हमने अपने हीरो तक को बांट दिया है: ¨हडोल सेन गुप्ता
हमने अपनी सोच को इतना सीमित कर दिया है कि अपने आदर्श और हीरो तक को कई खेमों में बांट दिया। साल 1947 में बेशक देश का विभाजन हुआ, लेकिन उसके बाद भी आंतरिक विभाजन जारी है। जिस विभाजन में हम अपने रियल लाइफ हीरो गांधी, नेहरू, विवेकानंद, भगत ¨सह और सुभाष चंद्र बोस को बांट रहे हैं। यह बातें इसलिए कह रहा हूं क्योंकि पिछले एक दशक के लेखन सफर मैं मैंने ऐसा महसूस किया है। जब मैंने किताब 'द मॉडर्न मॉन्क : व्हॉट विवेकानंद मीन्स टू अस टुडे' लिखी तो विषय के चुनाव को लेकर सवाल नहीं पूछे गए।
जागरण संवाददाता, नया गुरुग्राम: हमने अपनी सोच को इतना सीमित कर दिया है कि अपने आदर्श और हीरो तक को कई खेमों में बांट दिया। साल 1947 में बेशक देश का विभाजन हुआ, लेकिन उसके बाद भी आंतरिक विभाजन जारी है, जिसमें हम अपने रियल लाइफ हीरो गांधी, नेहरू, विवेकानंद, भगत ¨सह और सुभाष चंद्र बोस को बांट रहे हैं। यह बातें इसलिए कह रहा हूं क्योंकि पिछले एक दशक के लेखन सफर में मैंने ऐसा महसूस किया है। यह कहना था रिलीजियन कम्युनिकेटर काउंसिल ऑफ अमेरिका द्वारा दिया जाने वाला 'विल्बर अवार्ड' जीतने वाले पहले भारतीय लेखक व वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा साल 2017 में यंग ग्लोबल लीडर चुने गए लेखक ¨हडोल सेनगुप्ता का।
¨हडोल सेनगुप्ता डीएलएफ क्लब-5 में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी पुस्तक 'द मैन हू सेव्ड इंडिया सरदार पटेल एंड हिज आइडिया ऑफ इंडिया' पर बोल रहे थे। सरदार पटेल पर किताब लिखने के विचार को लेकर उन्होंने कहा कि उस दौर के तीन बड़े नेताओं में महात्मा गांधी भारतीय इतिहास का जिक्र करते थे तो जवाहरलाल नेहरू भविष्य के भारत की, लेकिन सरदार पटेल उस समय के भारत की वस्तुस्थिति को देखते हुए फैसला ले रहे थे, जो देश हित में रहा। साथ ही सरदार पटेल इतिहास लिखने से ज्यादा इतिहास बनाने में विश्वास रखते थे और यही कारण रहा कि उनके नाम कोई किताब भी दर्ज नहीं है। इन सभी ¨बदुओं ने मुझे उनके जीवन को करीब से जानने के लिए प्रेरित किया।
¨हडोल सेनगुप्ता ने कहा कि सरदार पटेल के व्यक्तित्व के अचर्चित पहलुओं को समझना जरूरी है। खासतौर से युवा पीढ़ी को। सरदार पटेल हमेशा पीछे रहकर काम करते रहे। श्रेय लेने की लड़ाई में वह नहीं कूदे। यश, प्रसिद्धि और व्यक्तित्व पूजा की भूख से वह बिल्कुल दूर रहे। आजादी की लड़ाई में दशकों तक एक मौन साधक की तरह तप-त्याग किया, लेकिन आज उन्हीं के नाम पर राजनेता राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज नहीं आते। करीब दो घंटा चले कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।