एचएयू में कल 69 कुलपति करेंगे बैठक, रैंकिग मानकों में बदलाव के लिए की जाएगी चर्चा
एचएयू द्वारा इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के सहयोग से 19-
जागरण संवाददाता, हिसार : एचएयू द्वारा इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के सहयोग से 19-20 सितंबर को भारत में कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिग विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालय के लगभग 69 कुलपति भाग लेंगे। कुलपति प्रो. केपी सिंह ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर के कृषि विश्वविद्यालय को रैंक करने के लिए उनके अन्य महत्वूपर्ण कार्य जैसे बीज उत्पादन, कौशल विकास और सामाजिक-आर्थिक लाभ के लिए किए गए योगदान को रैंकिग में अंक नहीं मिलते हैं, उनको भी शामिल करने तथा एनआइआरएफ और आइसीएआर रैंकिग के बीच तालमेल स्थापित करने और बहुत व्यापक परिप्रेक्ष्य में कृषि विश्वविद्यालय के योगदान को मान्यता देने आदि विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने उच्च शिक्षा संस्थानों को रैंक करने के लिए नेशनल इस्टीटयूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) पद्धति को 2015 से अपनाया हुआ है, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने 2016 से देश के कृषि विश्वविद्यालय की रैंकिग शुरू की है। एनआइआरएफ में तीन साल (पुरस्कार वर्ष को छोड़कर) जबकि आईसीएआर रैंकिग में एक साल के कार्यो के प्रदर्शन के विश्लेषण पर रैंकिग निर्धारित की जाती है।
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5 समूहों में बांटा जाता है फ्रेमवर्क को
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) में विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों, इंजीनियरिग संस्थानों, प्रबंधन संस्थानों, फार्मेसी संस्थानों जैसे शिक्षण संस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए इन संस्थानों में अलग-अलग रैंकिग व्यवस्था है। फ्रेमवर्क को विभिन्न मापदंडों के तहत पांच समूहों में वर्गीकृत किया गया है और इन समूहों को निश्चित महत्व दिया जाता है। इन पांच समूहों में टीचिग, लर्निंग व रिर्सोसिज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टेसिज, ग्रेजुएशन आऊटकम, आऊटरीच एंड इन्कलूसीवीटी तथा परसेपशन शामिल हैं। इस रैंकिग में बड़े पैमाने पर संसाधन और व्यक्तिगत प्रदर्शन का आंकलन किया जाता है।