सस्ते रेट का लालच देख खरीदे घर, अवैध कालोनियों में फंसे लोगों के 500 करोड़ रुपये
करीब 4 हजार परिवारों ने अवैध कालोनियों में घर बनाए हुए हैं। 50, 100 और 150 गज के प्लाटों की मार्केट में सबसे ज्यादा मांग है और गरीब और मिडल क्लास को प्रॉपर्टी डीलर लुभाते हैं
जेएनएन, हिसार : शहर में हाउस बिल्डिंग सोसाइटियों की ओर से काटी गई अवैध कालोनियों पर जहां डीटीपी विभाग कार्रवाई कर रहा है। इन कालोनियों में 500 करोड़ से ज्यादा रुपया आम जनता का फंसा हुआ है। प्लाट लेने से लेकर मकान बनाने तक के खर्च की गणना की जाए तो ये आंकड़े 1000 करोड़ को पार करते हैं। अवैध कालोनियों की ओर लोगों का रुझान बढऩे का मुख्य कारण है कि वहां 50, 100 और 150 वर्ग गज के प्लाट आसानी के साथ मिल जाते हैं। यहां तक कि उनकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती।
कालोनी काटने वाली कई सोसाइटी किस्तों पर प्लाट मुहैया करवाती हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं। वह कालोनी वैध है या नहीं। रजिस्टर्ड हो सकती है या नहीं। बस सोसाइटी के कार्ड को ही मालिकाना हक समझकर मकान बना लेते हैं। शहर में इस प्रकार की कालोनियों में घर बनाने वाले लोगों पर संकट छाने लगा है।
डीपीटी विभाग की लिस्ट तैयार होने के साथ ही कालोनियों में पीला पंजा चलाने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। हर माह शहर की कई कालोनियों में पीला पंजा चलेगा। क्योंकि सरकार के आदेशानुसार हर माह चार बार डीटीपी विभाग को कार्रवाई करनी है।
कहां क्या है स्थिति
कैमरी रोड : कैमरी रोड पर कई अवैध कालोनियां बसी हैं। इनमें कई नेताओं के नाम भी सामने आए हैं। मौजिज लोगों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कैमरी रोड पर इन कालोनियों में 2000 के आसपास 50, 100, 150 गज के प्लाटों पर मकान बने हुए हंै। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार 7 हजार रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से 2 हजार घरों के अनुसार 14 करोड़ रुपये मात्र 100 गज का प्लाट होने पर निकलते हैं। मकान बनाने के खर्च को शामिल किया जाए तो 200 करोड़ के आसपास हो जाती है।
तोशाम रोड : यहां अवैध कालोनियों में करीब 70 मकान बने हुए हैं। अनुमानित न्यूनतम रेट 6 हजार के आसपास माना जा सकता है। ऐसे में करीब 60 करोड़ रुपया कालोनियों में फंसा हुआ है।
बालसमंद रोड : अवैध कालोनियों में 100 के करीब मकान बने हुए हैं। अनुमानित न्यूनतम रेट 5 हजार रुपये के आसपास हैं। ऐसे में 10 से 12 करोड़ रुपये लोगों के फंसे हुए हैं।
राजगढ़ रोड : गंगवा पार और उससे पहले अवैध कालोनियां काटी गई हैं। 500 के आसपास घर बने हुए हैं। अनुमानित जमीन का न्यूनतम रेट 4 हजार से पांच हजार रुपये है। ऐसे में 100 करोड़ के आसपास पैसा लोगों को फंसा हुआ है।
सातरोड : सातरोड के आसपास कई कालोनियां हैं। अनुमान के अनुसार 300 के आसपास इन कालोनियों में मकान बने हैं। अनुमानित रेट न्यूनतम रेट सात हजार के आसपास है। ऐसे में इन कालोनियों में 90 करोड़ रुपये के आसपास पैसा फंसा हुआ है।
सेक्टर 9-11 के आसपास : सेक्टर 9-11 के आसपास कई कालोनियां अवैध बसी हुई हैं। इन कालोनियों में 100 से ज्यादा घर बने हुए हैं। 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को पैसा यहां फंसा हुआ है।
साउथ बाईपास : साउथ बाईपास पर कुछ कालोनियां बसी हुई हैं। इन पर डीटीपी विभाग की ओर से कार्रवाई जारी रहती है। बावजूद इसके करीब 15 से 20 करोड़ रुपया लोगों को फंसा हुआ है।
अवैध कॉलाेनी न बसे, ये हमारा प्रयास
डीटीपी हिसार जीपी खासा ने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि अवैध कालोनियों बसने नहीं दी जाएंगी। इससे सरकार को राजस्व का घाटा होता है। लोगों से भी हम अपील करेंगे कि अवैध कालोनियों में प्लाट लेकर मकान न बनाएं।