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जानें हरियाणा के उन 10 वीर सपूतों की कहानी, जिन्होंने सेना ऑपरेशन में छुड़ाए दुश्मनों के छक्‍के

हरियाणा के 10 ऐसे सपूत हैं जिनकी कहानियां घर-घर में सुनाई जाती हैं। जिन्होंने कभी भारत-पाक युद्ध तो कभी ऑपरेशन रक्षक जैसे सैन्य अभियानों में साहस का परिचय दिया। इनमें से कई वीरों को मरणोपरांत सेना ने सम्मानित भी किया।

By Edited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 07:04 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 03:35 PM (IST)
जानें हरियाणा के उन 10 वीर सपूतों की कहानी, जिन्होंने सेना ऑपरेशन में छुड़ाए दुश्मनों के छक्‍के
हरियाणा के 10 ऐसे सपूत हैं जिनकी कहानियां घर-घर में सुनाई जाती हैं।

हिसार, जेएनएन। हरियाणा की धरती ने यूं तो सैकड़ों वीर जवानों को देश के लिए समर्पित किया है। जिनका कर्ज देश कभी नहीं चुका सकता। इन वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस और देशप्रेम के बल पर दुश्मनों को हिला दिया। साथ ही आगे आने वाली पीढि़यों को भी प्रेरित किया। मगर हरियाणा के 10 ऐसे सपूत हैं जिनकी कहानियां घर-घर में सुनाई जाती हैं। जिन्होंने कभी भारत-पाक युद्ध तो कभी ऑपरेशन रक्षक जैसे सैन्य अभियानों में साहस का परिचय दिया। इनमें से कई वीरों को मरणोपरांत सेना ने सम्मानित भी किया।

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इस सम्मान को शहीदों की वीरांगनाओं को दिया गया। दैनिक जागरण शहीदी दिवस पर ऐसे वीर शहीदों को सैल्यूट करता है। आज शहीदों को सैनिक कल्याण बोर्ड शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करेगा। जिला प्रशासन की ओर सभी विभागाध्यक्षों को आदेश दिए गए हैं कि वे प्रशासनिक केंद्र प्रांगण में शहीदी दिवस मनाए।

ये हैं वे शहीद, जिन्होंने सेना में रहते अपने क्षेत्र, राज्य और देश का नाम हर जगह रोशन किया

शहीद हवलदार किशन ¨सह (वीर चक्र) 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान हवलदार किशन ¨सह दुश्मनों की पोस्ट में घुसकर उनकी एमएमजी छीन लाए। इस दौरान उन्हें 28 गोलियां लगीं। इसके बाद भी हवलदार किशन ¨सह लड़ते रहे। 8 दिसंबर 1971 को वह शहीद हो गए। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

शहीद सिपाही श्रवण कुमार (कीर्ति चक्र) हिसार निवासी शहीद सिपाही श्रवण ने 10 अक्टूबर 2002 में ऑपरेशन रक्षक के दौरान जिला हमीरपुर में चार आतंकवादियों से लोहा लिया, जिसमें से दो को मार गिराया। इसके साथ ही वह वीरगति को प्राप्त हो गए। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया।

शहीद सिपाही कृष्ण कुमार (शौर्य चक्र) हिसार निवासी शहीद सिपाही कृष्ण कुमार ऑपरेशन रक्षक के दौरान जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों पर कहर बनकर टूट पड़े। कई राउंड फाय¨रग के बाद शहीद ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। जिसमें वे शहीद हो गए। इनके अदम्य साहस और शौर्य के लिए शहीद को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

शहीद सिपाही सुरेंद्र ¨सह (सेना मेडल) भिवानी निवासी शहीद सुरेंद्र ¨सह ने 7 अगस्त 1999 में ऑपरेशन विजय में भाग लिया। जिसमें आतंकवादियों से लोहा लेते हुए स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। इनके अदम्य साहस के लिए शहीद को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

शहीद सिपाही राकेश कुमार (सेना मेडल) भिवानी निवासी शहीद राकेश कुमार ने 16 अगस्त 2003 में ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों से लोहा लिया। इस दौरान वह वीर गति को प्राप्त हुए। उनके अदम्य साहस को लेकर शहीद को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया।

शहीद नायक माठन ¨सह (वीर चक्र) 7 दिसंबर 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान दुश्मनों का सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। इनके अदम्य साहस के लिए शहीद को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

इन शहीदों ने भी इतिहास में नाम किया अमर

शहीद हवलदार दयानंद, वीर चक्र - शहीद हवलदार ¨सह, सेना मेडल - शहीद ओम प्रकाश, शौर्य चक्र - शहीद सतबीर ¨सह, शौर्य चक्र


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