Move to Jagran APP

टोल प्लाजा पर सवा दो लाख से ज्यादा वाहनों का है दबाव

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर 85 हजार नहीं बल्कि लगभग दो लाख 35 हजार वाहनों का दबाव है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 08:09 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 06:18 AM (IST)
टोल प्लाजा पर सवा दो लाख से ज्यादा वाहनों का है दबाव
टोल प्लाजा पर सवा दो लाख से ज्यादा वाहनों का है दबाव

आदित्य राज, गुरुग्राम

loksabha election banner

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित खेड़कीदौला टोल प्लाजा पर 85 हजार नहीं बल्कि लगभग दो लाख 35 हजार वाहनों का दबाव है। 85 हजार वैसे वाहन हैं जो टोल देकर निकलते हैं। लगभग डेढ़ लाख बिना टोल वाले वाहन निकलते हैं। इस हिसाब से कम से कम 50 लेन का टोल प्लाजा होना चाहिए जबकि कुल लेन की संख्या ही 25 है। इसे देखते हुए फास्टैग अनिवार्य होने के बाद जाम में फंसने वाले लोगों का सुझाव है कि टोल प्लाजा के नजदीक जयपुर-दिल्ली साइड में काफी जगह है। उस जगह का इस्तेमाल टोल टैक्स फ्री के दायरे में आने वाले वाहनों के लिए किया जाए। इससे दबाव काफी कम हो जाएगा।

जानकारी के मुताबिक टोल फ्री के दायरे में आने वाले वाहन बाइक, स्कूटी, साइकिल, ऑटो, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी एवं रिक्शा एवं रेहड़ी हैं। दोनों तरफ से लगभग 75-75 हजार वाहन प्रतिदिन निकलते हैं। ये सभी वाहन भी कैश लेन से निकलते हैं। दोनों तरफ तीन-तीन लेन कैश वाले वाहनों के लिए निर्धारित है। इस तरह छह लेनों के ऊपर लगभग 212 वाहनों का दबाव है क्योंकि 85 हजार वाहनों में से केवल लगभग 23 हजार वाहनों में फास्टैग की सुविधा है। वैसे बाइक, स्कूटी एवं साइकिल के निकलने के लिए साइड से भी सुविधा है लेकिन अधिकतर कैश लेन से ही निकलते हैं। यही वजह रही कि सोमवार को जैसे ही कैश लेन के ऊपर दबाव बढ़ा जिन वाहनों में फास्टैग की सुविधा नहीं थी वे भी फास्टैग अनिवार्य वाली लेनों में घुस गए। लेनों की संख्या बढ़ानी चाहिए

सोमवार सुबह जाम में फंसने वाले नारनौल निवासी जय सिंह, नरेंद्र यादव, भिवाड़ी निवासी रमेश सिंह आदि ने कहा कि सरकार केवल उन वाहनों के बारे में योजना बनाती है जिनसे टोल मिलता है। टोल फ्री वाले वाहनों की संख्या काफी अधिक है। आज तक इसके ऊपर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। सभी केवल यही चर्चा करते हैं कि खेड़कीदौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन 85 हजार वाहन निकलते हैं। लगभग डेढ़ लाख टोल फ्री वाले वाहनों के बारे में कहीं कोई चर्चा ही नहीं। यदि चर्चा की जाती तो फास्टैग के लिए 19 लेन निर्धारित नहीं की जाती, या तो फास्टैग अनिवार्य वाली लेनों की संख्या कम की जाए या फिर तत्काल प्रभाव से टोल प्लाजा की साइड में जो जगह है उससे टोल फ्री वाले वाहनों के निकलने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई जाए। सच्चाई यह है कि दोनों तरफ टोल प्लाजा की एक-एक लेन के आगे तीन-तीन लेन बनाकर उनमें कैश काउंटर बना दिए गए हैं। टोल प्लाजा प्रबंधक राजेंद्र सिंह भाटी भी स्वीकार करते हैं कि टोल फ्री वाले वाहनों की संख्या लगभग डेढ़ लाख है। टोल प्लाजा पर दिल्ली-जयपुर साइड में जगह नहीं है कि लेन बढ़ाई जाए। जयपुर-दिल्ली साइड में जगह है लेकिन निजी आदमी की है। उससे जगह कई बार लेने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। फास्टैग अनिवार्य करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि यदि लोग इसे अपनाते हैं तो उन्हें जाम में नहीं फंसना पड़ेगा। किसी भी नई योजना की शुरुआत में समस्या सामने आती ही है।

एके शर्मा, निदेशक (प्रोजेक्ट), एनएचएआइ, गुरुग्राम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.