हो पाया है। वर्ष 2021 के आखिरी में भी काम अधर में पड़ा है। इस रेललाइन के निर्माण के बाद मात्र डेढ़ घंटे में हिसार से दिल्ली का सफर तय हो सकेगा। यही नहीं तीन जिलों को जोड़ने वाली रेल लाइन से क्षेत्र के विकास को पंख लगेंगे। रेलवे द्वारा 2021 तक 68.5 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग के निर्माण को पूरा करने का दावा किया गया था, साल पूरा होने को है अब भी काम पूरा नहीं हुआ। अब साल 2022 में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस रूट से रेल चलने की उम्मीद है। रेलवे द्वारा पटरी बिछाने का काम किया जा रहा है। रेलवे स्टेशनों का निर्माण अभी बाकी है।
बीते कई वर्षों से हांसी-रोहतक रेल लाइन की मांग प्रदेशवासियों द्वारा की जा रही थी। 9 दिसंबर 2011 को तत्कालीन रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इस रेललाइन का ऐलान किया था। 31 जुलाई 2013 को हांसी में तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह की अगुवाई में रैली में तत्कालीन रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़ ने रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। बीते 11 सालों में तीन सरकारे कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं लेकिन प्रोजेक्ट अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया है।
समूचे प्रदेश को होगा लाभ
बेशक ये रेल लाइन हिसार, भिवानी व रोहतक तीन जिलों से होकर गुजरेगी, लेकिन इसका फायदा समूचे प्रदेश को होगा। सिरसा, फतेहबाद, डबवाली आदि इलाकों से देश की राजधानी से संपर्क सुगम होगा। कुछ घंटे के सफर में कम खर्च पर दिल्ली पहुंचा जा सकेगा। व्यापारिक नजरिये से भी इस रेललाइन से प्रदेश के बड़े हिस्से को लाभ पहुंचेगा।
प्रोजेक्ट का पूर्ण विवरण
घोषणा वर्ष - 2011
शिलान्यास - 2013
जमीन अधिग्रहण - 2014
आरंभिक लागत - 287 करोड़
वर्तमान लागत - 694 करोड़
राशि मंजूर - 755 करोड़
देरी का कारण: मुआवजा केस व राजनीति वर्तमान में रेलवे विभाग की स्टेट्स रिपोर्ट के अनुसार रेल लाइन बिछाने का काम चल रहा है व एल सेक्शन (रेलवेलाइन से संबंधित) फाइनल हो चुका है।
आखिर क्यों हुई देरी
कांग्रेस सरकार ने 2011 में इस रेल लाइन का निर्माण कार्य शुरु करवाया था। 2013 में 287 करोड़ मंजूर करते हुए शिलान्यास भी किया। 2014 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई व भाजपा ने प्रदेश में कमान संभाल ली। इसी दौरान कुछ किसानों ने मुआवजा राशि को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। जिससे इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कई सालों तक ब्रेक लगा रहा। किसान एक करोड़ प्रति एकड़ का मुआवजा राशि की मांग कर रहे थे। आखिर 2018 मुआवजा संबंधी मामलों का निपटारा होने के बाद रेल लाइन के निर्माण को फिर से रफ्तार मिली।
50-50 डील पर शुरु हुआ था प्रोजेक्ट
सरकार ने रेल लाइन के लिए रेलवे विभाग को मुफ्त जमीन देने का आश्वासन दिया था। रेललाइन बिछाने की कुल लागत का आधा खर्च भी सरकार द्वारा वहन किया जाना है। रेलमार्ग के लिए करीब 360 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। जमीन अधिग्रहण में 330.20 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने खर्च किए हैं।
68.5 किमी लंबी लाइन पर होंगे पांच स्टेशन
हिसार से हांसी तक पुरानी पटरी पर ही रेल दौड़ेगी। इसके बाद हांसी रेलवे स्टेशन से दो किमी दूरी पर हांसी-रोहतक रेल लाइन शुरु होगी। जबकि पुरानी रेल लाइन भिवानी की तरफ जाती है। इस रेल रूट पर कुल पांच स्टेशन होंगे व 20 गांवों के होती हुई रेल रोहतक पहुंचेगी। हांसी के बाद पहले स्टेशन गढ़ी, मदीना, बलंभा, खरकड़ा व रोहतक से पहले बहु-अकबरपुर गांव में स्टेशन होगा। इस रेल मार्ग से हिसार से रोहतक के बीच 20 किमी की दूरी कम होगी।