Move to Jagran APP

मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है रूह, जब 7 मिनट में जलकर खाक हो गई थी 442 जिंदगी

डबवाली के राजीव मैरिज पैलेस में 24 साल पहले आज के ही दिन डीएवी स्कूल का वार्षिकोत्सव चल रहा था। अचानक आग लग गई और इस हादसे में 442 लोगों की मौत हो गई करीब 150 लोग घायल हो गए थे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 11:09 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 11:15 AM (IST)
मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है रूह, जब 7 मिनट में जलकर खाक हो गई थी 442 जिंदगी
मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है रूह, जब 7 मिनट में जलकर खाक हो गई थी 442 जिंदगी

डबवाली [डीडी गोयल] 24 साल पहले आज ही के दिन 23 दिसंबर को, समय : दोपहर बाद 1.47 बजे। डबवाली के राजीव मैरिज पैलेस (वर्तमान में अग्निकांड स्मारक) में डीएवी स्कूल का वार्षिकोत्सव चल रहा था। मंच पर बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर रहे थे। इसी दौरान शॉर्ट सर्किट से आग लग गई, चारों ओर बचाओ, बचाओ का शोरगुल सुनाई देने लगा। सिर्फ 7 मिनट में हंसता-खिलखिलाता मंच खौफनाक मंजर में बदल गया। इस हादसे में 442 लोगों की मौत हो गई करीब 150 लोग घायल हो गए। बेशक अग्निकांड को 24 बरस बीत चुके हैं आज भी पीडि़तों के जख्म टीस दे रहे हैं।

loksabha election banner

डबवाली में वर्ष 1995 में घटित हुए इस अग्निकांड को दुनिया की भीषण अग्नि त्रासदी माना गया। अग्निकांड की पहली जांच हिसार के तत्कालीन कमिश्नर केसी शर्मा ने की थी। इसके बाद सीबीआइ जांच शुरू हुई। दिल को झकझोर देने वाली घटना क्यों हुई? धीरे-धीरे पर्दा उठता गया। जांच में हादसे का कारण शॉर्ट सर्किट बताया। यह तथ्य भी सामने आए कि जिस जगह बच्चे कार्यक्रम कर रहे थे, उसका नक्शा भी पास नहीं था।

डबवाली अग्निकांड पीडि़त संघ के प्रवक्ता विनोद बांसल बताते हैं कि सीबीआइ की जांच रिपोर्ट के अनुसार राजीव मैरिज पैलेस में बने शैड के नीचे कार्यक्रम के लिए बिजली व्यवस्था के लिए दो कनेक्शन थे। ट्रिङ्क्षपग के समय जनरेटर का चेंज ओवर बदला नहीं गया, जिसकी वजह से शॉर्ट सर्किट हो गया। पंडाल की सजावट के लिए पीवीसी शीट, नारियल की रस्सी, बांस, पॉलीथिन, नाइलॉन के सामान का प्रयोग किया गया था। पर्दों पर परफ्यूम छिड़का हुआ था, जिससे आग फैलने में देर नहीं लगी। दोपहर बाद 1 बजकर 47 मिनट पर सब स्वाह हो गया। लाशों के ढेर बिछ गए।

उस समय बिजली निगम, नगरपरिषद, पैलेस मालिकों तथा दो निजी बिजली कर्मचारियों समेत 14 लोगों को हादसे का दोषी माना गया था। पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ 304बी के तहत केस दर्ज किया था। अंबाला स्थित सीबीआइ कोर्ट ने दो-दो साल की सजा सुनाई थी। बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। बांसल के अनुसार जिन लापरवाहियों की वजह से यह अग्निकांड हुआ, वह आज भी जारी हैं।

वर्ष 1996 में पीडि़तों ने फायर विक्टम एसोसिएशन का गठन किया था। यूनियन ऑफ इंडिया के खिलाफ केस लडऩे के लिए पीडि़तों ने 1700-1700 रुपये इकट्ठे किए थे। उस समय 493 केस लगाए गए, जिनमें से 405 डेथ, 88 घायलों के केस थे। केस शुरू हुआ। 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बाद पीडि़तों ने मुआवजा राशि में से प्रति केस पांच-पांच हजार रुपये दिए, ताकि सुप्रीम कोर्ट तक केस को लड़ा जा सके। सुप्रीम कोर्ट का नतीजा आने के बाद प्रति केस 3500 रुपये दिए थे।

अदालत ने यह दिए आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस टीपी गर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद वर्ष 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डबवाली अग्निकांड पीडि़तों को 34.14 करोड़ रुपये ब्याज सहित देने के आदेश दिए थे। इसमें से 45 फीसद सरकार और 55 फीसद शेयर डीएवी संस्थान को देना था। डीएवी संस्थान ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की, जो वर्ष 2013 में खारिज हो गई। इस आदेश के बाद डीएवी ने 17 करोड़ 120 रुपये डबवाली अदालत में जमा करवा दिए थे। मुआवजा राशि के ब्याज को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने देरी से भुगतान पर 10 फीसद ब्याज राशि को घटाकर छह फीसद कर दिया। मगर डीएवी संस्थान ने गलत आंंकड़े पेश कर मुआवजा राशि का ब्याज जमा नहीं करवाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाने के लिए डबवाली अग्निकांड पीडि़त संघ ने स्थानीय अदालत में याचिका दायर करके डीएवी संस्थान के बैंक खाते और प्रॉपर्टी अटैच करने की मांग की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.