रैपिड मेट्रो बंद हुई तो सड़कों पर बढ़ जाएगा दबाव
साइबर सिटी की शान के रूप में स्थापित रैपिड मेट्रो का संचालन बंद होने पर पॉश इलाकों में ट्रैफिक का दबाव न केवल फिर से बढ़ जाएगा बल्कि हालत 2013 से भी बदतर हो जाएगी।
आदित्य राज, गुरुग्राम
साइबर सिटी की शान कही जाने वाली निजी क्षेत्र की रैपिड मेट्रो का संचालन अगर बंद होता है तो न केवल पॉश इलाकों में ट्रैफिक का दबाव फिर से बढ़ जाएगा, बल्कि हालात 2013 (नवंबर 2013 में इसकी शुरुआत हुई थी) से भी बदतर हो जाएंगे। छह साल में सड़कों पर वाहनों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। रैपिड मेट्रो का संचालन बंद होते ही फिर से लोग अपने निजी वाहनों का उपयोग करने के लिए मजबूर होंगे। इससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या सामने आएगी बल्कि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाएगा।
रैपिड मेट्रो का संचालन करने वाली कंपनी आइएल एंड एफएस इंफ्रास्ट्रक्चर ने हरियाणा सरकार से कहा कि आर्थिक नुकसान की वजह से वह आगे सेवा जारी करने में सक्षम नहीं है। कंपनी चाहती है कि हरियाणा सरकार रैपिड मेट्रो का अधिग्रहण कर कर ले। मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में लंबित है। वहां से जब तक झंडी नहीं मिल जाती सरकार रैपिड मेट्रो के संचालन की जिम्मेदारी नहीं ले सकती है। इधर, कंपनी ने सरकार से यहां तक कह दिया है कि वह 9 सितंबर से सेवा को आगे जारी नहीं रख सकती। अगर कंपनी अपनी बात पर कायम रहती है तो फिर रैपिड मेट्रो का संचालन 9 सितंबर से बंद हो जाएगा। संचालन बंद होते ही पॉश इलाकों की सड़कों पर एक साथ हजारों निजी वाहन आ जाएंगे। रैपिड मेट्रो लाइफ लाइन है। इसका संचालन एक दिन के लिए भी बंद नहीं होना चाहिए। संचालन बंद होने पर काफी लोगों को परेशानी होगी।
उज्जवल, यात्री दिल्ली मेट्रो से एंबियंस मॉल की तरफ जाने का बेहतर माध्यम रैपिड मेट्रो है। रैपिड मेट्रो का संचालन बंद होने पर इलाके में ट्रैफिक का दबाव बढ़ जाएगा।
श्याम, यात्री रैपिड मेट्रो का संचालन किसी भी हाल में प्रभावित नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ फिर पहले की तरह ही इलाके में वाहन रेंगते नजर आएंगे। इससे प्रदूषण भी बढ़ेगा।
आरती, यात्री रैपिड मेट्रो साइबर सिटी की शान है, पहचान है। इसका संचालन नहीं रुकना चाहिए। यदि कंपनी 9 सितंबर से संचालन रोकती है फिर काफी परेशानी होगी।
-विनोद कुमार, यात्री रैपिड मेट्रो एक नजर में
- पहले चरण में एक्सप्रेस-वे शंकर चौक से लेकर सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन तक 5.1 किलोमीटर का ट्रैक बनाया गया
- पहले चरण के निर्माण पर 1,450 करोड़ रुपये की लागत आई, इसे नवंबर 2013 में जनता के लिए खोला गया
- दूसरे चरण के तहत सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन से लेकर सेक्टर-56 तक 6.6 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण किया गया
- पूरे रूट पर यात्रियों की संख्या 45 से 50 हजार तक ही है जबकि अनुमान 70 से 80 हजार तक रखा गया था
- दूसरे चरण के निर्माण पर 2,143 करोड़ रुपये खर्च किए गए, ट्रैक पर परिचालन मार्च 2017 से शुरू किया गया
- साइबर सिटी के इलाके में प्रतिदिन औसतन दो लाख लोग विभिन्न कंपनियों में काम करने के लिए पहुंचते हैं। रैपिड मेट्रो का संचालन अपने हाथों में लेने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास मामला लंबित है। जब तक ट्रिब्यूनल का फैसला नहीं आ जाता, सरकार व्यवस्था अपने हाथों में नहीं ले सकती। प्रयास है कि एक दिन के लिए भी रैपिड मेट्रो का संचालन प्रभावित न हो।
-वी. उमाशंकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण