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घूंघट की बेड़ियां तोड़ आगे बढ़ रही हैं बंधवाड़ी की बहु और बेटियां

एक दौर था जब महिलाएं खुद को परदे के पीछे छिपा कर रखती थीं, लेकिन अब वही महिलाएं घूंघट की बेड़ियां तोड़ आगे बढ़ रही हैं। साइबर सिटी से सटे गांव बंधवाड़ी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है, जहां महिलाएं खुद को सशक्त और हुनरमंद बनाने के लिए घर की दहलीज लांघ रही हैं। इसमें उन्हें गुरुग्राम की डिप्टी मेयर सुनीता यादव व शहर की कुछ सशक्त महिलाओं का भी सहयोग मिल रहा है..

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 08:09 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 08:09 PM (IST)
घूंघट की बेड़ियां तोड़ आगे बढ़ रही हैं बंधवाड़ी की बहु और बेटियां
घूंघट की बेड़ियां तोड़ आगे बढ़ रही हैं बंधवाड़ी की बहु और बेटियां

हंस राज, नया गुरुग्राम

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एक दौर था जब महिलाएं खुद को परदे के पीछे छिपा कर रखती थीं, लेकिन अब वही महिलाएं घूंघट की बेड़ियां तोड़ आगे बढ़ रही हैं। साइबर सिटी से सटे गांव बंधवाड़ी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है, जहां महिलाएं खुद को सशक्त और हुनरमंद बनाने के लिए घर की दहलीज लांघ रही हैं। इसमें उन्हें गुरुग्राम की डिप्टी मेयर सुनीता यादव व शहर की कुछ सशक्त महिलाओं का भी सहयोग मिल रहा है। इस बदलाव के पीछे केंद्र सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना को एक कदम आगे ले जाते हुए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटियों को हुनर सिखाओ' नामक मुहिम की शुरुआत करने वाली सेक्टर-46 निवासी ब्यूटी एक्सपर्ट जॉली तुली महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्हें इसमें आइआइटी दिल्ली में कार्यरत 50 वर्षीय वंदना वालिया व वसंत कुंज (दिल्ली) निवासी 38 वर्षीय दिव्या सतीजा का भी सहयोग मिल रहा है। करीब तीन महीने से जॉली के साथ वो भी सप्ताह में एक दिन बंधवाड़ी गांव जाकर वहां की लड़कियों व महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। गांव में खोला प्रशिक्षण केंद्र:

बंधवाड़ी गांव की बहु और बेटियां न सिर्फ ब्यूटी एक्सपर्ट से प्रशिक्षण ले रही हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रशिक्षित कर रही हैं। गांव के बीचों बीच किराए पर एक बड़ा कमरा लेकर वो प्रतिदिन दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक क्लास चला रही हैं। जिसमें आस-पास के विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों के अलावा गांव की बहुएं भी मेकअप और सिलाई-कढ़ाई का काम सीखने आ रही हैं और परिवार की जिम्मेदारियों के साथ अपना हुनर निखार रही हैं। बाधाओं से लड़कर रिति बनी प्रेरणाश्रोत

तीन-चार माह पहले घर की चारदीवारी में रहने वाली इन महिलाओं को आगे लाने का श्रेय गांव की ही 23 वर्षीय रिति को जाता है। रिति की रुचि सिलाई-कढ़ाई और मेकओवर आर्टिस्ट बनने में थी, लेकिन तीन साल पहले शादी के बाद मायके व ससुराल वालों ने उन्हें सपना पूरा करने की आजादी नहीं दी। अपने साथ-साथ गांव की कई बेटियां व बहुओं के दफ्न होते सपनों को दोबारा ¨जदा करने के लिए रिति ने सबको एकत्रित करना शुरु किया। आज रिति के साथ गांव की बेटियां नेहा, संध्या, काजल, तनु, शशि, मनीषा, सुमित्रा, रेखा, वर्षा, अंजु, सोनम, स्नेह व सरोज के साथ-साथ सुषमा, आशा और रीनू सरीखी कई बहुएं भी जुड़ गई हैं। बंधवाड़ी के साथ-साथ हमारा लक्ष्य उसके आस-पास के गांव जैसे मांगर, बलियावास और ग्वाल पहाड़ी जैसे गांव की लड़कियों को भी प्रशिक्षित करना है, जिसके लिए उचित स्थान के तलाश में जुटी हूं।

-जॉली तुली, ब्यूटी एक्सपर्ट प्रशिक्षण लेने से न सिर्फ हाथों का हुनर बढ़ रहा है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। आज गांव की कई महिलाएं आगे आ रही हैं और अपने साथ अपनी ननद और भाभियों के लिए रास्ता आसान बना रही हैं।

-रीनू, प्रशिक्षु, बंधवाड़ी


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