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दूध की चक्की में 50 फीसद अनुदान और मार्केटिग का लुवास वीसी ने सीएम को सौंपा प्रस्ताव

जागरण संवाददाता हिसार दूध की चक्की को लेकर पशु पालकों में अधिक रुचि क्षेत्र में दिखाई

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 06:45 AM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 06:45 AM (IST)
दूध की चक्की में 50 फीसद अनुदान और मार्केटिग का लुवास वीसी ने सीएम को सौंपा प्रस्ताव
दूध की चक्की में 50 फीसद अनुदान और मार्केटिग का लुवास वीसी ने सीएम को सौंपा प्रस्ताव

जागरण संवाददाता, हिसार : दूध की चक्की को लेकर पशु पालकों में अधिक रुचि क्षेत्र में दिखाई नहीं दे रही है। इसके लिए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गुरदियाल सिंह ने सीएम को प्रस्ताव दिया है कि अगर पशुपालकों को दूध की चक्की मशीन 50 फीसद अनुदान पर दी जाएगी तो वह इसे आसानी से ले सकेंगे। क्योंकि इस मशीन को स्थापित करने में करीब पांच लाख रुपये का खर्च आता है जो एक साथ पशुपालन वहन नहीं कर सकता। इसके साथ ही इस प्रस्ताव में पशुपालकों को अपने दूध के प्रोडक्ट के लिये मार्केटिग सपोर्ट सरकार से मिल जाए तो पशुपालकों की आय दोगुनी की जा सकती है। यह प्रस्ताव कुलपति ने करनाल में आयोजित होने वाले पशु मेले में मुख्यमंत्री को दिया। दूध की चक्की से जुड़ा क्या है पूरा मामला

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लुवास ने दूध से आइसक्रीम, पनीर, फ्लेवर्ड मिल्क जैसे प्रोडक्ट तैयार करने के लिये एक मशीन तैयार कराई है। जिसका नाम दूध की चक्की दिया गया है और इसे बस में लगाया गया है। यह बस महेंद्रगढ़ जिले के गांवों में पशुपालकों को गांव-गांव जाकर दूध से प्रोडक्ट बनाकर बाजार में आय करने के लिये जागरुक कर रही है। हाल ही में करनाल में पशु मेला आयोजित हुआ तो सीएम लुवास द्वारा लगाई स्टॉल पर आए। यहां सीएम ने लुवास द्वारा तैयार दूध बर्फी और पनीर को खिलाया। जिसके बाद सीएम मनोहर लाल और कृषि एवं पशु पालन मंत्री जेपी दलाल ने दूध की चक्की का रेस्पांस जाना। इस पर कुलपति ने बताया कि बस क्षेत्रों में जा रही है मगर किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि वह एक साथ पांच लाख रुपये मशीनों के लिये निवेश नहीं कर सकते। सरकार सब्सिडी और मार्केटिग में सहयोग करे तो काफी मदद मिलेगी। 22 से 28 दिनों में पशुओं के गर्भधारण का लगता है पता

करनाल के कृषि मेले में लुवास ने अल्ट्रासाउंड मशीन भी लगाई। जिसमें पशुपालकों को बताया गया कि अल्ट्रासाउंड तकनीक की सहायता से पशुपालक 22 से 28 दिनों में पशुओं के गर्भधारण का पता लगा सकते हैं। विवि के पदाधिकारियों ने बताया कि यह मशीन हिसार कैंपस, उचानी और महेंद्रगढ़ में स्थित है। करनाल के पशु मेले में विस्तार शिक्षा निदेशक डा जगबीर फोगाट, वेटरनरी कॉलेज के डीन डा दिवाकर शर्मा सहित विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक उपस्थित रहे।


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