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1500 करोड़ का फर्जीवाड़ा : लॉकडाउन में 20 फीसद ही लेनदेन, कई मामलों में बिल तक नहीं काटे

1500 करोड़ रुपये से अधिक हुआ फर्जी लेनदेन और जीएसटी की चोरी। मामला और भी बड़ा निकल सकता है इसलिए एक-एक स्टैप की हो रही कड़ी जांच

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 10:44 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 10:44 AM (IST)
1500 करोड़ का फर्जीवाड़ा : लॉकडाउन में 20 फीसद ही लेनदेन, कई मामलों में बिल तक नहीं काटे
1500 करोड़ का फर्जीवाड़ा : लॉकडाउन में 20 फीसद ही लेनदेन, कई मामलों में बिल तक नहीं काटे

हिसार [वैभव शर्मा] हिसार और फतेहाबाद से निकले गिफ्ट कार्ड फर्जीवाड़े के मामले आगे चलकर जरूर कई शहरों व राज्यों से जुड़ सकते हैं। मगर शुरुआती जांच में अधिकारियों को समझ आ गया है कि यह छोटे स्तर का मामला नहीं है। मामला इतना गंभीर है कि बैंकों द्वारा जारी गिफ्ट कार्ड के जरिए सप्लायरों, नकली फर्मों व बिचौलियों ने 1500 करोड़ रुपये से अधिक यानि कुल धनराशि का 20 फीसद लेनदेन सिर्फ लॉकडाउन के दो महीनों में ही कर लिया था। हैरानी की बात तो यह है कि लॉकडाउन के दौरान पेट्रोल पंपों पर यह कार्ड स्वाइप होते रहे तो किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई।

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सेंट्रल जीएसटी (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर) विभाग पहले ही इस मामले में लॉकडाउन अवधि के दौरान इन बिचौलियों द्वारा स्कूटरों, कारों में पेट्रोल की बिक्री रिकार्ड को उजागर कर चुका है। अधिकारियों की मानें तो इस प्रकार से इतनी बड़ी मात्रा में फर्जी लेनदेन और जीएसटी चोरी का मामला उन्होंने पहले कभी देखा नहीं है। यह अपने आप में नया मामला है। यही कारण है कि इस मामले में सेंट्रल जीएसटी के अधिकारी कुछ कहने से पहले एक-एक पहलू की गंभीरता से जांच कर रहे हैं।

कहीं कटे बिल तो कहीं बिल तक नहीं काटे

इस मामले में सेंट्रल जीएसटी ने जब हिसार और फतेहाबाद की फर्मों की जांच शुरू की तो उन्हें कई मामले ऐसे मिले, जिसमें गिफ्ट कार्ड स्वैङ्क्षपग में बिल तक नहीं काटे गए तो कुछ मामले ऐसे भी मिले जिसमें बिल काटे गए हैं। दोनों ही प्रकार के केस को लेकर अभी भी पूछताछ जारी है। ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इतनी बड़ी तादात में किस प्रकार से गिफ्ट कार्ड का खेल चलता रहा।

आपके दस्तावेज भी नहीं सुरक्षित

इस मामले के सामने आने के बाद एक बात स्पष्ट हो रही है कि आम आदमी के व्यक्तिगत पहचान दस्तावेज किसी प्रकार से सुरक्षित नहीं हैं। कभी भी यह दस्तावेज कोई दूसरा अपने फायदे के लिए प्रयोग कर सकता है। क्योंकि इस मामले में जिन दस्तावेजों के जरिए सिम कार्ड और गिफ्ट कार्ड जारी कराए जा रहे थे, वह किन्हीं दूसरे व्यक्तियों के थे। जिनका इन कार्डों से कोई संबंध ही नहीं है। इसमें आधार कार्ड और पैन कार्ड मुख्य रूप से शामिल हैं।

गिफ्ट कार्ड से लेन देन पर 18 फीसद लगता है जीएसटी

बैंकों द्वारा जारी सेमी क्लोज्ड प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट यानि पीपीआइ गिफ्ट कार्ड से अगर कोई व्यक्ति छूट व कमीशन के लिए लेनदेन या अन्य आर्थिक गतिविधियां करता है तो उसे 18 फीसद जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का भुगतान करना पड़ता है। यह लेनदेन जिन फर्मों ने किया है, उनमें से कई का तो कोई अस्तित्व ही नहीं है।


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