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विश्व जल दिवस : जल संकट से उबरने के लिए व्यावहारिक प्रयास जरूरी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी तेजी से जल संकट की ओर कदम बढ़ा रहा है। जल संरक्ष

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 07:06 PM (IST)
विश्व जल दिवस : जल संकट से उबरने के लिए व्यावहारिक प्रयास जरूरी
विश्व जल दिवस : जल संकट से उबरने के लिए व्यावहारिक प्रयास जरूरी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी तेजी से जल संकट की ओर कदम बढ़ा रहा है। जल संरक्षण और पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि भविष्य के इस बड़े संकट से उबरने के लिए सरकार, सरकारी विभागों और आम नागरिकों को जमीनी स्तर पर कारगर उपाय करने होंगे। अक्सर देखा जाता है कि सरकारी विभागों द्वारा भूमिगत जल को संरक्षित करने के लिए ठोस उपाय नहीं किए जाते हैं। कहने को तो नगर निगम क्षेत्र में सौ से अधिक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हैं। इसमें से सिर्फ 15 से 20 फीसद ही काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भूमिगत जल का स्तर कैसे बढ़ेगा। बारिश के दिनों में अरबों लीटर पानी नजफगढ़ ड्रेन में चला जाता है। यहां से यह यमुना में विलीन हो जाता है। अगर इन्हें रोकने का उचित प्रबंध होता तो गुरुग्राम डार्क जोन में नहीं होता।

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जल संरक्षण से जुड़े लोगों का कहना है कि वैध और अवैध दोनों प्रकार के बोरवेल को गुरुग्राम को प्रतिबंधित करने की जरूरत है। लोगों के लिए पीने के लिए नहरी पानी की आपूर्ति होनी चाहिए। गुरुग्राम में कई ऐसी सोसायटी हैं जहां नहरी पानी नहीं पहुंचता है। वह भूमिगत जल पर पर निर्भर हैं। भूजल विशेषज्ञ एमएस लांबा का कहना है कि किसी सेक्टर या सोसायटी को बसाने के लिए भूमिगत जल पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए। जो तालाब सूख गए हैं उन्हें फिर से अस्तित्व में लाना होगा। यहां कृत्रिम झीलों के निर्माण की भी जरूरत है। पर्यावरण के लिए काम करने वाले राजेंद्र का कहना है कि हरियाली और पहाड़ों को जिस प्रकार से नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसका भी असर भूमिगत जल स्तर पर नकारात्मक पड़ रहा है।

कंस्ट्रक्शन साइटों की निगरानी जरूरी

साइबर सिटी रियल एस्टेट सेक्टर का हब है। यहां पर बिल्डरों के काफी प्रोजेक्ट हैं। कहने को तो इनके साइटों पर चल रहे निर्माण में ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल होता है। जानकारों का कहना है कि अगर इनकी ठीक से निगरानी की जाए तो यह बात सामने आ जाएगी कि यह भूमिगत जल का इस्तेमाल करते हैं। दिखाने के लिए टैंकरों से जो पानी मंगाया जाता है। वह भी भूमिगत जल से ही भरा जाता है। बिल्डरों और अधिकारियों की साठगांठ से भूमिगत जल का दोहन अवैध तरीके से किया जा रहा है। गोल्फ कोर्स में रोजाना लाखों लीटर पानी की बर्बादी

गुरुग्राम स्थित गोल्फ कोर्सों को हरा-भर रखने के लिए रोजाना लाखों लीटर पानी की बर्बादी की जाती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भूमिगत जल मामले में गुरुग्राम डार्क जोन में है ऐसे में इन गोल्फ कोर्स को बंद करने की जरूरत है। गुरुग्राम जल संकट का एक बड़ा केंद्र है। यहां भूमिगत जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है। विभिन्न विभागों के अधिकारी जल संरक्षण के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं। बारिश के बूंद-बूंद पानी को बचाने की जरूरत है। तालाबों को फिर से अस्तित्व में लाने की जरूरत है। यहां कृत्रिम झीलों का भी निर्माण होना चाहिए। इससे बारिश के दिनों में जो अरबों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है उसे बचाया जा सकता है।

विवेक कंबोज, पर्यावरणविद्


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