सुस्ती के माहौल से नहीं निकल पा रहा ऑटोमोबाइल बाजार
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अभी भी सुस्ती का माहौल बरकरार है। कार एवं दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों के प्लांट में अभी भी उत्पादन में की गई कटौती जारी है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुस्ती का माहौल बरकरार है। कार एवं दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों के प्लांट में अभी भी उत्पादन में की गई कटौती जारी है। औद्योगिक विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 11 माह से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुस्ती का माहौल बना हुआ है। फेस्टिवल सीजन में इस क्षेत्र को कुछ राहत मिली थी मगर यह भी पहले जैसा उत्साह लौटाने में सफल नहीं रहा। वाहनों की मांग बाजार में अभी भी कम है। इसका सबसे अधिक असर ऑटो पार्ट्स बनाने वाली माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) पर पड़ता दिख रहा है। दिनों दिन इनकी हालत खराब होती जा रही है।
गुरुग्राम देश का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल हब है, यहां इस क्षेत्र की तीन हजार अधिक छोटी-बड़ी कंपनियां हैं जो किसी न किसी रूप में मारुति, होंडा और हीरो जैसी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों पर निर्भर हैं। उद्यमियों का कहना है कि इनकी हालत सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी है। सरकार को इस क्षेत्र को राहत देने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो दिक्कत और बढ़ जाएगी। ऑटो क्षेत्र के संकट का मुद्दा संसद में भी उठ रहा है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र की एमएसएमई यूनिटों के संकट से संबंधित सवाल का राज्यसभा में 15 दिसंबर को सरकार जवाब देगी। उद्यमी विवेक वत्स का कहना है कि ऑटो इंडस्ट्री की परेशानी बढ़ती जा रही है। इसका असर लोगों के रोजगार पर भी पड़ने लगा है।
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ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुस्ती का माहौल जारी है। इससे ऑटो पार्ट्स का उत्पादन करने वाली एमएसएमई की स्थिति खराब होती जा रही हैं। मार्केट में वाहनों की मांग लगातार निचले स्तर पर बनी हुई है। इसकी वजह से बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के प्लांट में प्रोडक्शन कम हो रहा है। जिसका खामियाजा इस क्षेत्र की एमएसएमई को भुगतना पड़ रहा है।
-दीपक मैनी, महासचिव, गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन