लॉकडाउन में 78 वर्षीय बुजुर्ग ने आंगन में तैयार किए डेढ़ हजार पौधे, अब बांटने चले
करीब दो माह के लॉकडाउन में जब घरों में रहकर कोरोना से जंग लड़ी जा रही थी तब बहादुरगढ़ में 78 साल के एक बुजुर्ग अपने आंगन से घर-घर हरियाली पहुंचाने की कवायद में जुटे थे।
बहादुरगढ़ [प्रदीप भारद्वाज] करीब दो माह के लॉकडाउन में जब घरों में रहकर कोरोना से जंग लड़ी जा रही थी, तब बहादुरगढ़ में 78 साल के एक बुजुर्ग अपने आंगन से घर-घर हरियाली पहुंचाने की कवायद में जुटे थे। एक-एक करके उन्होंने कई तरह के औषधीय और फलदार मिलाकर डेढ़ हजार पौधे तैयार कर दिए। अब जैसे ही घरों से निकलना हुआ है लोगों में बांटने चल पड़े हैं।
उम्र के आठवें दशक में जी रहे प्रकृति के ये पैरोकार हैं 78 वर्षीय ओमप्रकाश ङ्क्षककाण। कई साल से इन्होंने घर और आसपास में पौधे तैयार करके लोगों में बांटने और जहां जगह मिले वहां रोपण को ङ्क्षजदगी का मिशन बना रखा है। पेड़-पौधों के एक-एक बीज को ये बेकार नहीं जाने देते। हर साल एक हजार से ज्यादा पौधे तैयार करते हैं।
आंगन में तैयार किए डेढ़ हजार पौधे
इन्होंने लॉकडाउन में चार तरह की तुलसी वन तुलसी, कपूर तुलसी, श्याम तुलसी और राम तुलसी मिलाकर ही 1250 पौधे तैयार कर दिए। इसके अलावा ऐलोवेरा के 150 और आंवला, पपीता, गेंदा, गुलाब, गिलोय, मुलेहठी की 300 से ज्यादा पौध तैयार कर दी हैं। अब जो लोग पौधे मांग रहे हैं, उन तक वे खुद पहुंचा रहे हैं। जो पौधे बचेंगे उन्हें खुद लगाएंगे।
बहादुरगढ़ सिविल अस्पताल में बगीची तैयार करने से लेकर कई हिस्सों में सैकड़ों पेड़-पौधे इन्हीं के हाथों लगे हैं। ओमप्रकाश कहते हैं कि महामारियों से बचना है और स्वस्थ रहना है तो हमें प्रकृति को सहेजना होगा। ज्यादा से ज्यादा औषधीय और परंपरागत पेड़-पौधे लगाने होंगे। आंगन से लेकर जहां जगह मिले, सब जगह पौधे लगाएं। लॉकडाउन ने एक सीख दी है, इसको हमें अवसर बनाना चाहिए।
हमारे योद्धा::: अस्वस्थ होने के बावजूद अपने फर्ज को बखूबी अंजाम दे रहे प्रेम सैनी
- नाम प्रेम सैनी
- पद -हेल्थ इंस्पेक्टर
- संस्थान -पीएचसी धांसू
कोरोना की जंग लडऩे में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हेल्थ इंस्पेक्टरों ने कोई कमी नहीं छोड़ रखी। इसी कड़ी में हेल्थ इंस्पेक्टर प्रेम सैनी अस्वस्थ होने के बावजूद भी अपने फर्ज को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। इतना ही नहीं वह अपने साथी कर्मचारियों का हौसला बढ़ाते हैं और पीएचसी धांसू में सुबह 8 बजे पहुंचने के बाद रात 8 बजे तक अपनी ड्यूटी देते हैं। पूरा दिन अपनी टीमों द्वारा किए गए कार्य की निगरानी रखते हुए वह अपने फर्ज को अंजाम दे रहे हैं। कोविड-19 के साथ मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू आदि की रिपोर्ट तैयार करवा कर भेजना उनके प्रमुख कार्य में शामिल है।